जम्मू कश्मीर के हालात एकाएक काबू के बाहर हो गए हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आज राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए हालात पर काबू पाने के लिए केंद्र से सेना की मदद मांगी है। हालांकि अभी इसपर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है लेकिन राज्य की स्थिति को देखते हुए सेना को अलर्ट रहने को कह दिया गया है। यदि आने वाले समय में स्थिति नियंत्रण के बाहर हुई तो जम्मू-कश्मीर के उपद्रवगस्त क्षेत्रों को सेना के हवाले किया जा सकता है।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने इस मामले में एक उच्च स्तरीय टीम का भी गठन किया है। यह टीम घाटी के हिंसा प्रभावित राज्यों में जाएगी और वहां के हालात का जायजा लेगी। यह टीम हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाली के लिए स्थानीय प्रशासन की मदद करेगी। इस टीम में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ताज मोहिरुद्दीन, कृषि मंत्री गुलाम हसन मीर, मुख्यमंत्री के सलाहकार मुबारक गुल तथा सड़क एवं भवन निर्माण राज्य मंत्री जाविद अहमद डार शामिल हैं।
अनंतनाग में आज हुई हिंसा की ताजा घटनाओं 2 लोग मारे गए और 3 गंभीर रूप से घायल हो गए। बीते दो हफ्ते के दौरान घाटी मेंहिंसा की घटनाओं में मारे जाने वाले लोगों की संख्या 10 तक पहुंच गई है। राज्य की उमर अब्दुल्ला सरकार पूरी तरह दबाव में आ गई है और उसने इस सारी स्थिति के लिए केंद्र पर आरोप मढ़ा है।
उधर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि राज्य सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार स्थिति पर काबू पाने में पूरी तरह विफल रही है और हालात उसके काबू से बाहर हो चुके हैं। घाटी में सेना की तैनाती का विरोध करते हुए महबूबा ने कहा है कि सेना सभी समस्याओं का हल नहीं है।
कश्मीर में सोमवार को दो तथा रविवार को तीन लोग सुरक्षा बलों की फायरिंग में मारे जा चुके हैं। मंगलवार को भी घाटी के कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों एवं सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई है जिसमें कई लोग घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की कई गाडि़यों को आग के हवाले कर दिया।
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