Sunday, August 1, 2010

पैसा कमाने का शोर्ट कट

दिए हुए फोटो पर केवल एक क्लिक करके केवल एक मिनट में अपना अकाउंट बनाये और कमाए 10$ इसके बादआपको जो काम दिया जाये वो करो और आप एक महीने में कमा सकते है लगभग 1200$ यानि आप घर बैठे कमासकते है 50,000 से 55,000 रूपये
तो देर करो और इस सुहाने अवसर का लाभ उठाये .



मेरे पिता ने नहीं दिया साथ : डिंपी

पति से सुलह होने के बाद डिंपी ने खुलासा किया है कि राहुल से झगड़े के वक्त उसके पिता ने उसका साथ नहीं दिया। वे राहुल के पक्ष में थे और सुलह कराने का लगातार प्रयास करते रहे। डिंपी ने कहा कि उनके पिता ने राहुल को अच्छा लड़का बताते हुए पति के घर लौटने के लिए राजी कर लिया।

जबकि फोन पर मां से बाचतीच के दौरान जब उसने खुद को बेहद अकेला महसूस करने की बात कही, तो मां ने राहुल का घर छोड़कर कोलकाता आने की सलाह दी। पति राहुल से सुलह के एक दिन बाद ही डिंपी के आये इस बयान से साफ हो जाता है कि ‘पति, पत्नी और वो’ इस झगड़े में अभी और रोमांचक मोड़ आने बाकी है।

वैसे राहुल से स्वयंवर करने से पहले डिंपी के भी नील शाह नामक युवक से अफेयर था। लिहाजा पूरे विवाद के लिए सिर्फ और सिर्फ राहुल को ही उनके करीबी दोस्त जिम्मेदार नहीं मानते हैं।

मेरे पिता ने नहीं दिया साथ : डिंपी

पति से सुलह होने के बाद डिंपी ने खुलासा किया है कि राहुल से झगड़े के वक्त उसके पिता ने उसका साथ नहीं दिया। वे राहुल के पक्ष में थे और सुलह कराने का लगातार प्रयास करते रहे। डिंपी ने कहा कि उनके पिता ने राहुल को अच्छा लड़का बताते हुए पति के घर लौटने के लिए राजी कर लिया।

जबकि फोन पर मां से बाचतीच के दौरान जब उसने खुद को बेहद अकेला महसूस करने की बात कही, तो मां ने राहुल का घर छोड़कर कोलकाता आने की सलाह दी। पति राहुल से सुलह के एक दिन बाद ही डिंपी के आये इस बयान से साफ हो जाता है कि ‘पति, पत्नी और वो’ इस झगड़े में अभी और रोमांचक मोड़ आने बाकी है।

वैसे राहुल से स्वयंवर करने से पहले डिंपी के भी नील शाह नामक युवक से अफेयर था। लिहाजा पूरे विवाद के लिए सिर्फ और सिर्फ राहुल को ही उनके करीबी दोस्त जिम्मेदार नहीं मानते हैं।

पायल एक नंबर की ड्रामेबाज है: राहुल

पायल एक नंबर की ड्रामेबाज लड़की है ये कहना है वरिष्ठ भाजपा नेता स्व. प्रमोद महाजन के बेटे राहुल महाजन का। अपनी पत्नी डिंपी गांगुली से हुए झगड़े को लेकर राहुल एक बार फिर चर्चा में हैं। यही नहीं पिछले दिनों डिंपी ने राहुल पर मारपीट करने का आरोप लगाया था और फिर पायल ने भी मारपीट की तोहमत लगाई थी। डिंपी अपने माता-पिता के पास कलकत्ता चली गई थीं।

लेकिन अपने पिता के समझाने पर वापस राहुल के पास आ गई हैं। डिंपी ने दो दिन पहले ही राहुल पर हेंगर को हंटर की तरह उपयोग कर मारने का आरोप लगाया था। आज दोनों ही सिद्धिविनायक के मंदिर पहुंचे जहां पर मीडियाकर्मियों से राहुल ने कहा कि हमने प्रार्थना की है कि हमारे सारे विघ्न दूर हो जाएं। राहुल का कहना है कि हम पति-पत्नी अपने बीच के मतभेदों को दूर करेंगे। मैं अपने पति होने का फर्ज निभाऊंगा।

मुझे पीटता था राहुल: पायल

पहली बीवी श्वेता सिंह फिर दूसरी बीवी डिंपी गांगुली और अब पूर्व प्रेमिका पायल रोहतगी ने राहुल महाजन पर पीटने की तोहमत लगाई है। पत्नी डिंपी के साथ हुए झगड़े के नाटकीय अंत के बाद राहुल पर उसकी पूर्व गर्लफ्रेंड पायल ने यह आरोप लगाकर सनसनी फैला दी है।

कहीं झगड़े की जड़ पायल तो नहीं

वरिष्ठ भाजापा नेता स्व. प्रमोद महाजन के बेटे राहुल और पायल रोहतगी के बीच रहा अफेयर किसी से छुपा नहीं है। दरअसल राहुल और डिंपी महाजन के बीच झगड़े की नींव पायल के अप्रैल महीने में आए एक बयान के बाद ही पड़ी।

उन्होंने तब ‘राहुल तो मुझसे शादी करना चाहते थे’ यह बयान दिया था। इतना ही नहीं पायल ने ‘राहुल दुल्हनिया ले जाएगा’ इस रियलिटी शो के स्वयंवर में शामिल होने के लिए 1 करोड़ रुपए की ऑफर भी उनकी ओर से मिलने का सनसनीखेज खुलासा किया था। इसके बाद पायल का बयान 28 जुलाई को आया।

इस बार उन्होंने राहुल पर रात के वक्त फोन और एसएमएस कर परेशान करने का आरोप लगाया। महत्वपूर्ण है कि पायल के इस आरोप के अगले दिन यानी 29 जुलाई को ही राहुल ने अपनी दूसरी पत्नी डिंपी की पिटाई की।

बेहद खतरनाक है राहुल

पायल रोहतगी ने राहुल पर ताजा आरोप लगाया कि जब उनके और राहुल के बीच अफेयर चल रहा था, तब राहुल ने उनकी भी कई बार पिटाई की थी। इतना ही नहीं एक बार तो राहुल ने गुस्से में उसका सिर ही दीवार से पटक दिया था।

पायल ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में राहुल को बेहद खतरनाक व क्रूर बताते हुए आरोप लगाया है कि जब वे किसी लड़की को पसंद करते हैं, तो उसे दिन में 200 कॉल करते हैं। और जब गुस्से में होते हैं, तो बेहद खतरनाक बन जाते हैं। पायल का यहां तक कहना है कि पत्नी डिंपी से मारपीट होने के बाद राहुल ने उसे फोन किया और कहा कि यदि उसने उसे नहीं अपनाया, तो वह आत्महत्या कर लेगा।

पानी-पानी पाकिस्तान,900 मरे

पाकिस्तान में आई भीषण बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। करीब नौ सौ लोग मारे जा चुके है और दस लाख से ज्यादा प्रभावित हुए हैं। बारिश ने आठ दशक का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। राहत कार्र्यो में सेना की मदद ली जा रही है।

पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी प्रांत के सूचना मंत्री मियां इफ्तखार हुसैन के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते के दौरान हुई मूसलधार बारिश से अनेक नदियों के तटबंध टूट गए हैं। प्रांत की राजधानी पेशावर, चारसद्दा और नौशेरा जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।


