Friday, July 16, 2010

'लम्हा' फिल्म समीक्षा

फिल्म:लम्हा

निर्माता:बंटी वालिया

निर्देशक:राहुल ढोलकिया

स्टार कास्ट:संजय दत्त,बिपाशा बासु,कुणाल कपूर,अनुपम खेर,मुरली शर्मा

गंभीर विषयों पर फिल्में बनाने का आजकल एक ट्रेंड बॉलीवुड में देखने को मिल रहा है|पिछले हफ्ते अनंत महादेवन ने नक्सलवाद जैसे संवेदनशील मसले को अपनी फिल्म 'रेड अलर्ट' में पेश किया और अब राहुल ढोलकिया लेकर आए हैं 'लम्हा'|यह फिल्म कश्मीर में फैले आतंकवाद पर आधारित है|

वैसे राहुल ढोलकिया इससे पहले 'परजानिया' जैसी एक बेहतरीन फिल्म बना चुके हैं इसलिए 'लम्हा' से दर्शकों की उम्मीद और अधिक बढ़ जाती है|अब सवाल यह उठता है कि क्या राहुल इस गंभीर विषय के साथ न्याय करने में सफल रहे|


वैसे फिल्म के ट्रीटमेंट की बात की जाए तो 'लम्हा' परजानिया के पास नज़र आती है|राहुल ढोलकिया को दाद देनी होगी जो उन्होंने इतने विवादस्पद मुद्दे पर फिल्म बनानेकी हिम्मत दिखाई|
ढोलकिया ने कश्मीर से जुडी समस्या को करीब से दिखने कि कोशिश की है|इस फिल्म को आप एक डोक्यू ड्रामा कह सकते हैं|

फिल्म के शुरुआती 40 मिनट अंत्यंत प्रभावशाली हैं|फिल्म की कहानी आधारित है 1989 में हुए मिशन 89 पर जब कश्मीरी मुस्लिम समुदाय ने जमीन के लिए कश्मीरी पंडितों से लड़ाई मोल ले ली थी और इस बात पर काफी हंगामा भी हुआ था|


संजय दत्त इस फिल्म में विक्रम नाम के मिलिटरी ऑफिसर के किरदार में हैं जो आतंकवादी संगठन के इरादों को नाकाम करने के एक मिशन में एक अन्दर्कावर एजेंट (गुल जहाँगीर)बनकर कश्मीर जाता है|हाजी शाह(अनुपम खेर)1989 के उसी खौफनाक मंज़र को फिर से दोहराना चाहता है और वह घटी में होने वाले चुनावों के मद्देनज़र एक बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में है|

हाजी के इरादों को नाकाम करने के लिए ही विक्रम (संजय) घटी में आते हैं और उसपर कड़ी नज़र रखते हैं|हाजी की भांजी के रूप में नज़र आईं हैं बिपाशा बासु जिन्होंने अजीजा का किरदार निभाया है|अजीजा को हाजी ने अपने घर में पनाह दी है क्योंकि वह 1989 में हुए बम ब्लास्ट में अपने परिवार को खो चुकी है|इसी संगठन में कुणाल कपूर भी होते हैं जिन्होंने आतिफ का किरदार निभाया है मगर हाजी और उसकी विचारधारा से तंग आकर वह यह गैंग छोड़ देता है और अपने बल बूते पर चुनाव लड़ने का मन बना लेता है|


एक डोक्यू ड्रामा के तौर पर बात की जाए तो फिल्म की शुरुआत प्रभावशाली है मगर बीचमें डायरेक्टर की पकड़ कहानी पर कमज़ोर नज़र आती है|कमज़ोर स्क्रीनप्ले के चलते अच्छी कहानी भी कमज़ोर हो जाती है|एडिटिंग भी उतनी दमदार नहीं जितनी कहानी के हिसाब से होनी चाहिए||सिनेमाटोग्राफी अच्छी है मगर डा यलॉग्स और बेहतर हो सकते थे|


अभिनय की बात की जाए तो संजय दत्त हमेशा की तरह बेहतरीन हैं|बिपाशा बासु ने इस फिल्म में अब तक की सबसे बढ़िया एक्टिंग की है|कुणाल कपूर का अभिनय ठीक है मगर उन्हें अपनी डा य लोग डिलीवरी पर काफी मेहनत करने की जरुरत है|अनुपम खेर ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है|


साफ़ तौर पर कहा जाए तो लम्हा एक बेहतरीन कहानी के बावजूद कमज़ोर एडिटिंग और ख़राब स्क्रीनप्ले की वजह से उतना प्रभाव नहीं छोड़ पति जितनी की उम्मीद की जा रही थी|


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