Friday, July 30, 2010

राहुल महाजन ने किया पिता का नाम खराब

राहुल महाजन एक बार फिर अपनी हरकतों की वजह से विवादों के बवंडर में फंस गये हैं। उनकी पत्नी डिंपी गांगुली ने मारपीट और गाली-गलौज करने का आरोप लगाते हुए उनका वरली स्थित घर छोड़ अपने पिता के यहां चली गई हैं।

‘राहुल दुल्हनिया ले जायेगा’ इस रियलिटी शो में स्वयंवर के जरिये इसी साल मार्च महीने में राहुल महाजन ने कोलकाता की मॉडल डिंपी गांगुली से विवाद किया था। मगर अब दोनों के वैवाहिक रिश्ते में दरार पड़ गई है।

डिंपी गांगुली का आरोप :

राहुल की पत्नी डिंपी का आरोप है कि गुरुवार की भोर करीब ३.३क्बजे उसके मोबाइल पर एक एसएमएस आया था। राहुल ने इस मैसेज को पढ़ने की कोशिश की मगर कि-पैड लॉक होने की वजह से वह एसएमएस नहीं पढ़ पाया।

इसके बाद उसने डिंपी को नींद में से उठाकर उसके मोबाइल का कि-पैड कैसे ऑन होता है? और आये हुए मैसेज के बारे में पूछना शुरू किया। नींद में होने की वजह से डिंपी ने राहुल को सो जाने की सलाह दी और सुबह इस बारे में बात करने को कहा।

इस बात से गुस्साये राहुल ने डिंपी को मारना पीटना और उसके साथ गाली-गलौज करना शुरू कर दिया। डिंपी का कहना है कि अपने बचाव के लिए उसने भी राहुल को मारा और गुरुवार की सुबह ३.३क् बजे ही घर छोड़ दिया।

उसका कहना है कि अपने पति के घर से बाहर आने बाद उसने पूरी घटना की जानकारी अपने पिता को फोन के जरिये दी। सुबह ४ बजे जब उसके पिता घर पर आये, तो वह फिर वहां आई और अपना सामान लेकर पिता के साथ चली गई।

डिंपी का आरोप है कि स्वयंवर के बाद से ही राहुल अक्सर उसके साथ मारपीट करते रहे हैं। एक बार तो उसने अपनी सास को भी राहुल को समझाने के लिए घर बुलाया। जिसके बाद दोनों के बीच रिश्ते और तनावग्रस्त हो गये। डिंपी का आरोप है कि स्वभाव से अच्छे राहुल गुस्से में अपना आपा खो बैठते हैं। गुस्से में राहुल क्या कर बैठेगा? इसका उसे खुद पता नहीं होता है। डिंपी का कहना है कि ऐसी ही एक बार हुए झगड़े में राहुल ने उस पर गन तान दी थी।

क्यों नाराज है राहुल :

राहुल महाजन आखिर अपनी दूसरी पत्नी डिंपी के साथ मारपीट क्यों कर रहा है? इस जवाब खुद डिंपी ने दिया है। उसका कहना है कि सब से उसने दूसरे वर्ष की परीक्षा देने की शुरुआत की है। दोनों के बीच तनाव बढ़ा है। दरअसल राहुल को उसका इस सिलसिले में बार-बार कोलकाता जाना जरा भी पसंद नहीं है।

विवादों से पुराना रिश्ता :

वरिष्ठ भाजपा नेता स्व. प्रमोद महाजन के एकलौते बेटे राहुल महाजन का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है। पिता की मौत के बाद वे सबसे पहले ड्रग्स सेवन करने के आरोप के चलते सुर्खियों में आये। इसके बाद वे अपनी प्रेमिका श्वेता सिंह से विवाह करने और अगस्त 2008 को उससे तलाक लेने की वजह से चर्चा में आये। इसी तरह ‘बिग बॉस’ में पायल रोहितगी और मोनिका बेदी से इश्क लड़ाने के कारण भी राहुल विवाद में फंसे थे।

'वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई'

प्रोड्यूसर:एकता कपूर,शोभा कपूर
डायरेक्टर:मिलन लुथरिया
कलाकार:अजय देवगन,इमरान हाश्मी,कंगना राणावत,प्राची देसाई और रणदीप हुड्डा
रेटिंग:3रिलीज़ से पहले कई विवादों में फंस चुकी फिल्म 'वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई' कहने की जरुरत नहीं 70 के दशक पर आधारित एक फिल्म है|फिल्म की कहानी है घूमती है सुल्तान मिर्ज़ा(अजय देवगन) और शोएब खान(इमरान हाश्मी)के इर्द गिर्द जिनकी कहानी को एसीपी एग्नल विल्सन सुनाता है|एसीपी एग्नल विल्सन की भूमिका अदा की है रणदीप हुड्डा ने|
फिल्म की शुरुआत होती है एसीपी(रणदीप हुड्डा)पर फिल्माए गए एक सीन से जहां वह अस्पताल में भर्ती है क्यों कि उसने आत्महत्या करने की कोशिश की है|एसीपी से मिलने उसके एक उच्च अधिकारी आते हैं और एसीपी से यह जानने की कोशिश करते हैं कि उसने एक काबिल पुलिस अफसर होते हुए भी आत्महत्या करने जैसा कदम क्यों उठाया|तब एसीपी उन्हें सुल्तान(अजय देवगन) की कहानी सुनाता है|वह सुल्तान की मौत का जिम्मेदार खुद को मानता है जिसकी मौत के बाद मुंबई वह मुंबई नहीं रही जो पहले हुआ करती थी|
कहानी कुछ यूं आगे बढ़ती है...सुल्तान मिर्ज़ा नाम का एक छोटा सा बच्चा बाढ़ के पानी में बहता हुआ मुंबई आ जाता है|यह छोटा बच्चा(सुल्तान)मजदूरी कर अपना पेट भरता है|