तीस लाख की आबादी वाले पेशावर शहर का संपर्क लगातार तीसरे दिन भी मुल्क के अन्य हिस्सों से कटा रहा। कोहिस्तान जिले में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे 200 चीनी नागरिक भी फंसे हुए हैं। प्रांत में आठ सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।


उधर ,पंजाब प्रांत में 50 लोग मारे गए हैं, जबकि पाक अधिकृत कश्मीर में 30 के मारे जाने की खबर है। स्वात नदी में आए उफान से इसके किनारे स्थित अनेक मकान और होटल ढह गए हैं। बाढ़ से लाखों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। जगह-जगह सड़कें टूटने से राहत कर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

Friday, July 30, 2010

राहुल महाजन ने किया पिता का नाम खराब

राहुल महाजन एक बार फिर अपनी हरकतों की वजह से विवादों के बवंडर में फंस गये हैं। उनकी पत्नी डिंपी गांगुली ने मारपीट और गाली-गलौज करने का आरोप लगाते हुए उनका वरली स्थित घर छोड़ अपने पिता के यहां चली गई हैं।

‘राहुल दुल्हनिया ले जायेगा’ इस रियलिटी शो में स्वयंवर के जरिये इसी साल मार्च महीने में राहुल महाजन ने कोलकाता की मॉडल डिंपी गांगुली से विवाद किया था। मगर अब दोनों के वैवाहिक रिश्ते में दरार पड़ गई है।

डिंपी गांगुली का आरोप :

राहुल की पत्नी डिंपी का आरोप है कि गुरुवार की भोर करीब ३.३क्बजे उसके मोबाइल पर एक एसएमएस आया था। राहुल ने इस मैसेज को पढ़ने की कोशिश की मगर कि-पैड लॉक होने की वजह से वह एसएमएस नहीं पढ़ पाया।

इसके बाद उसने डिंपी को नींद में से उठाकर उसके मोबाइल का कि-पैड कैसे ऑन होता है? और आये हुए मैसेज के बारे में पूछना शुरू किया। नींद में होने की वजह से डिंपी ने राहुल को सो जाने की सलाह दी और सुबह इस बारे में बात करने को कहा।

इस बात से गुस्साये राहुल ने डिंपी को मारना पीटना और उसके साथ गाली-गलौज करना शुरू कर दिया। डिंपी का कहना है कि अपने बचाव के लिए उसने भी राहुल को मारा और गुरुवार की सुबह ३.३क् बजे ही घर छोड़ दिया।

उसका कहना है कि अपने पति के घर से बाहर आने बाद उसने पूरी घटना की जानकारी अपने पिता को फोन के जरिये दी। सुबह ४ बजे जब उसके पिता घर पर आये, तो वह फिर वहां आई और अपना सामान लेकर पिता के साथ चली गई।

डिंपी का आरोप है कि स्वयंवर के बाद से ही राहुल अक्सर उसके साथ मारपीट करते रहे हैं। एक बार तो उसने अपनी सास को भी राहुल को समझाने के लिए घर बुलाया। जिसके बाद दोनों के बीच रिश्ते और तनावग्रस्त हो गये। डिंपी का आरोप है कि स्वभाव से अच्छे राहुल गुस्से में अपना आपा खो बैठते हैं। गुस्से में राहुल क्या कर बैठेगा? इसका उसे खुद पता नहीं होता है। डिंपी का कहना है कि ऐसी ही एक बार हुए झगड़े में राहुल ने उस पर गन तान दी थी।

क्यों नाराज है राहुल :

राहुल महाजन आखिर अपनी दूसरी पत्नी डिंपी के साथ मारपीट क्यों कर रहा है? इस जवाब खुद डिंपी ने दिया है। उसका कहना है कि सब से उसने दूसरे वर्ष की परीक्षा देने की शुरुआत की है। दोनों के बीच तनाव बढ़ा है। दरअसल राहुल को उसका इस सिलसिले में बार-बार कोलकाता जाना जरा भी पसंद नहीं है।

विवादों से पुराना रिश्ता :

वरिष्ठ भाजपा नेता स्व. प्रमोद महाजन के एकलौते बेटे राहुल महाजन का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है। पिता की मौत के बाद वे सबसे पहले ड्रग्स सेवन करने के आरोप के चलते सुर्खियों में आये। इसके बाद वे अपनी प्रेमिका श्वेता सिंह से विवाह करने और अगस्त 2008 को उससे तलाक लेने की वजह से चर्चा में आये। इसी तरह ‘बिग बॉस’ में पायल रोहितगी और मोनिका बेदी से इश्क लड़ाने के कारण भी राहुल विवाद में फंसे थे।

'वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई'

प्रोड्यूसर:एकता कपूर,शोभा कपूर
डायरेक्टर:मिलन लुथरिया
कलाकार:अजय देवगन,इमरान हाश्मी,कंगना राणावत,प्राची देसाई और रणदीप हुड्डा
रेटिंग:3रिलीज़ से पहले कई विवादों में फंस चुकी फिल्म 'वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई' कहने की जरुरत नहीं 70 के दशक पर आधारित एक फिल्म है|फिल्म की कहानी है घूमती है सुल्तान मिर्ज़ा(अजय देवगन) और शोएब खान(इमरान हाश्मी)के इर्द गिर्द जिनकी कहानी को एसीपी एग्नल विल्सन सुनाता है|एसीपी एग्नल विल्सन की भूमिका अदा की है रणदीप हुड्डा ने|
फिल्म की शुरुआत होती है एसीपी(रणदीप हुड्डा)पर फिल्माए गए एक सीन से जहां वह अस्पताल में भर्ती है क्यों कि उसने आत्महत्या करने की कोशिश की है|एसीपी से मिलने उसके एक उच्च अधिकारी आते हैं और एसीपी से यह जानने की कोशिश करते हैं कि उसने एक काबिल पुलिस अफसर होते हुए भी आत्महत्या करने जैसा कदम क्यों उठाया|तब एसीपी उन्हें सुल्तान(अजय देवगन) की कहानी सुनाता है|वह सुल्तान की मौत का जिम्मेदार खुद को मानता है जिसकी मौत के बाद मुंबई वह मुंबई नहीं रही जो पहले हुआ करती थी|
कहानी कुछ यूं आगे बढ़ती है...सुल्तान मिर्ज़ा नाम का एक छोटा सा बच्चा बाढ़ के पानी में बहता हुआ मुंबई आ जाता है|यह छोटा बच्चा(सुल्तान)मजदूरी कर अपना पेट भरता है|


इसी दौरान उसकी मुलाक़ात ऐसे गलत लोगों से हो जाती है जो उसे ज्यादा पैसा कमाने का लालच देते हैं और फिर वह बड़ा होकर एक स्मगलर बन जाता है|वह पैसा कमाने के लिए गलत रास्ते का इस्तेमाल तो करता है मगर साथ ही दरियादिल भी है|वह गरीबों का मसीहा है|
इस दमदार माफिया को कोई नहीं झुका सकता मगर उसकी केवल एक ही कमजोरी है रिहाना जिसका किरदार निभाया है कंगना राणावत ने|रिहाना एक चर्चित अदाकारा है|किस्मत इन दिनों को आमने सामने लेकर आती है और सुल्तान रिहाना को प्रपोज़ कर देता है|
काफी सोचने के बाद रिहाना भी सुल्तान का प्रेम प्रस्ताव मंजूर कर लेती है और फिर शुरू होता है इन दोनों का रोमांस|जिसे काफी दिलचस्प रेट्रो अंदाज़ में फिल्माया गया है|


