Tuesday, July 6, 2010

प्‍यार करने वालों के लिए आदर्श बन गए धोनी

देश के सबसे एलिजिबल बैचलर, मिस्टर कूल माही मैदान पर तो चौकोंऔर छक्कों की बौछार से लोगों का दिल जीत लेते हैं, लेकिन शोहरत के चरम पर पहुंच करउन्होंने जिस प्रकार अपने बचपन के प्यार का हाथ थामा, उससे उनकी लोकप्रियता में और बढ़ोतरी हुई है। धोनी अब तक हर क्रिकेट प्रेमी के दिल की ही धड़कन थे, पर अब वह प्‍यार करने वालों के लिए भी आदर्श बन चुके हैं। साक्षी सिंह रावत से शादी कर धोनी ने दिखा दिया है कि उनकी नजर में सच्‍चे प्‍यार से ऊपर कुछ भी नहीं है।

माही ने शादी के प्रस्तावों की बारिश के बीच, ग्लैमर, शोहरत और दौलत के बजाय उसे प्राथमिकता दी, जिसने उन्हें क्रिकेट फील्ड में उतरने से पहले ही क्लीन बोल्ड कर दिया था। धोनी और साक्षी एक-दूसरे को बेपनाह प्‍यार करते हैं। इसीलिए उन्‍होंने परिवार, उम्र, पढ़ाई-लिखाई, नाम-दौलत आदि की परवाह किए बिना शादी करने का फैसला किया। धोनी के पिता और साक्षी के पिता रांची में एक साथ काम करते थे। वे मेकॉन में काम करते थे। उस समय धोनी के परिवार की हैसियत अच्‍छी नहीं थी। कहा जा सकता है कि साक्षी का परिवार उनसे बेहतर स्थिति में था। पर आज धोनी के पास दौलत और शोहरत की कोई कमी ही नहीं है। माही देश के सबसे ज्यादा टैक्स चुकाने वाले व्यक्तियों में से एक हो गए। माही के पास, चार कारों में एक हमर भी शुमार है, जो साक्षी के परिवार का ख्वाब हो सकता है। इसके अलावा माही के गैरेज में 23 हाईस्पीड बाइक खड़ी हुई हैं। पर हैसियत में यह अंतर दोनों के लिए कोई मायने नहीं रखता।

अंतर केवल दोनों परिवारों की हैसियत में ही नहीं है। पढ़ाई-लिखाई के लिहाज से भी देखें तो साक्षी होटल मैनेजमेंट में ग्रेजुएट हैं, जबकि धोनी अभी ग्रेजुएशन नहीं कर पाए हैं। साक्षी ने दो महीने पहले ही डिग्री ली है और अब कोलकाता के होटल ताज बंगाल में काम कर रही हैं। धोनी राष्‍ट्रीय स्‍तर की क्रिकेट टीम में छह साल पहले ही शामिल किए जा चुके हैं और वह करियर में कई बुलंदियों को छू चुके हैं।



कोट



'महेंद्र सिंह धोनी का अतीत अब ज्यादा मायने नहीं रखता। अब सच यही है कि वह भारतीय क्रिकेट टीम के सफलतम कप्तानों में से एक हैं, औऱ उनके प्रस्ताव को शायद ही कोई नकारता। लेकिन बचपन की इस दोस्ती को शादी में बदलने का समाज पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।'
- प्रोफेसर अमृत्य बनर्जी, समाजशास्त्री


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