इसी दौरान उसकी मुलाक़ात ऐसे गलत लोगों से हो जाती है जो उसे ज्यादा पैसा कमाने का लालच देते हैं और फिर वह बड़ा होकर एक स्मगलर बन जाता है|वह पैसा कमाने के लिए गलत रास्ते का इस्तेमाल तो करता है मगर साथ ही दरियादिल भी है|वह गरीबों का मसीहा है|
इस दमदार माफिया को कोई नहीं झुका सकता मगर उसकी केवल एक ही कमजोरी है रिहाना जिसका किरदार निभाया है कंगना राणावत ने|रिहाना एक चर्चित अदाकारा है|किस्मत इन दिनों को आमने सामने लेकर आती है और सुल्तान रिहाना को प्रपोज़ कर देता है|
काफी सोचने के बाद रिहाना भी सुल्तान का प्रेम प्रस्ताव मंजूर कर लेती है और फिर शुरू होता है इन दोनों का रोमांस|जिसे काफी दिलचस्प रेट्रो अंदाज़ में फिल्माया गया है|


इन दोनों की प्रेम कहानी के बाद फिल्म की कहानी घूमती है शोएब खान(इमरान हाश्मी)की तरफ जो कि एसीपी एग्नल के अंडर काम करने वाले एक पुलिस इन्स्पेक्टर का बेटा है|शोएब बहुत ही तेज़ तर्रार,चालक किस्म का इन्सान है जो पैसों के लिए कुछ भी कर सकता है|
शोएब के पिता को अपने बेटे की करतूतों की पूरी जानकारी है|इसलिए उसे सुधारने के लिए वह सुल्तान का दरवाज़ा खटखटाता है|सुल्तान शोएब के पिता की बात सुन उसे एक दुकान खोलकर देता है|


शोएब एक ज्वेलरी शॉप में काम करने वाली एक लड़की मुमताज़(प्राची देसाई) से दीवानों की तरह प्यार करता है|इसी दौरान शोएब से सुल्तान प्रभावित हो जाता है और उसे अपनी गैंग में शामिल कर लेता है|जल्द ही शोएब सुल्तान का खास आदमी बन जाता है|
इसी दौरान सुल्तान की गर्ल फ्रेंड रिहाना की तबियत अचानक बहुत बिगड़ जाती है|अस्पताल में इलाज़ के दौरान पता चलता है की रिहाना के दिल में छेद है और वह इस दुनिय में चंद दिनों की ही मेहमान है|
सुल्तान को यह बात बुरी तरह तोड़ देती है और वह रिहाना की ख़ुशी के लिए सारे बुरे काम छोड़ चुनाव में खड़े होकर गरीबों की मदद करने का फैसला करता है और इसलिए कुछ दिनों के लिए दिल्ली जाता है|दिल्ली जाने से पहले वह अपने सारे कारोबार की जिम्मेदारी शोएब को देकर जाता है|
सुल्तान की गैर मौजूदगी में शोएब आज़ादी का गलत फायदा उठाता है और ऐसे गैर क़ानूनी काम करता है जिससे मुंबई में अशांति फैल जाती है और कई लोगों की मौत हो जाती है| वह इतना गिर जाता है की एक चुनावी रैली के दौरान सुल्तान को मरने का प्लान भी बनाता है और उसे मरकर उसकी सारी सत्ता अपने नाम कर लेता है|


एसीपी एग्नल को इसी बात का अफ़सोस होता है की सब कुछ पता होते हुए भी वह सुल्तान को नहीं बचा पाते इसलिए वह भी आत्महत्या कर अपने गुनाह का प्रायश्चित करने का प्रयास करता है|
काफी नकारने के बाद भी फिल्म की कहानी अंडरवर्ल्ड डान हाजी मस्तान और दाउद इब्राहीम के रिश्तों पर ही आधारित नज़र आती है|फिल्म की कहानीको एक रेट्रो टच देने की कोशिश जरुर की गयी है मगर फिल्म मेकर इसमें ज्यादा सफल नहीं हो पाए हैं|कहानी के प्रभावशाली संवाद दर्शकों को अंत तक बांधे रखने में कामयाब होते हैं|फिल्म की सिनेमाटोग्राफी जबरदस्त है जो की कलाकरों के किरदार को स्थापित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है|
अजय देवगन की एक्टिंग जानदार है और इमरान हाश्मी ने भी शोएब के रोड साइड रोमो वाले किरदार को बखूबी निभाया है|रेट्रो स्टाइल में कंगना राणावत बहुत ही खूबसूरत लगी हैं|
उन्हें देखकर पुरानी अभिनेत्रियों की याद ताज़ा हो जाती है|प्राची देसाई का अभिनय ठीक ठाक है और उनका बौबी लुक भी कुछ खास प्रभावी नहीं है |आजकल फिल्म के प्रभाव को बनाए रखने के लिए उसमें गानों की संख्या घटाई जा रही है मगर इस फिल्म के रोमांटिक गाने दर्शकों को बेहद पसंद आएंगे|यह फिल्म दर्शकों को जरुर पसंद आएगी|

:तेरे बिन लादेन

फिल्म:तेरे बिन लादेन


निर्माता:पूजा शेट्टी देवड़ा ,आरती शेट्टी

डायरेक्टर:अभिषेक शर्मा

स्टार कास्ट:अली जाफर,प्रद्युमन सिंह,सुगंध गर्ग,निखिल रत्नपारखी,पीयूष मिश्रा,राहुल सिंह,सीमा भार्गव ओर बैरी जॉन

स्टार रेटिंग:3 1/2

बहुत ही कम फिल्में ऐसी होती हैं जो रिलीज़ होने से पहले सुर्खियां बटोरती हैं मगर वह लोगों की उम्मीद पर भी उतनी ही उतर पाती हैं जितनी की उसकी चर्चा की जाती है|तेरे बिन लादेन एक ऐसी ही फिल्म है|यह फिल्म भारतीय सिनेमा में आ रहे बदलाव का एक जबरदस्त उदहारण है|फिल्म की कहानी बहुत ही सिंपल है मगर फ्रेश है मगर उससे भी प्रभावशाली है फ़िल्म का ट्रीटमेंट|


अभिषेक शर्मा द्वारा लिखी गई बेहतरीन पटकथा ओर उससे भी मज़ेदार हैं फ़िल्म के डायलॉग जो की आपको गुदगुदा जाते हैं|सबसे बड़े आतंकवादी ओसामा बिन लादेन पर बिना किसी कीभावनाओं को आहात किए बगैर यह फिल्म आपको बांधे रखने में सफल नज़र आती है|यहां तक की बिन लादेन ही इस फिल्म की कहानी की जान बनकर उभरता है|