इन दोनों की प्रेम कहानी के बाद फिल्म की कहानी घूमती है शोएब खान(इमरान हाश्मी)की तरफ जो कि एसीपी एग्नल के अंडर काम करने वाले एक पुलिस इन्स्पेक्टर का बेटा है|शोएब बहुत ही तेज़ तर्रार,चालक किस्म का इन्सान है जो पैसों के लिए कुछ भी कर सकता है|
शोएब के पिता को अपने बेटे की करतूतों की पूरी जानकारी है|इसलिए उसे सुधारने के लिए वह सुल्तान का दरवाज़ा खटखटाता है|सुल्तान शोएब के पिता की बात सुन उसे एक दुकान खोलकर देता है|


शोएब एक ज्वेलरी शॉप में काम करने वाली एक लड़की मुमताज़(प्राची देसाई) से दीवानों की तरह प्यार करता है|इसी दौरान शोएब से सुल्तान प्रभावित हो जाता है और उसे अपनी गैंग में शामिल कर लेता है|जल्द ही शोएब सुल्तान का खास आदमी बन जाता है|
इसी दौरान सुल्तान की गर्ल फ्रेंड रिहाना की तबियत अचानक बहुत बिगड़ जाती है|अस्पताल में इलाज़ के दौरान पता चलता है की रिहाना के दिल में छेद है और वह इस दुनिय में चंद दिनों की ही मेहमान है|
सुल्तान को यह बात बुरी तरह तोड़ देती है और वह रिहाना की ख़ुशी के लिए सारे बुरे काम छोड़ चुनाव में खड़े होकर गरीबों की मदद करने का फैसला करता है और इसलिए कुछ दिनों के लिए दिल्ली जाता है|दिल्ली जाने से पहले वह अपने सारे कारोबार की जिम्मेदारी शोएब को देकर जाता है|
सुल्तान की गैर मौजूदगी में शोएब आज़ादी का गलत फायदा उठाता है और ऐसे गैर क़ानूनी काम करता है जिससे मुंबई में अशांति फैल जाती है और कई लोगों की मौत हो जाती है| वह इतना गिर जाता है की एक चुनावी रैली के दौरान सुल्तान को मरने का प्लान भी बनाता है और उसे मरकर उसकी सारी सत्ता अपने नाम कर लेता है|


एसीपी एग्नल को इसी बात का अफ़सोस होता है की सब कुछ पता होते हुए भी वह सुल्तान को नहीं बचा पाते इसलिए वह भी आत्महत्या कर अपने गुनाह का प्रायश्चित करने का प्रयास करता है|
काफी नकारने के बाद भी फिल्म की कहानी अंडरवर्ल्ड डान हाजी मस्तान और दाउद इब्राहीम के रिश्तों पर ही आधारित नज़र आती है|फिल्म की कहानीको एक रेट्रो टच देने की कोशिश जरुर की गयी है मगर फिल्म मेकर इसमें ज्यादा सफल नहीं हो पाए हैं|कहानी के प्रभावशाली संवाद दर्शकों को अंत तक बांधे रखने में कामयाब होते हैं|फिल्म की सिनेमाटोग्राफी जबरदस्त है जो की कलाकरों के किरदार को स्थापित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है|
अजय देवगन की एक्टिंग जानदार है और इमरान हाश्मी ने भी शोएब के रोड साइड रोमो वाले किरदार को बखूबी निभाया है|रेट्रो स्टाइल में कंगना राणावत बहुत ही खूबसूरत लगी हैं|
उन्हें देखकर पुरानी अभिनेत्रियों की याद ताज़ा हो जाती है|प्राची देसाई का अभिनय ठीक ठाक है और उनका बौबी लुक भी कुछ खास प्रभावी नहीं है |आजकल फिल्म के प्रभाव को बनाए रखने के लिए उसमें गानों की संख्या घटाई जा रही है मगर इस फिल्म के रोमांटिक गाने दर्शकों को बेहद पसंद आएंगे|यह फिल्म दर्शकों को जरुर पसंद आएगी|

:तेरे बिन लादेन

फिल्म:तेरे बिन लादेन


निर्माता:पूजा शेट्टी देवड़ा ,आरती शेट्टी

डायरेक्टर:अभिषेक शर्मा

स्टार कास्ट:अली जाफर,प्रद्युमन सिंह,सुगंध गर्ग,निखिल रत्नपारखी,पीयूष मिश्रा,राहुल सिंह,सीमा भार्गव ओर बैरी जॉन

स्टार रेटिंग:3 1/2

बहुत ही कम फिल्में ऐसी होती हैं जो रिलीज़ होने से पहले सुर्खियां बटोरती हैं मगर वह लोगों की उम्मीद पर भी उतनी ही उतर पाती हैं जितनी की उसकी चर्चा की जाती है|तेरे बिन लादेन एक ऐसी ही फिल्म है|यह फिल्म भारतीय सिनेमा में आ रहे बदलाव का एक जबरदस्त उदहारण है|फिल्म की कहानी बहुत ही सिंपल है मगर फ्रेश है मगर उससे भी प्रभावशाली है फ़िल्म का ट्रीटमेंट|


अभिषेक शर्मा द्वारा लिखी गई बेहतरीन पटकथा ओर उससे भी मज़ेदार हैं फ़िल्म के डायलॉग जो की आपको गुदगुदा जाते हैं|सबसे बड़े आतंकवादी ओसामा बिन लादेन पर बिना किसी कीभावनाओं को आहात किए बगैर यह फिल्म आपको बांधे रखने में सफल नज़र आती है|यहां तक की बिन लादेन ही इस फिल्म की कहानी की जान बनकर उभरता है|


फिल्म की कहानी आधारित है अली हसन(अली जाफर) पर जो कि पाकिस्तानी चैनल 'सी'न्यूज़ का एक लोकल रिपोर्टर है ओर अमेरिका में बसने का खवाब देखता रहता है |अली अमेरिका जाने के लिए कुछ भी कर सकता है| एक फर्जी वीजा बनाने वाली कंपनी अली से बीस लाख रुपए लेकर उसे अमेरिका पहुंचाने की बात कहती है और अली बीस लाख रुपए जुटाने में लग जाता है|


एक दिन अचानक अली और उसके कैमेरा पर्सन गुल(निखिल रत्नापारखी)की नज़र पड़ती है एक पोल्ट्री फार्म मालिक नूरा(प्रद्युमन सिंह)पर जिसकी शक्ल हूबहू मिलती है दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी ओसामा बिन लादेन से|नूरा को देखकर अली और गुल मिलकर उसकी विडियो कैसेट बनाकर चैनल मालिक मजीद(पीयूष मिश्रा)को बेचने का प्लान बनाते हैं जिसमें वह यह दिखाएंगे कि ओसामा बिन लादेन पूर्व अमेरिकी प्रेसिडेंट जोर्ग बुश को चेतावनी दे रहा है|


इस विडियो कैसेट से अमरीकी ख़ुफ़िया तंत्र में खलबली मच जाती है जिसके प्रमुख है टेड(बैरी जॉन)और वह पूरे पाकिस्तान में लादेन और उसके खबरी (अली) को ढूंढने के लिए एक मिशन चला देते हैं| अली भी पकड़ा जाता और ओसामा का हमशक्ल नूरा भी|अब आगे क्या होता है और क्या अली कभी अपने सपने को पूराकर पाता है फिल्म में यह देखना बहुत ही दिलचस्प बन जाता है|


डायरेक्टर अभिषेक शर्मा ने कमाल का निर्देशन किया है|फिल्म की एडिटिंग और स्क्रीनप्ले भी बहुत ही बढ़िया है|नकली ओसामा ने डरावने हावभाव बहुत ही बेहतरीन हैं और यही फिल्म की जान है|अली औरकैमरामेन ने फिल्म में खूब हंसाया है|


अभिनय की बात की जाए तो अली जाफर और प्रद्युमन सिंह का अभिनय बेहतरीन है|निखिल और सुगंधा गर्ग ने अपना रोल बखूबी निभाया है|साफ़ तौर पर कहा जाए तो तेरे बिन लादेन एक बहुत ही बेहतरीन फिल्म है और इसे जरुर देखना चाहिए|

Thursday, July 29, 2010

इस्लामाबाद विमान हादसा, 155 मरे

इस्लामाबाद की मरगला पहाड़ियों में बुधवार को पाकिस्तान की निजी विमान सेवा एयर ब्लू के एक विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से उसमें सवार सभी 155 लोगों की मौत हो गई। विमान तुर्की से कराची के रास्ते इस्लामाबाद आ रहा था।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विमान बहुत कम ऊंचाई पर उड़ रहा था। थोड़ी देर में ही यह धमाके के साथ आग के गोले में तब्दील हो गया। हादसे के वक्त राजधानी में बारिश हो रही थी और घना कोहरा छाया हुआ था। हादसा संभवत: खराब मौसम की वजह से हुआ। विमान का मलबा दो पहाड़ियों के बीच फैल गया और मानव अंग भी इधर-उधर बिखरे दिखाई दिए। इससे बचाव कर्मियों को खासी मशक्कत का सामना करना पड़ा।


पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक ने विमान में सवार सभी लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है। प्रारंभिक खबरों में कुछ यात्रियों के बचने बात कही गई थी। हादसे की शिकार एयरबस ए-321 में 147 यात्री और चालक दल के आठ सदस्य सवार थे। हादसा स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे हुआ। विमान इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर उतरने वाला था।

Sunday, July 25, 2010

सानिया का शोएब शक के घेरे में

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में युवा सितारों से सजी पाकिस्तानी क्रिकेट टीम ने कुल मिलाकर भले ही अच्छा प्रदर्शन किया हो लेकिन टीम के तीन खिलाड़ियों पर इन दिनों पैनी निगाहे हैं।

हेडिंग्ले टेस्ट की पहली पारी में विकेटकीपर बल्लेबाज कामरान अकमल, उनके भाई उमर अकमल और पूर्व कप्तान शोएब मलिक के प्रदर्शन के बाद इन तीनों पर नजर रखी जा रही है।

पहली पारी में इन तीनों ने जिस तरह से अपने विकेट गंवाए उससे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारी नाखुश हैं। पीसीबी के अधिकारियों ने कहा कि मलिक और कामरान जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों को ज्यादा जिम्मेदारी से खेलना चाहिए।

जब तक वे ऐसा नहीं करते तब तक खेल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को लेकर सवाल बने रहेंगे। दूसरे टेस्ट में इन तीनों के आउट होने का लहजा वाकई चौंकाने वाला था। उमर 21 रनों के निजी स्कोर पर एक लापरवाही भरा शाट खेल बैठे।

दूसरी ओर उनके भाई कामरान ने 15 रन तो जरूर बनाए लेकिन लगा कि वे पैवेलियन लौटने की जल्दी में थे। उन्होंने स्लिप में मार्कस नार्थ को एक आसान सा कैच थमा दिया। अकमल भाइयों के अलावा मलिक का अंदाज भी अलग था।

मैदान पर जमने के बावजूद बड़ी आसानी से उन्होंने 26 रन बनाकर पैवेलियन की राह पकड़ ली। पहले से ही संदेह के घेरे में रहे मलिक का यह प्रदर्शन बोर्ड के लोगों में और शक पैदा कर गया।

Friday, July 23, 2010

फिल्म रिव्यू:खट्टा मीठा

स्टार कास्ट:अक्षय कुमार,त्रिशा कृष्णन,मकरंद देशपांडे,राजपाल यादव,नीरज वोरा,मिलिंद गुणाजी,असरानी,अरुणा ईरानी,उर्वशी शर्मा,मनोज जोशी,टीनू आनंद,कुल भूषण खरबंदा,जॉनी लीवर


प्रोड्यूसर:अक्षय कुमार


डायरेक्टर:प्रियदर्शन


स्टार रेटिंग:3


'हेरा फेरी','हंगामा','भूल भुलैया' और 'छुप छुप के'जैसी फिल्मों के बाद डायरेक्टर प्रियदर्शन एक और नई कॉमेडी फिल्म लेकर आए हैं जिसका नाम है खट्टा मीठा। यह फिल्म 1989 में बनी मलयालम फिल्म वेल्लानाकालुड़े नाडू का रिमेक है जिसे प्रियदर्शन ने ही बनाया है।


फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई है अक्षय कुमार और त्रिशा कृष्णन ने। फिल्म की कहानी घूमती है अक्षय कुमार के इर्दगिर्द जिन्होंने इस फिल्म में सचिन टिच्कुले नाम के एक रोड कांट्रेक्टर की भूमिका अदा की है।


सचिन टिचकुले एक बहुत बड़ा आदमी बनना चाहता है मगर परेशानी यह है कि उसके पास घूस देने के पैसे नहीं हैं|वह जहां रहता है वह इलाका बहुत ही पिछड़ा हुआ है|सचिन के सामने मुश्किलें और बढ़ जाती हैं जब उसकी एक्स गर्लफ्रेंड (गहना गणपुले)त्रिशा शहर की म्युनिस्पल कमिश्नर बन कर आ जाती है|


गहना सचिन से नफरत करती है और अपने इलाके में वह भ्रष्टाचार को बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं करती|अक्षय का किरदार इस फिल्म में प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर.के लक्ष्मण के कॉमन मैन(आम आदमी)वाले कार्टून केरेक्टर से मेल खाता है|


हंसी मजाक के जरिए फिल्ममें भ्रस्टाचार जैसे गंभीर मुद्दे पर चोट करने की कोशिश की गई है|किस तरह भ्रष्टाचार और घूसखोरी की वजह से आज किसी भी सरकारी या गैर सरकारी विभाग में कोई काम संभव नहीं होता|इस फिल्म में यही दिखाने की कोशिश की गई है|


फिल्म में जबरदस्त कॉमेडी और बरसात में बदहाल होती सडकों के जरिए सरकारी महकमे पर व्यंग्य आपको हंसा हंसा कर लोट पोट कर देंगे|यह फिल्म अन्य कॉमेडी फिल्मों की तरह सेंसलेस नहीं है बल्कि इसमें एक सन्देश देने की कोशिश की गई है|मगर फिल्म के डायलॉग उतने प्रभावशाली नहीं हैं जितने इस फिल्म की कहानी के हिसाब से होने चाहिए|