फिल्म की कहानी आधारित है अली हसन(अली जाफर) पर जो कि पाकिस्तानी चैनल 'सी'न्यूज़ का एक लोकल रिपोर्टर है ओर अमेरिका में बसने का खवाब देखता रहता है |अली अमेरिका जाने के लिए कुछ भी कर सकता है| एक फर्जी वीजा बनाने वाली कंपनी अली से बीस लाख रुपए लेकर उसे अमेरिका पहुंचाने की बात कहती है और अली बीस लाख रुपए जुटाने में लग जाता है|


एक दिन अचानक अली और उसके कैमेरा पर्सन गुल(निखिल रत्नापारखी)की नज़र पड़ती है एक पोल्ट्री फार्म मालिक नूरा(प्रद्युमन सिंह)पर जिसकी शक्ल हूबहू मिलती है दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी ओसामा बिन लादेन से|नूरा को देखकर अली और गुल मिलकर उसकी विडियो कैसेट बनाकर चैनल मालिक मजीद(पीयूष मिश्रा)को बेचने का प्लान बनाते हैं जिसमें वह यह दिखाएंगे कि ओसामा बिन लादेन पूर्व अमेरिकी प्रेसिडेंट जोर्ग बुश को चेतावनी दे रहा है|


इस विडियो कैसेट से अमरीकी ख़ुफ़िया तंत्र में खलबली मच जाती है जिसके प्रमुख है टेड(बैरी जॉन)और वह पूरे पाकिस्तान में लादेन और उसके खबरी (अली) को ढूंढने के लिए एक मिशन चला देते हैं| अली भी पकड़ा जाता और ओसामा का हमशक्ल नूरा भी|अब आगे क्या होता है और क्या अली कभी अपने सपने को पूराकर पाता है फिल्म में यह देखना बहुत ही दिलचस्प बन जाता है|


डायरेक्टर अभिषेक शर्मा ने कमाल का निर्देशन किया है|फिल्म की एडिटिंग और स्क्रीनप्ले भी बहुत ही बढ़िया है|नकली ओसामा ने डरावने हावभाव बहुत ही बेहतरीन हैं और यही फिल्म की जान है|अली औरकैमरामेन ने फिल्म में खूब हंसाया है|


अभिनय की बात की जाए तो अली जाफर और प्रद्युमन सिंह का अभिनय बेहतरीन है|निखिल और सुगंधा गर्ग ने अपना रोल बखूबी निभाया है|साफ़ तौर पर कहा जाए तो तेरे बिन लादेन एक बहुत ही बेहतरीन फिल्म है और इसे जरुर देखना चाहिए|

Thursday, July 29, 2010

इस्लामाबाद विमान हादसा, 155 मरे

इस्लामाबाद की मरगला पहाड़ियों में बुधवार को पाकिस्तान की निजी विमान सेवा एयर ब्लू के एक विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से उसमें सवार सभी 155 लोगों की मौत हो गई। विमान तुर्की से कराची के रास्ते इस्लामाबाद आ रहा था।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विमान बहुत कम ऊंचाई पर उड़ रहा था। थोड़ी देर में ही यह धमाके के साथ आग के गोले में तब्दील हो गया। हादसे के वक्त राजधानी में बारिश हो रही थी और घना कोहरा छाया हुआ था। हादसा संभवत: खराब मौसम की वजह से हुआ। विमान का मलबा दो पहाड़ियों के बीच फैल गया और मानव अंग भी इधर-उधर बिखरे दिखाई दिए। इससे बचाव कर्मियों को खासी मशक्कत का सामना करना पड़ा।


पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक ने विमान में सवार सभी लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है। प्रारंभिक खबरों में कुछ यात्रियों के बचने बात कही गई थी। हादसे की शिकार एयरबस ए-321 में 147 यात्री और चालक दल के आठ सदस्य सवार थे। हादसा स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे हुआ। विमान इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर उतरने वाला था।

Sunday, July 25, 2010

सानिया का शोएब शक के घेरे में

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में युवा सितारों से सजी पाकिस्तानी क्रिकेट टीम ने कुल मिलाकर भले ही अच्छा प्रदर्शन किया हो लेकिन टीम के तीन खिलाड़ियों पर इन दिनों पैनी निगाहे हैं।

हेडिंग्ले टेस्ट की पहली पारी में विकेटकीपर बल्लेबाज कामरान अकमल, उनके भाई उमर अकमल और पूर्व कप्तान शोएब मलिक के प्रदर्शन के बाद इन तीनों पर नजर रखी जा रही है।

पहली पारी में इन तीनों ने जिस तरह से अपने विकेट गंवाए उससे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारी नाखुश हैं। पीसीबी के अधिकारियों ने कहा कि मलिक और कामरान जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों को ज्यादा जिम्मेदारी से खेलना चाहिए।

जब तक वे ऐसा नहीं करते तब तक खेल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को लेकर सवाल बने रहेंगे। दूसरे टेस्ट में इन तीनों के आउट होने का लहजा वाकई चौंकाने वाला था। उमर 21 रनों के निजी स्कोर पर एक लापरवाही भरा शाट खेल बैठे।

दूसरी ओर उनके भाई कामरान ने 15 रन तो जरूर बनाए लेकिन लगा कि वे पैवेलियन लौटने की जल्दी में थे। उन्होंने स्लिप में मार्कस नार्थ को एक आसान सा कैच थमा दिया। अकमल भाइयों के अलावा मलिक का अंदाज भी अलग था।

मैदान पर जमने के बावजूद बड़ी आसानी से उन्होंने 26 रन बनाकर पैवेलियन की राह पकड़ ली। पहले से ही संदेह के घेरे में रहे मलिक का यह प्रदर्शन बोर्ड के लोगों में और शक पैदा कर गया।

Friday, July 23, 2010

फिल्म रिव्यू:खट्टा मीठा

स्टार कास्ट:अक्षय कुमार,त्रिशा कृष्णन,मकरंद देशपांडे,राजपाल यादव,नीरज वोरा,मिलिंद गुणाजी,असरानी,अरुणा ईरानी,उर्वशी शर्मा,मनोज जोशी,टीनू आनंद,कुल भूषण खरबंदा,जॉनी लीवर


प्रोड्यूसर:अक्षय कुमार


डायरेक्टर:प्रियदर्शन


स्टार रेटिंग:3


'हेरा फेरी','हंगामा','भूल भुलैया' और 'छुप छुप के'जैसी फिल्मों के बाद डायरेक्टर प्रियदर्शन एक और नई कॉमेडी फिल्म लेकर आए हैं जिसका नाम है खट्टा मीठा। यह फिल्म 1989 में बनी मलयालम फिल्म वेल्लानाकालुड़े नाडू का रिमेक है जिसे प्रियदर्शन ने ही बनाया है।


फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई है अक्षय कुमार और त्रिशा कृष्णन ने। फिल्म की कहानी घूमती है अक्षय कुमार के इर्दगिर्द जिन्होंने इस फिल्म में सचिन टिच्कुले नाम के एक रोड कांट्रेक्टर की भूमिका अदा की है।


सचिन टिचकुले एक बहुत बड़ा आदमी बनना चाहता है मगर परेशानी यह है कि उसके पास घूस देने के पैसे नहीं हैं|वह जहां रहता है वह इलाका बहुत ही पिछड़ा हुआ है|सचिन के सामने मुश्किलें और बढ़ जाती हैं जब उसकी एक्स गर्लफ्रेंड (गहना गणपुले)त्रिशा शहर की म्युनिस्पल कमिश्नर बन कर आ जाती है|


गहना सचिन से नफरत करती है और अपने इलाके में वह भ्रष्टाचार को बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं करती|अक्षय का किरदार इस फिल्म में प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर.के लक्ष्मण के कॉमन मैन(आम आदमी)वाले कार्टून केरेक्टर से मेल खाता है|


हंसी मजाक के जरिए फिल्ममें भ्रस्टाचार जैसे गंभीर मुद्दे पर चोट करने की कोशिश की गई है|किस तरह भ्रष्टाचार और घूसखोरी की वजह से आज किसी भी सरकारी या गैर सरकारी विभाग में कोई काम संभव नहीं होता|इस फिल्म में यही दिखाने की कोशिश की गई है|


फिल्म में जबरदस्त कॉमेडी और बरसात में बदहाल होती सडकों के जरिए सरकारी महकमे पर व्यंग्य आपको हंसा हंसा कर लोट पोट कर देंगे|यह फिल्म अन्य कॉमेडी फिल्मों की तरह सेंसलेस नहीं है बल्कि इसमें एक सन्देश देने की कोशिश की गई है|मगर फिल्म के डायलॉग उतने प्रभावशाली नहीं हैं जितने इस फिल्म की कहानी के हिसाब से होने चाहिए|


रिमेक होने के बावजूद निर्देशक प्रियदर्शन इस फिल्म को प्रभावी ढंग से पेश करने में सफल रहे हैं|फिल्म के शुरूआती दो घंटे कैसे बीत जाते हैं पता ही नहीं चलता मगर आखिरी के चालीस मिनट उतने प्रभावी नहीं है|फिल्म के क्लाइमेक्स को और रोचक बनाया जा सकता था|


अभिनय की बात की जाये तो खट्टा मीठा में अक्षय कुमार की बेहतरीन अदाकरी देखने को मिली है|उनकी कॉमिक ट्यूनिंग कमाल की है|कॉमेडी सीन्स में अक्षय की टाइमिंग कमाल की नज़र आई है|फिल्म के शुरूआती कुछ द्रश्यों में अक्षय को कॉलेज बॉय की तरह दिखाया गया है जिसमें वह बहुत ही कूल नज़र आए हैं|


त्रिशा ने छोटे से रोल में अच्छा काम किया है|राजपाल यादव का अभिनय जानदार है और बच्चों को उनका रोल काफी पसंद आएगा|नीरज वोरा,मिलिंद गुणाजी,असरानी,अरुणा ईरानी,उर्वशी शर्मा,मनोज जोशी,टीनू आनंद,कुल भूषण खरबंदा,जॉनी लीवर जैसे कलाकारों ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है|वी .मनिकंदन की सिनेमेटोग्राफी अव्वल दर्जे की है|फिल्म के गाने अच्छी लोकेशंस पर फिल्माए गए हैं और मधुर भी हैं|कोरियोग्राफी भी गाने के हिसाब से ठीक है|फिल्म के पहले हिस्से की एडिटिंग काफी अच्छी है मगर आखिरी के द्रश्यों में एडिटिंग को और प्रभावशाली बनाया जा सकता था|


फिल्म खट्टा मीठा एक अच्छी मनोरंजक फिल्म है जिसमें कॉमेडी,एक्शन,रोमांस जैसे सारे मसालों के साथ एक सन्देश भी दिया गया है|

Friday, July 16, 2010

'लम्हा' फिल्म समीक्षा

फिल्म:लम्हा

निर्माता:बंटी वालिया

निर्देशक:राहुल ढोलकिया

स्टार कास्ट:संजय दत्त,बिपाशा बासु,कुणाल कपूर,अनुपम खेर,मुरली शर्मा

गंभीर विषयों पर फिल्में बनाने का आजकल एक ट्रेंड बॉलीवुड में देखने को मिल रहा है|पिछले हफ्ते अनंत महादेवन ने नक्सलवाद जैसे संवेदनशील मसले को अपनी फिल्म 'रेड अलर्ट' में पेश किया और अब राहुल ढोलकिया लेकर आए हैं 'लम्हा'|यह फिल्म कश्मीर में फैले आतंकवाद पर आधारित है|

वैसे राहुल ढोलकिया इससे पहले 'परजानिया' जैसी एक बेहतरीन फिल्म बना चुके हैं इसलिए 'लम्हा' से दर्शकों की उम्मीद और अधिक बढ़ जाती है|अब सवाल यह उठता है कि क्या राहुल इस गंभीर विषय के साथ न्याय करने में सफल रहे|


वैसे फिल्म के ट्रीटमेंट की बात की जाए तो 'लम्हा' परजानिया के पास नज़र आती है|राहुल ढोलकिया को दाद देनी होगी जो उन्होंने इतने विवादस्पद मुद्दे पर फिल्म बनानेकी हिम्मत दिखाई|
ढोलकिया ने कश्मीर से जुडी समस्या को करीब से दिखने कि कोशिश की है|इस फिल्म को आप एक डोक्यू ड्रामा कह सकते हैं|

फिल्म के शुरुआती 40 मिनट अंत्यंत प्रभावशाली हैं|फिल्म की कहानी आधारित है 1989 में हुए मिशन 89 पर जब कश्मीरी मुस्लिम समुदाय ने जमीन के लिए कश्मीरी पंडितों से लड़ाई मोल ले ली थी और इस बात पर काफी हंगामा भी हुआ था|