रिमेक होने के बावजूद निर्देशक प्रियदर्शन इस फिल्म को प्रभावी ढंग से पेश करने में सफल रहे हैं|फिल्म के शुरूआती दो घंटे कैसे बीत जाते हैं पता ही नहीं चलता मगर आखिरी के चालीस मिनट उतने प्रभावी नहीं है|फिल्म के क्लाइमेक्स को और रोचक बनाया जा सकता था|


अभिनय की बात की जाये तो खट्टा मीठा में अक्षय कुमार की बेहतरीन अदाकरी देखने को मिली है|उनकी कॉमिक ट्यूनिंग कमाल की है|कॉमेडी सीन्स में अक्षय की टाइमिंग कमाल की नज़र आई है|फिल्म के शुरूआती कुछ द्रश्यों में अक्षय को कॉलेज बॉय की तरह दिखाया गया है जिसमें वह बहुत ही कूल नज़र आए हैं|


त्रिशा ने छोटे से रोल में अच्छा काम किया है|राजपाल यादव का अभिनय जानदार है और बच्चों को उनका रोल काफी पसंद आएगा|नीरज वोरा,मिलिंद गुणाजी,असरानी,अरुणा ईरानी,उर्वशी शर्मा,मनोज जोशी,टीनू आनंद,कुल भूषण खरबंदा,जॉनी लीवर जैसे कलाकारों ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है|वी .मनिकंदन की सिनेमेटोग्राफी अव्वल दर्जे की है|फिल्म के गाने अच्छी लोकेशंस पर फिल्माए गए हैं और मधुर भी हैं|कोरियोग्राफी भी गाने के हिसाब से ठीक है|फिल्म के पहले हिस्से की एडिटिंग काफी अच्छी है मगर आखिरी के द्रश्यों में एडिटिंग को और प्रभावशाली बनाया जा सकता था|


फिल्म खट्टा मीठा एक अच्छी मनोरंजक फिल्म है जिसमें कॉमेडी,एक्शन,रोमांस जैसे सारे मसालों के साथ एक सन्देश भी दिया गया है|

Friday, July 16, 2010

'लम्हा' फिल्म समीक्षा

फिल्म:लम्हा

निर्माता:बंटी वालिया

निर्देशक:राहुल ढोलकिया

स्टार कास्ट:संजय दत्त,बिपाशा बासु,कुणाल कपूर,अनुपम खेर,मुरली शर्मा

गंभीर विषयों पर फिल्में बनाने का आजकल एक ट्रेंड बॉलीवुड में देखने को मिल रहा है|पिछले हफ्ते अनंत महादेवन ने नक्सलवाद जैसे संवेदनशील मसले को अपनी फिल्म 'रेड अलर्ट' में पेश किया और अब राहुल ढोलकिया लेकर आए हैं 'लम्हा'|यह फिल्म कश्मीर में फैले आतंकवाद पर आधारित है|

वैसे राहुल ढोलकिया इससे पहले 'परजानिया' जैसी एक बेहतरीन फिल्म बना चुके हैं इसलिए 'लम्हा' से दर्शकों की उम्मीद और अधिक बढ़ जाती है|अब सवाल यह उठता है कि क्या राहुल इस गंभीर विषय के साथ न्याय करने में सफल रहे|


वैसे फिल्म के ट्रीटमेंट की बात की जाए तो 'लम्हा' परजानिया के पास नज़र आती है|राहुल ढोलकिया को दाद देनी होगी जो उन्होंने इतने विवादस्पद मुद्दे पर फिल्म बनानेकी हिम्मत दिखाई|
ढोलकिया ने कश्मीर से जुडी समस्या को करीब से दिखने कि कोशिश की है|इस फिल्म को आप एक डोक्यू ड्रामा कह सकते हैं|

फिल्म के शुरुआती 40 मिनट अंत्यंत प्रभावशाली हैं|फिल्म की कहानी आधारित है 1989 में हुए मिशन 89 पर जब कश्मीरी मुस्लिम समुदाय ने जमीन के लिए कश्मीरी पंडितों से लड़ाई मोल ले ली थी और इस बात पर काफी हंगामा भी हुआ था|


संजय दत्त इस फिल्म में विक्रम नाम के मिलिटरी ऑफिसर के किरदार में हैं जो आतंकवादी संगठन के इरादों को नाकाम करने के एक मिशन में एक अन्दर्कावर एजेंट (गुल जहाँगीर)बनकर कश्मीर जाता है|हाजी शाह(अनुपम खेर)1989 के उसी खौफनाक मंज़र को फिर से दोहराना चाहता है और वह घटी में होने वाले चुनावों के मद्देनज़र एक बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में है|

हाजी के इरादों को नाकाम करने के लिए ही विक्रम (संजय) घटी में आते हैं और उसपर कड़ी नज़र रखते हैं|हाजी की भांजी के रूप में नज़र आईं हैं बिपाशा बासु जिन्होंने अजीजा का किरदार निभाया है|अजीजा को हाजी ने अपने घर में पनाह दी है क्योंकि वह 1989 में हुए बम ब्लास्ट में अपने परिवार को खो चुकी है|इसी संगठन में कुणाल कपूर भी होते हैं जिन्होंने आतिफ का किरदार निभाया है मगर हाजी और उसकी विचारधारा से तंग आकर वह यह गैंग छोड़ देता है और अपने बल बूते पर चुनाव लड़ने का मन बना लेता है|


एक डोक्यू ड्रामा के तौर पर बात की जाए तो फिल्म की शुरुआत प्रभावशाली है मगर बीचमें डायरेक्टर की पकड़ कहानी पर कमज़ोर नज़र आती है|कमज़ोर स्क्रीनप्ले के चलते अच्छी कहानी भी कमज़ोर हो जाती है|एडिटिंग भी उतनी दमदार नहीं जितनी कहानी के हिसाब से होनी चाहिए||सिनेमाटोग्राफी अच्छी है मगर डा यलॉग्स और बेहतर हो सकते थे|


अभिनय की बात की जाए तो संजय दत्त हमेशा की तरह बेहतरीन हैं|बिपाशा बासु ने इस फिल्म में अब तक की सबसे बढ़िया एक्टिंग की है|कुणाल कपूर का अभिनय ठीक है मगर उन्हें अपनी डा य लोग डिलीवरी पर काफी मेहनत करने की जरुरत है|अनुपम खेर ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है|


साफ़ तौर पर कहा जाए तो लम्हा एक बेहतरीन कहानी के बावजूद कमज़ोर एडिटिंग और ख़राब स्क्रीनप्ले की वजह से उतना प्रभाव नहीं छोड़ पति जितनी की उम्मीद की जा रही थी|