संजय दत्त इस फिल्म में विक्रम नाम के मिलिटरी ऑफिसर के किरदार में हैं जो आतंकवादी संगठन के इरादों को नाकाम करने के एक मिशन में एक अन्दर्कावर एजेंट (गुल जहाँगीर)बनकर कश्मीर जाता है|हाजी शाह(अनुपम खेर)1989 के उसी खौफनाक मंज़र को फिर से दोहराना चाहता है और वह घटी में होने वाले चुनावों के मद्देनज़र एक बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में है|

हाजी के इरादों को नाकाम करने के लिए ही विक्रम (संजय) घटी में आते हैं और उसपर कड़ी नज़र रखते हैं|हाजी की भांजी के रूप में नज़र आईं हैं बिपाशा बासु जिन्होंने अजीजा का किरदार निभाया है|अजीजा को हाजी ने अपने घर में पनाह दी है क्योंकि वह 1989 में हुए बम ब्लास्ट में अपने परिवार को खो चुकी है|इसी संगठन में कुणाल कपूर भी होते हैं जिन्होंने आतिफ का किरदार निभाया है मगर हाजी और उसकी विचारधारा से तंग आकर वह यह गैंग छोड़ देता है और अपने बल बूते पर चुनाव लड़ने का मन बना लेता है|


एक डोक्यू ड्रामा के तौर पर बात की जाए तो फिल्म की शुरुआत प्रभावशाली है मगर बीचमें डायरेक्टर की पकड़ कहानी पर कमज़ोर नज़र आती है|कमज़ोर स्क्रीनप्ले के चलते अच्छी कहानी भी कमज़ोर हो जाती है|एडिटिंग भी उतनी दमदार नहीं जितनी कहानी के हिसाब से होनी चाहिए||सिनेमाटोग्राफी अच्छी है मगर डा यलॉग्स और बेहतर हो सकते थे|


अभिनय की बात की जाए तो संजय दत्त हमेशा की तरह बेहतरीन हैं|बिपाशा बासु ने इस फिल्म में अब तक की सबसे बढ़िया एक्टिंग की है|कुणाल कपूर का अभिनय ठीक है मगर उन्हें अपनी डा य लोग डिलीवरी पर काफी मेहनत करने की जरुरत है|अनुपम खेर ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है|


साफ़ तौर पर कहा जाए तो लम्हा एक बेहतरीन कहानी के बावजूद कमज़ोर एडिटिंग और ख़राब स्क्रीनप्ले की वजह से उतना प्रभाव नहीं छोड़ पति जितनी की उम्मीद की जा रही थी|


Monday, July 12, 2010

फिल्म समीक्षाः रेड अलर्ट

फिल्म:रेड अलर्ट- द वार विथ इन
निर्माता:टी.पी अग्रवाल
निर्देशक:अनंत महादेवन
स्टार कास्ट:सुनील शेट्टी,नसीरुद्दीन शाह,विनोद खन्ना,समीरा रेड्डी,भाग्यश्री,आएशा धरकर,सीमा बिस्वास,गुलशन ग्रोवर और आशीष विद्यार्थी
स्टार रेटिंग:3
रेड अलर्ट -द वार विथ इन जैसा कि फिल्म के टाइटल से ही पता चलता है|यह एक युद्ध पर केंद्रित फिल्म है जिसे डायरेक्टर अनंत महादेवन और लेखक अरुणा राजे ने बहुत ही बेहतरीन ढंग से पेश किया है|फिल्म में यह दिखाया गया है कि कैसे एक सीधा-साधा आदमी परिस्थितियों के चलते नक्सली बन जाता है|
नक्सलवाद इस समय देश में बहुत बड़ी समस्या है और रेड अलर्ट नक्सलवाद जैसे मुद्दे पर बनी एक गंभीर फिल्म है|लेखक ने बहुत ही बढ़िया तरीके से नक्सलियोंकी ज़िन्दगी को करीब से बताने की कोशिश की है| नक्सली दूसरों की नज़रों में भले ही आतंकवादी हों मगर वह खुद को क्रांतिकारी बताते हैं|
फिल्म में सुनील शेट्टी नरसिम्हा नाम के एक सीधे-साधे व्यक्ति के किरदार में हैं जो बहुत ही गरीब है और अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए जंगल में आकर ठहरने वाले लोगों के लिए खाना बनाता है|एक दिन जंगल में ही नक्सलियों और पुलिस के बीच जंग होती है जिसमें सुनील को जबरदस्ती एक गैंग में शामिल कर लिया जाता है|
इस गैंग में विनोद खन्ना,आशीष विद्यार्थी,सीमा बिश्वास जैसे लोग रहते हैं जो आम आदमी के हक की लड़ाई लड़ते हैं|मगर सुनील उनके हिंसा वाले रस्ते को मन से अपना नहीं पता|उसे निर्दोष लोगों को मारना भी बर्दाश्त नहीं हो पाता|सुनील की तरह समीरा रेड्डी भी हालातों से मजबूर होकर नक्सलियों का साथ देने को मजबूर है|
इसी मार काट से तंग आकर सुनील एक दिन गैंग के एक व्यक्ति आशीष विद्यार्थी का खून कर वहां से भाग निकलता है और बाद पुलिस का साथ देकर नक्सलवाद को मिटाने के लिए पुलिस का साथ देने लग जाता है|


फिल्म की एडीटिंग और डायरेक्शन बेहतरीन है|साथ ही बढ़िया स्टोरी की वजह से स्क्रीनप्ले भी शानदार है| डायलॉग्स कम है मगर प्रभावशाली हैं और सिनेमेटोग्राफी भी अव्वल दर्जे की है|


अभिनय की बात की जाये तो सुनील शेट्टी का अभिनय जानदार है और अगर यह कहा जाए कि सुनील ने इस फिल्म में अपने करियर की अब तक की बेस्ट परफोर्मेंस दी है तो यह कहना गलत नहीं होगा|


आशीष विद्यार्थी और सीमा बिश्वास ने भी अपने किरदारों में जान फूंक दी है|समीरा रेड्डी ने इस फिल्म में अपने उम्दा अभिनय से सबको चौंका दिया है|साफ़ तौर पर कहा जाए तो फिल्म रेड अलर्ट एक गंभीर मगर बेहतरीन फिल्म है|



फिल्म समीक्षाः 'मिलेंगे मिलेंगे'

कास्ट : शाहिद कपूर, करीना कपूर, सतीश कौशिक, सतीश शाह, दिलनाज़ पॉल, आरती छाबरिया
निर्देशक : सतीश कौशिक
निर्माता : एस.के. फिल्म इंटरप्राइजेस, बोनी कपूर
संगीत : हिमेश रेशमिया
लेखक : शिराज अहमद
स्टार्स:1.5
शाहिद कपूर और करीना कपूर की फिल्म 'मिलेंगे मिलेंगे' हॉलीवुड फिल्म सेरेनडिपिटी का कमज़ोर रूपांतरण है| फिल्म की कहानी घूमती है ऐसे दो लोगों के इर्द-गिर्द जिन्हें किस्मत मिलाने के लिए खेल खेलती है|
फिल्म में करीना ने निभाया है प्रिया मल्होत्रा का किरदार जो कि किस्मत में बहुत विश्वास करती हैं और एक टैरो कार्ड रीडर किरण खेर के कहने पर अपने प्यार को ढूंढने बेंकॉक चली जाती है|जहां प्रिया की मुलाक़ात होती है इम्मी(शाहिद कपूर)से|
इम्मी(शाहिद कपूर) को इंप्रेस करने की कोशिश करता है और उससे झूठ बोलकर उसे यह जताने की कोशिश करता है कि वही प्रिया का मिस्टर राइट है जिसकी तलाश में वह बेंकॉक आई है|
प्रिया भी इम्मी की बातों में आकर उससे प्यार कर बैठती है|मगर जब उसे इम्मी की सच्चाई पता चलती है तो उसे बहुत दुःख पहुंचता है मगर वह तब भी इम्मी को दूसरा मौका देती है कि वह साबित करे कि वही वह इंसान है जिसकी उसे तलाश है|
बाद में प्रिया को इम्मी यही साबित करने की कोशिश में लगा रहता है और वही ट्रिक्स अपनाताहै जो हॉलीवुड फिल्म सेरेनडिपिटी में हीरो हीरोइन को इंप्रेस करने के लिए अपनाता है|फिल्म का पहले हिस्सा कोई खास प्रभावशाली नहीं है|
करीना केवल किस्मत की बातें ही करती रहती हैं वहीँ इम्मी सिवाए स्मोकिंग पर लेक्चर देने के अलावा कोई और काम नहीं करता|फिल्म के ज्यादातर हिस्सों में शाहिद को बेवजह सिगरेट पिटे हुए दिखाया गया है जिन्हें फिल्म में रखने की कोई जरुरत नहीं थी|
पहले हिस्से में सिर्फ शाहिद का लड़की बनना ही फिल्म में थोड़ा मज़ा ला पता है क्योंकि उस द्रश्य में वह काफी क्यूट लग रहे हैं मगर फिल्म के ख़राब ट्रीटमेंट की वजह से यह द्रश्य भी छाप नहीं छोड़ पाता|
फिल्म का दूसरा हिस्सा शरू होता है तीन साल के लीप के बाद जहां प्रिया और इम्मी को अपने-अपने मंगेतर के साथ मिलते हुए दिखाया जाता है|अलग अलग सगाई होने के बाद भी दोनों एक दूसरे से मिलना नहीं छोड़ पाते जिससे यह साफ़ हो जाता है कि दोनों एक दूसरे को अब भी भुला नहीं पाए हैं| आरती छाबरिया ने शाहिद कपूर की मंगेतर का किरदार निभाया है|
फिल्म में सब कुछ पहले से ही साफ़ होता है|ऐसा कुछ नहीं है जो दर्शकों की जिज्ञासा को बनाए रख सके|दर्शक आसानी से भांप जाते हैं कि अगले सीन में क्या होने वाला है|सतीश शाह और किरण खेर जैसे मंझे हुए कलाकारों ने यह फिल्म क्यों की किसी को समझ नहीं आता|सतीश कौशिक को भी इस फिल्म से ज्यादा कुछ हासिल नहीं होने वाला है|
शाहिद को फिल्म कमीने और ओमकारा में करीना की जबरदस्त एक्टिंग देखने के बाद इस फिल्म में उनकी एक्टिंग बचकानी लगती है|फिल्म काफी आउटडेटेड लगती है|फिल्म के कुछ हिस्सों में डायलॉग्स बहुत ज्यादा फ़िल्मी लगते हैं जो की दर्शक शायद ही पचा पाएं|
शाहिद-करीना के फैंस के लिए यह फिल्म दोनों को ऑन स्क्रीन देखने का आखरी मौका है| फिल्म में उनके रोमांटिक सींस काफी रियल लगते हैं और डायरेक्टर ने भी कभी रियल लाइफ कपल रह चुके इस जोड़े का रोमांटिक द्रश्यों को फिल्माने में खूब फायदा उठाया है|
इन दोनों पर फिल्माए गए दो गाने 'कुछ तो बाकी है' और 'मिलेंगे मिलेंगे' इन दोनों पर काफी अच्छी तरह से फिल्माए गए हैं|नहीं तो फिल्म में प्रिया और इम्मी बने शाहिद-करीना जब वी मेट के गीत और आदित्य के आस पास भी नज़र नहीं आते|

Tuesday, July 6, 2010

प्‍यार करने वालों के लिए आदर्श बन गए धोनी

देश के सबसे एलिजिबल बैचलर, मिस्टर कूल माही मैदान पर तो चौकोंऔर छक्कों की बौछार से लोगों का दिल जीत लेते हैं, लेकिन शोहरत के चरम पर पहुंच करउन्होंने जिस प्रकार अपने बचपन के प्यार का हाथ थामा, उससे उनकी लोकप्रियता में और बढ़ोतरी हुई है। धोनी अब तक हर क्रिकेट प्रेमी के दिल की ही धड़कन थे, पर अब वह प्‍यार करने वालों के लिए भी आदर्श बन चुके हैं। साक्षी सिंह रावत से शादी कर धोनी ने दिखा दिया है कि उनकी नजर में सच्‍चे प्‍यार से ऊपर कुछ भी नहीं है।