Monday, July 12, 2010

फिल्म समीक्षाः रेड अलर्ट

फिल्म:रेड अलर्ट- द वार विथ इन
निर्माता:टी.पी अग्रवाल
निर्देशक:अनंत महादेवन
स्टार कास्ट:सुनील शेट्टी,नसीरुद्दीन शाह,विनोद खन्ना,समीरा रेड्डी,भाग्यश्री,आएशा धरकर,सीमा बिस्वास,गुलशन ग्रोवर और आशीष विद्यार्थी
स्टार रेटिंग:3
रेड अलर्ट -द वार विथ इन जैसा कि फिल्म के टाइटल से ही पता चलता है|यह एक युद्ध पर केंद्रित फिल्म है जिसे डायरेक्टर अनंत महादेवन और लेखक अरुणा राजे ने बहुत ही बेहतरीन ढंग से पेश किया है|फिल्म में यह दिखाया गया है कि कैसे एक सीधा-साधा आदमी परिस्थितियों के चलते नक्सली बन जाता है|
नक्सलवाद इस समय देश में बहुत बड़ी समस्या है और रेड अलर्ट नक्सलवाद जैसे मुद्दे पर बनी एक गंभीर फिल्म है|लेखक ने बहुत ही बढ़िया तरीके से नक्सलियोंकी ज़िन्दगी को करीब से बताने की कोशिश की है| नक्सली दूसरों की नज़रों में भले ही आतंकवादी हों मगर वह खुद को क्रांतिकारी बताते हैं|
फिल्म में सुनील शेट्टी नरसिम्हा नाम के एक सीधे-साधे व्यक्ति के किरदार में हैं जो बहुत ही गरीब है और अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए जंगल में आकर ठहरने वाले लोगों के लिए खाना बनाता है|एक दिन जंगल में ही नक्सलियों और पुलिस के बीच जंग होती है जिसमें सुनील को जबरदस्ती एक गैंग में शामिल कर लिया जाता है|
इस गैंग में विनोद खन्ना,आशीष विद्यार्थी,सीमा बिश्वास जैसे लोग रहते हैं जो आम आदमी के हक की लड़ाई लड़ते हैं|मगर सुनील उनके हिंसा वाले रस्ते को मन से अपना नहीं पता|उसे निर्दोष लोगों को मारना भी बर्दाश्त नहीं हो पाता|सुनील की तरह समीरा रेड्डी भी हालातों से मजबूर होकर नक्सलियों का साथ देने को मजबूर है|
इसी मार काट से तंग आकर सुनील एक दिन गैंग के एक व्यक्ति आशीष विद्यार्थी का खून कर वहां से भाग निकलता है और बाद पुलिस का साथ देकर नक्सलवाद को मिटाने के लिए पुलिस का साथ देने लग जाता है|


फिल्म की एडीटिंग और डायरेक्शन बेहतरीन है|साथ ही बढ़िया स्टोरी की वजह से स्क्रीनप्ले भी शानदार है| डायलॉग्स कम है मगर प्रभावशाली हैं और सिनेमेटोग्राफी भी अव्वल दर्जे की है|


अभिनय की बात की जाये तो सुनील शेट्टी का अभिनय जानदार है और अगर यह कहा जाए कि सुनील ने इस फिल्म में अपने करियर की अब तक की बेस्ट परफोर्मेंस दी है तो यह कहना गलत नहीं होगा|


आशीष विद्यार्थी और सीमा बिश्वास ने भी अपने किरदारों में जान फूंक दी है|समीरा रेड्डी ने इस फिल्म में अपने उम्दा अभिनय से सबको चौंका दिया है|साफ़ तौर पर कहा जाए तो फिल्म रेड अलर्ट एक गंभीर मगर बेहतरीन फिल्म है|



फिल्म समीक्षाः 'मिलेंगे मिलेंगे'

कास्ट : शाहिद कपूर, करीना कपूर, सतीश कौशिक, सतीश शाह, दिलनाज़ पॉल, आरती छाबरिया
निर्देशक : सतीश कौशिक
निर्माता : एस.के. फिल्म इंटरप्राइजेस, बोनी कपूर
संगीत : हिमेश रेशमिया
लेखक : शिराज अहमद
स्टार्स:1.5
शाहिद कपूर और करीना कपूर की फिल्म 'मिलेंगे मिलेंगे' हॉलीवुड फिल्म सेरेनडिपिटी का कमज़ोर रूपांतरण है| फिल्म की कहानी घूमती है ऐसे दो लोगों के इर्द-गिर्द जिन्हें किस्मत मिलाने के लिए खेल खेलती है|
फिल्म में करीना ने निभाया है प्रिया मल्होत्रा का किरदार जो कि किस्मत में बहुत विश्वास करती हैं और एक टैरो कार्ड रीडर किरण खेर के कहने पर अपने प्यार को ढूंढने बेंकॉक चली जाती है|जहां प्रिया की मुलाक़ात होती है इम्मी(शाहिद कपूर)से|
इम्मी(शाहिद कपूर) को इंप्रेस करने की कोशिश करता है और उससे झूठ बोलकर उसे यह जताने की कोशिश करता है कि वही प्रिया का मिस्टर राइट है जिसकी तलाश में वह बेंकॉक आई है|
प्रिया भी इम्मी की बातों में आकर उससे प्यार कर बैठती है|मगर जब उसे इम्मी की सच्चाई पता चलती है तो उसे बहुत दुःख पहुंचता है मगर वह तब भी इम्मी को दूसरा मौका देती है कि वह साबित करे कि वही वह इंसान है जिसकी उसे तलाश है|
बाद में प्रिया को इम्मी यही साबित करने की कोशिश में लगा रहता है और वही ट्रिक्स अपनाताहै जो हॉलीवुड फिल्म सेरेनडिपिटी में हीरो हीरोइन को इंप्रेस करने के लिए अपनाता है|फिल्म का पहले हिस्सा कोई खास प्रभावशाली नहीं है|
करीना केवल किस्मत की बातें ही करती रहती हैं वहीँ इम्मी सिवाए स्मोकिंग पर लेक्चर देने के अलावा कोई और काम नहीं करता|फिल्म के ज्यादातर हिस्सों में शाहिद को बेवजह सिगरेट पिटे हुए दिखाया गया है जिन्हें फिल्म में रखने की कोई जरुरत नहीं थी|
पहले हिस्से में सिर्फ शाहिद का लड़की बनना ही फिल्म में थोड़ा मज़ा ला पता है क्योंकि उस द्रश्य में वह काफी क्यूट लग रहे हैं मगर फिल्म के ख़राब ट्रीटमेंट की वजह से यह द्रश्य भी छाप नहीं छोड़ पाता|
फिल्म का दूसरा हिस्सा शरू होता है तीन साल के लीप के बाद जहां प्रिया और इम्मी को अपने-अपने मंगेतर के साथ मिलते हुए दिखाया जाता है|अलग अलग सगाई होने के बाद भी दोनों एक दूसरे से मिलना नहीं छोड़ पाते जिससे यह साफ़ हो जाता है कि दोनों एक दूसरे को अब भी भुला नहीं पाए हैं| आरती छाबरिया ने शाहिद कपूर की मंगेतर का किरदार निभाया है|
फिल्म में सब कुछ पहले से ही साफ़ होता है|ऐसा कुछ नहीं है जो दर्शकों की जिज्ञासा को बनाए रख सके|दर्शक आसानी से भांप जाते हैं कि अगले सीन में क्या होने वाला है|सतीश शाह और किरण खेर जैसे मंझे हुए कलाकारों ने यह फिल्म क्यों की किसी को समझ नहीं आता|सतीश कौशिक को भी इस फिल्म से ज्यादा कुछ हासिल नहीं होने वाला है|
शाहिद को फिल्म कमीने और ओमकारा में करीना की जबरदस्त एक्टिंग देखने के बाद इस फिल्म में उनकी एक्टिंग बचकानी लगती है|फिल्म काफी आउटडेटेड लगती है|फिल्म के कुछ हिस्सों में डायलॉग्स बहुत ज्यादा फ़िल्मी लगते हैं जो की दर्शक शायद ही पचा पाएं|
शाहिद-करीना के फैंस के लिए यह फिल्म दोनों को ऑन स्क्रीन देखने का आखरी मौका है| फिल्म में उनके रोमांटिक सींस काफी रियल लगते हैं और डायरेक्टर ने भी कभी रियल लाइफ कपल रह चुके इस जोड़े का रोमांटिक द्रश्यों को फिल्माने में खूब फायदा उठाया है|
इन दोनों पर फिल्माए गए दो गाने 'कुछ तो बाकी है' और 'मिलेंगे मिलेंगे' इन दोनों पर काफी अच्छी तरह से फिल्माए गए हैं|नहीं तो फिल्म में प्रिया और इम्मी बने शाहिद-करीना जब वी मेट के गीत और आदित्य के आस पास भी नज़र नहीं आते|