माही ने शादी के प्रस्तावों की बारिश के बीच, ग्लैमर, शोहरत और दौलत के बजाय उसे प्राथमिकता दी, जिसने उन्हें क्रिकेट फील्ड में उतरने से पहले ही क्लीन बोल्ड कर दिया था। धोनी और साक्षी एक-दूसरे को बेपनाह प्‍यार करते हैं। इसीलिए उन्‍होंने परिवार, उम्र, पढ़ाई-लिखाई, नाम-दौलत आदि की परवाह किए बिना शादी करने का फैसला किया। धोनी के पिता और साक्षी के पिता रांची में एक साथ काम करते थे। वे मेकॉन में काम करते थे। उस समय धोनी के परिवार की हैसियत अच्‍छी नहीं थी। कहा जा सकता है कि साक्षी का परिवार उनसे बेहतर स्थिति में था। पर आज धोनी के पास दौलत और शोहरत की कोई कमी ही नहीं है। माही देश के सबसे ज्यादा टैक्स चुकाने वाले व्यक्तियों में से एक हो गए। माही के पास, चार कारों में एक हमर भी शुमार है, जो साक्षी के परिवार का ख्वाब हो सकता है। इसके अलावा माही के गैरेज में 23 हाईस्पीड बाइक खड़ी हुई हैं। पर हैसियत में यह अंतर दोनों के लिए कोई मायने नहीं रखता।

अंतर केवल दोनों परिवारों की हैसियत में ही नहीं है। पढ़ाई-लिखाई के लिहाज से भी देखें तो साक्षी होटल मैनेजमेंट में ग्रेजुएट हैं, जबकि धोनी अभी ग्रेजुएशन नहीं कर पाए हैं। साक्षी ने दो महीने पहले ही डिग्री ली है और अब कोलकाता के होटल ताज बंगाल में काम कर रही हैं। धोनी राष्‍ट्रीय स्‍तर की क्रिकेट टीम में छह साल पहले ही शामिल किए जा चुके हैं और वह करियर में कई बुलंदियों को छू चुके हैं।



कोट



'महेंद्र सिंह धोनी का अतीत अब ज्यादा मायने नहीं रखता। अब सच यही है कि वह भारतीय क्रिकेट टीम के सफलतम कप्तानों में से एक हैं, औऱ उनके प्रस्ताव को शायद ही कोई नकारता। लेकिन बचपन की इस दोस्ती को शादी में बदलने का समाज पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।'
- प्रोफेसर अमृत्य बनर्जी, समाजशास्त्री


Monday, July 5, 2010

धोनी ने शादी में इसलिए की जल्दबाजी

यह खालिस माही स्टाइल था। चट सगाई पट ब्याह। टीम इंडिया के कप्तान धोनी ने अपनी मित्र साक्षी सिंह रावत के साथ रविवार को विवाह बंधन में बंध गए। इस मौके पर दोनों के परिजन और करीबी मित्र ही मौजूद थे। रिसेप्शन 7 जुलाई को मुंबई में होगा। सगाई शनिवार को ही हुई थी। देहरादून में धूमधाम से धोनी और साझी ने विवाह किया है और इसे लेकर देहरादून के लोगों में तो उत्साह है ही उधर रांची के लोग भी अपने इस लाडले की खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। देश भर में धोनी के क्रिकेट प्रशंसकों में धोनी के विवाह को लेकर क्रेज देखा जा रहा है और लोगों ने ट्विटर के माध्यम से धोनी तक अपनी शुभकामनाएं पहुंचाई है।

पर वहीं माही द्वारा चट मंगनी पट ब्याह की बात को लेकर लोगों में चर्चा भी खूब रही है। दरअसल धोनी ने इसलिए शादी जल्दी करने की सोची क्योंकि अगले 11 माह तक उनके पास शादी के लिए समय नहीं था। उन्हें जुलाई-अगस्त में श्रीलंका, सितंबर में चैंपियंस लीग खेलने के लिए द.अफ्रीका,अक्टूबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज, नवंबर में न्यूजीलैंड के खिलाफ घरु सीरीज में व्यस्त रहना होगा।

दिसंबर या आगामी जनवरी में भारतीय टीम का ऑस्ट्रेलिया दौरा भी प्रस्तावित है। इसके अलावा फरवरी-मार्च में भारत में ही वल्र्ड कप तथा उसके बाद अप्रैल- मई में आईपीएल-4 में व्यस्त रहना होगा।

साक्षी संग विवाह बंधन में बंध गए माही

यह खालिस माही स्टाइल था। चट सगाई पट ब्याह। टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी मित्र साक्षी सिंह रावत के साथ रविवार को विवाह बंधन में बंध गए। इस मौके पर दोनों के परिजन और करीबी मित्र ही मौजूद थे। रिसेप्शन 7 जुलाई को मुंबई में होगा। सगाई शनिवार को ही हुई थी।

देहरादून में साक्षी के घर शादी को लेकर सुबह से ही काफी हलचल देखी गई। रावत परिवार ने बिधौली में इस शादी के लिए एक फार्महाउस बुक कराया। दोनों परिवारों के सदस्य एक गेस्ट हाउस में एकत्र हुए। पुलिस ने फार्महाउस के आसपास कड़ी सुरक्षा कर दी। मीडिया को वहां पहुंचने का कोई मौका नहीं दिया गया। राजधानी से ४क् किमी दूर एक फार्महाउस में हुए समारोह में बॉलीवुड और क्रिकेट जगत की कई मशहूर हस्तियां नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए मौजूद थीं।

इनमें धोनी के मित्र और बॉलीवुड अभिनेता जान अब्राहम, क्रिकेटर आशीष नेहरा, सुरेश रैना, आरपी सिंह और पीयूष चावला शामिल हैं। बीसीसीआई के अध्यक्ष शशांक मनोहर भी खास मेहमान थे। हालांकि उनके आने की पुष्टि नहीं हो पाई। सचिन तेंडुलकर, वीरेन्द्र सहवाग और गौतम गंभीर शादी में शामिल नहीं हो पाए। बताया जा रहा है कि धोनी 7 जुलाई को मुंबई में रिसेप्शन देंगे।

उसी दिन वह अपना २९ वां जन्मदिन भी मनाएंगे।

ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं साक्षी..
२३ वर्षीय साक्षी रावत होटल मैनेजमेंट ग्रेजुएट हैं। 28 वर्षीय धोनी अभी ग्रेजुएट नहीं हो पाए हैं। धोनी के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि माही और साक्षी हालांकि एक-दूसरे को लंबे समय से जानते थे, लेकिन शादी दोनों परिवारों की सहमति से हो रही है।

आनन-फानन में बजी शहनाई.

बताया जाता है कि यह शादी पहले इस वर्ष अक्टूबर में होनी थी लेकिन व्यस्त क्रिकेट कार्यक्रम को देखते हुए इस शादी को आनन-फानन में जुलाई में ही करा दिया गया है। सगाई के अगले ही दिन शादी की शहनाई भी बज गइ

Sunday, July 4, 2010

धोनी ने की साक्षी संग सगाई

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने आखिरकार अपना जीवन साथी चुन लिया। देहरादून में शनिवार को उन्होंने साक्षी सिंह रावत के साथ सगाई कर ली। हालांकि अभी तक धोनी ने इस बात की पुष्टि नहीं की है, लेकिन उनके जीजा गौतम ने सगाई की पुष्टि कर दी है।

खबर है कि धोनी ने साक्षी सिंह रावत से देहरादून के एक होटल कॉम्पीटेंट में सगाई की। सगाई स्थल के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। फिलहाल साक्षी माता -पिता के साथ आसाम में रहती है। देहरादून में साक्षी की नानी का निवास बताया जा रहा है। साक्षी के करीबी रिश्तेदारों ने इस खबर की पुष्टि की है। इस सगाई को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था। धोनी सगाई को पूरी तरह से मीडिया की चकाचौंध से दूर रखना चाहते थे और इसी बात को ध्यान रखते हुए उन्होंने अपनी सगाई के बारे में किसी को कानो-कान खबर नहीं होने दी।

गौरतलब है कि पिछले दो सालों से धोनी और साक्षी के बीच प्रेम संबंध को लेकर अटकलें लगाई जाती रही हैं जिस पर आज मुहर लग गया है। धोनी और साक्षी बचपन के मित्र हैं। दोनों ने अपने स्कूल की पढ़ाई डीएवी श्यामली में की। साक्षी रावत फिलहाल होटल मैंनेजमेंट की छात्रा हैं।



Saturday, July 3, 2010

'आई हेट लव स्टोरीज़'


कास्ट:इमरान खान,सोनम कपूर,समीर दत्तानी,समीर सोनी,ब्रूना अब्दुल्ला
निर्देशक:पुनीत मल्होत्रा
निर्माता:करण जौहर, हीरू जौहर,रॉनी स्क्रूवाला
म्यूज़िक डायरेक्टर:विशाल शेखर
रेटिंग:2.5

फिल्म आई हेट लव स्टोरीज़ की कहानी जय(इमरान खान)और सिमरन(सोनम कपूर)के इर्द गिर्द घूमती है|जय एक नौजवान युवक है जो बॉलीवुड के सबसे बड़े रोमांटिक फिल्ममेकर वीर( समीर सोनी) का असिस्टेंट डायरेक्टर है|जय स्वभाव से बहुत ही फ्लर्टी किस्म का युवक है|जो हर लड़की के साथ फ्लर्ट करने में यकीन करता है|
वहीं दूसरी तरफ सिमरन(सोनम कपूर)बहुत ही रोमांटिक लड़की है|वह सोते जागते सिर्फ सच्चे प्यार के सपने देखती रहती है|सिमरन की लाइफ में सब कुछ बहुत ही परफेक्ट है|अच्छी जॉब,परफेक्ट बॉयफ्रेंड राज मगर यह तब परफेक्ट रहती है जब तक इसमें जय की एंट्री नहीं होती है|
सिमरन को भी उसी डायरेक्टर के साथ काम करने का मौका मिलता है जहां जय काम कर रहा होता है|एक लव स्टोरी पर काम करते करते इन दोनों की ज़िन्दगी में क्या उतार चढ़ाव आते हैं|फिल्म की कहानी इसी के इर्द गिर्द है|
फिल्म में सबसे ज्यादा आपको आकर्षित करता है इस फिल्म का टाइटल'आई हेट लव स्टोरीज़'|नए डायरेक्टर पुनीत मल्होत्रा ने इसे टिपिकल मसाला रोमांटिक फिल्म की तरह पेश किया है|जिसमें कुछ नया नहीं है|
फिल्म सिंपल है मगर आकर्षित करती है|मगर फिल्म की खास बात है इमरान सोनम की फ्रेश जोड़ी जो दर्शकों को अपनी और खीचने में कामयाब नज़र आती है|फिल्म में इन दोनों की केमिस्ट्री कमाल की है जो युवा दर्शकों को काफी पसंद आएगी|
इमरान-सोनम की तकरार धीरे-धीरे प्यार में बदलने लगती है|जय(इमरान)को लड़कियां तो पसंद हैं मगर उसे लड़कियों वाली आदत से सख्त नफरत है मगर वह धीरे धीरे बदलने लगता और सोनम को खुश करने के लिए फ़िल्मी स्टाइल अपनाता है|और प्यार में विश्वास न करने वाला जय सिमरन के लिए सेकंड हाफ में आंसू तक बहाते हुए देखा जाता है|


फिल्म का क्लाइमेक्स हमें इमरान की पहली फिल्म जाने तू या जाने न की याद दिलाता है जहां इमरान जेनेलिया को अमेरिका जाने से रोकने के लिए घोड़े पर स्वर होकर एअरपोर्ट जाते हैं|


फिल्म के डायरेक्टर पर लगता है अन्य बॉलीवुड फिल्मों और मिल्स एंड बूंस नोवेल का ज्यादा ही प्रभाव है|इमरान-सोनम के बीच के सीक्युन्सेस काफी अच्छी तरह से लिखे गए हैं|मगर सोनम के उनके पेरेंट्स और बॉयफ्रेंड समीर दत्तानी के साथ फिल्माए गए द्रश्य काफी कमज़ोर नज़र आते हैं|


नए डायरेक्टर पुनीत ने बहुत ही बढ़िया तरीके से दोनों एक्टर्स के किरदार को पिरोया है|कहीं कहीं तो आप जय और सिमरन की दुनिया में खो जाते हैं|विशाल-शेखर का संगीत काफी कैची है और युवाओं को काफी लुभा भी रहा है|बिन तेरे और बहारा गाने कमाल के हैं|


फिल्म में कलाकारों के अभिनय की बात की जाए तो अभिनय ठीक है|फिल्म में सोनम की स्क्रीन प्रजेंस कमाल की है|वह फिल्म में बेहद खूबसूरत लगी हैं|पुनीत का निर्देशन साधारण है|फिल्म पैसा वसूल है और युवाओं को काफी पसंद आएगी|