Tuesday, July 6, 2010

प्‍यार करने वालों के लिए आदर्श बन गए धोनी

देश के सबसे एलिजिबल बैचलर, मिस्टर कूल माही मैदान पर तो चौकोंऔर छक्कों की बौछार से लोगों का दिल जीत लेते हैं, लेकिन शोहरत के चरम पर पहुंच करउन्होंने जिस प्रकार अपने बचपन के प्यार का हाथ थामा, उससे उनकी लोकप्रियता में और बढ़ोतरी हुई है। धोनी अब तक हर क्रिकेट प्रेमी के दिल की ही धड़कन थे, पर अब वह प्‍यार करने वालों के लिए भी आदर्श बन चुके हैं। साक्षी सिंह रावत से शादी कर धोनी ने दिखा दिया है कि उनकी नजर में सच्‍चे प्‍यार से ऊपर कुछ भी नहीं है।

माही ने शादी के प्रस्तावों की बारिश के बीच, ग्लैमर, शोहरत और दौलत के बजाय उसे प्राथमिकता दी, जिसने उन्हें क्रिकेट फील्ड में उतरने से पहले ही क्लीन बोल्ड कर दिया था। धोनी और साक्षी एक-दूसरे को बेपनाह प्‍यार करते हैं। इसीलिए उन्‍होंने परिवार, उम्र, पढ़ाई-लिखाई, नाम-दौलत आदि की परवाह किए बिना शादी करने का फैसला किया। धोनी के पिता और साक्षी के पिता रांची में एक साथ काम करते थे। वे मेकॉन में काम करते थे। उस समय धोनी के परिवार की हैसियत अच्‍छी नहीं थी। कहा जा सकता है कि साक्षी का परिवार उनसे बेहतर स्थिति में था। पर आज धोनी के पास दौलत और शोहरत की कोई कमी ही नहीं है। माही देश के सबसे ज्यादा टैक्स चुकाने वाले व्यक्तियों में से एक हो गए। माही के पास, चार कारों में एक हमर भी शुमार है, जो साक्षी के परिवार का ख्वाब हो सकता है। इसके अलावा माही के गैरेज में 23 हाईस्पीड बाइक खड़ी हुई हैं। पर हैसियत में यह अंतर दोनों के लिए कोई मायने नहीं रखता।

अंतर केवल दोनों परिवारों की हैसियत में ही नहीं है। पढ़ाई-लिखाई के लिहाज से भी देखें तो साक्षी होटल मैनेजमेंट में ग्रेजुएट हैं, जबकि धोनी अभी ग्रेजुएशन नहीं कर पाए हैं। साक्षी ने दो महीने पहले ही डिग्री ली है और अब कोलकाता के होटल ताज बंगाल में काम कर रही हैं। धोनी राष्‍ट्रीय स्‍तर की क्रिकेट टीम में छह साल पहले ही शामिल किए जा चुके हैं और वह करियर में कई बुलंदियों को छू चुके हैं।



कोट



'महेंद्र सिंह धोनी का अतीत अब ज्यादा मायने नहीं रखता। अब सच यही है कि वह भारतीय क्रिकेट टीम के सफलतम कप्तानों में से एक हैं, औऱ उनके प्रस्ताव को शायद ही कोई नकारता। लेकिन बचपन की इस दोस्ती को शादी में बदलने का समाज पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।'
- प्रोफेसर अमृत्य बनर्जी, समाजशास्त्री


Monday, July 5, 2010

धोनी ने शादी में इसलिए की जल्दबाजी

यह खालिस माही स्टाइल था। चट सगाई पट ब्याह। टीम इंडिया के कप्तान धोनी ने अपनी मित्र साक्षी सिंह रावत के साथ रविवार को विवाह बंधन में बंध गए। इस मौके पर दोनों के परिजन और करीबी मित्र ही मौजूद थे। रिसेप्शन 7 जुलाई को मुंबई में होगा। सगाई शनिवार को ही हुई थी। देहरादून में धूमधाम से धोनी और साझी ने विवाह किया है और इसे लेकर देहरादून के लोगों में तो उत्साह है ही उधर रांची के लोग भी अपने इस लाडले की खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। देश भर में धोनी के क्रिकेट प्रशंसकों में धोनी के विवाह को लेकर क्रेज देखा जा रहा है और लोगों ने ट्विटर के माध्यम से धोनी तक अपनी शुभकामनाएं पहुंचाई है।

पर वहीं माही द्वारा चट मंगनी पट ब्याह की बात को लेकर लोगों में चर्चा भी खूब रही है। दरअसल धोनी ने इसलिए शादी जल्दी करने की सोची क्योंकि अगले 11 माह तक उनके पास शादी के लिए समय नहीं था। उन्हें जुलाई-अगस्त में श्रीलंका, सितंबर में चैंपियंस लीग खेलने के लिए द.अफ्रीका,अक्टूबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज, नवंबर में न्यूजीलैंड के खिलाफ घरु सीरीज में व्यस्त रहना होगा।

दिसंबर या आगामी जनवरी में भारतीय टीम का ऑस्ट्रेलिया दौरा भी प्रस्तावित है। इसके अलावा फरवरी-मार्च में भारत में ही वल्र्ड कप तथा उसके बाद अप्रैल- मई में आईपीएल-4 में व्यस्त रहना होगा।

साक्षी संग विवाह बंधन में बंध गए माही

यह खालिस माही स्टाइल था। चट सगाई पट ब्याह। टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी मित्र साक्षी सिंह रावत के साथ रविवार को विवाह बंधन में बंध गए। इस मौके पर दोनों के परिजन और करीबी मित्र ही मौजूद थे। रिसेप्शन 7 जुलाई को मुंबई में होगा। सगाई शनिवार को ही हुई थी।

देहरादून में साक्षी के घर शादी को लेकर सुबह से ही काफी हलचल देखी गई। रावत परिवार ने बिधौली में इस शादी के लिए एक फार्महाउस बुक कराया। दोनों परिवारों के सदस्य एक गेस्ट हाउस में एकत्र हुए। पुलिस ने फार्महाउस के आसपास कड़ी सुरक्षा कर दी। मीडिया को वहां पहुंचने का कोई मौका नहीं दिया गया। राजधानी से ४क् किमी दूर एक फार्महाउस में हुए समारोह में बॉलीवुड और क्रिकेट जगत की कई मशहूर हस्तियां नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए मौजूद थीं।

इनमें धोनी के मित्र और बॉलीवुड अभिनेता जान अब्राहम, क्रिकेटर आशीष नेहरा, सुरेश रैना, आरपी सिंह और पीयूष चावला शामिल हैं। बीसीसीआई के अध्यक्ष शशांक मनोहर भी खास मेहमान थे। हालांकि उनके आने की पुष्टि नहीं हो पाई। सचिन तेंडुलकर, वीरेन्द्र सहवाग और गौतम गंभीर शादी में शामिल नहीं हो पाए। बताया जा रहा है कि धोनी 7 जुलाई को मुंबई में रिसेप्शन देंगे।

उसी दिन वह अपना २९ वां जन्मदिन भी मनाएंगे।

ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं साक्षी..
२३ वर्षीय साक्षी रावत होटल मैनेजमेंट ग्रेजुएट हैं। 28 वर्षीय धोनी अभी ग्रेजुएट नहीं हो पाए हैं। धोनी के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि माही और साक्षी हालांकि एक-दूसरे को लंबे समय से जानते थे, लेकिन शादी दोनों परिवारों की सहमति से हो रही है।

आनन-फानन में बजी शहनाई.

बताया जाता है कि यह शादी पहले इस वर्ष अक्टूबर में होनी थी लेकिन व्यस्त क्रिकेट कार्यक्रम को देखते हुए इस शादी को आनन-फानन में जुलाई में ही करा दिया गया है। सगाई के अगले ही दिन शादी की शहनाई भी बज गइ

Sunday, July 4, 2010

धोनी ने की साक्षी संग सगाई

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने आखिरकार अपना जीवन साथी चुन लिया। देहरादून में शनिवार को उन्होंने साक्षी सिंह रावत के साथ सगाई कर ली। हालांकि अभी तक धोनी ने इस बात की पुष्टि नहीं की है, लेकिन उनके जीजा गौतम ने सगाई की पुष्टि कर दी है।

खबर है कि धोनी ने साक्षी सिंह रावत से देहरादून के एक होटल कॉम्पीटेंट में सगाई की। सगाई स्थल के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। फिलहाल साक्षी माता -पिता के साथ आसाम में रहती है। देहरादून में साक्षी की नानी का निवास बताया जा रहा है। साक्षी के करीबी रिश्तेदारों ने इस खबर की पुष्टि की है। इस सगाई को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था। धोनी सगाई को पूरी तरह से मीडिया की चकाचौंध से दूर रखना चाहते थे और इसी बात को ध्यान रखते हुए उन्होंने अपनी सगाई के बारे में किसी को कानो-कान खबर नहीं होने दी।

गौरतलब है कि पिछले दो सालों से धोनी और साक्षी के बीच प्रेम संबंध को लेकर अटकलें लगाई जाती रही हैं जिस पर आज मुहर लग गया है। धोनी और साक्षी बचपन के मित्र हैं। दोनों ने अपने स्कूल की पढ़ाई डीएवी श्यामली में की। साक्षी रावत फिलहाल होटल मैंनेजमेंट की छात्रा हैं।



Saturday, July 3, 2010

'आई हेट लव स्टोरीज़'


कास्ट:इमरान खान,सोनम कपूर,समीर दत्तानी,समीर सोनी,ब्रूना अब्दुल्ला
निर्देशक:पुनीत मल्होत्रा
निर्माता:करण जौहर, हीरू जौहर,रॉनी स्क्रूवाला
म्यूज़िक डायरेक्टर:विशाल शेखर
रेटिंग:2.5

फिल्म आई हेट लव स्टोरीज़ की कहानी जय(इमरान खान)और सिमरन(सोनम कपूर)के इर्द गिर्द घूमती है|जय एक नौजवान युवक है जो बॉलीवुड के सबसे बड़े रोमांटिक फिल्ममेकर वीर( समीर सोनी) का असिस्टेंट डायरेक्टर है|जय स्वभाव से बहुत ही फ्लर्टी किस्म का युवक है|जो हर लड़की के साथ फ्लर्ट करने में यकीन करता है|
वहीं दूसरी तरफ सिमरन(सोनम कपूर)बहुत ही रोमांटिक लड़की है|वह सोते जागते सिर्फ सच्चे प्यार के सपने देखती रहती है|सिमरन की लाइफ में सब कुछ बहुत ही परफेक्ट है|अच्छी जॉब,परफेक्ट बॉयफ्रेंड राज मगर यह तब परफेक्ट रहती है जब तक इसमें जय की एंट्री नहीं होती है|
सिमरन को भी उसी डायरेक्टर के साथ काम करने का मौका मिलता है जहां जय काम कर रहा होता है|एक लव स्टोरी पर काम करते करते इन दोनों की ज़िन्दगी में क्या उतार चढ़ाव आते हैं|फिल्म की कहानी इसी के इर्द गिर्द है|
फिल्म में सबसे ज्यादा आपको आकर्षित करता है इस फिल्म का टाइटल'आई हेट लव स्टोरीज़'|नए डायरेक्टर पुनीत मल्होत्रा ने इसे टिपिकल मसाला रोमांटिक फिल्म की तरह पेश किया है|जिसमें कुछ नया नहीं है|
फिल्म सिंपल है मगर आकर्षित करती है|मगर फिल्म की खास बात है इमरान सोनम की फ्रेश जोड़ी जो दर्शकों को अपनी और खीचने में कामयाब नज़र आती है|फिल्म में इन दोनों की केमिस्ट्री कमाल की है जो युवा दर्शकों को काफी पसंद आएगी|
इमरान-सोनम की तकरार धीरे-धीरे प्यार में बदलने लगती है|जय(इमरान)को लड़कियां तो पसंद हैं मगर उसे लड़कियों वाली आदत से सख्त नफरत है मगर वह धीरे धीरे बदलने लगता और सोनम को खुश करने के लिए फ़िल्मी स्टाइल अपनाता है|और प्यार में विश्वास न करने वाला जय सिमरन के लिए सेकंड हाफ में आंसू तक बहाते हुए देखा जाता है|


फिल्म का क्लाइमेक्स हमें इमरान की पहली फिल्म जाने तू या जाने न की याद दिलाता है जहां इमरान जेनेलिया को अमेरिका जाने से रोकने के लिए घोड़े पर स्वर होकर एअरपोर्ट जाते हैं|


फिल्म के डायरेक्टर पर लगता है अन्य बॉलीवुड फिल्मों और मिल्स एंड बूंस नोवेल का ज्यादा ही प्रभाव है|इमरान-सोनम के बीच के सीक्युन्सेस काफी अच्छी तरह से लिखे गए हैं|मगर सोनम के उनके पेरेंट्स और बॉयफ्रेंड समीर दत्तानी के साथ फिल्माए गए द्रश्य काफी कमज़ोर नज़र आते हैं|


नए डायरेक्टर पुनीत ने बहुत ही बढ़िया तरीके से दोनों एक्टर्स के किरदार को पिरोया है|कहीं कहीं तो आप जय और सिमरन की दुनिया में खो जाते हैं|विशाल-शेखर का संगीत काफी कैची है और युवाओं को काफी लुभा भी रहा है|बिन तेरे और बहारा गाने कमाल के हैं|


फिल्म में कलाकारों के अभिनय की बात की जाए तो अभिनय ठीक है|फिल्म में सोनम की स्क्रीन प्रजेंस कमाल की है|वह फिल्म में बेहद खूबसूरत लगी हैं|पुनीत का निर्देशन साधारण है|फिल्म पैसा वसूल है और युवाओं को काफी पसंद आएगी|

Wednesday, June 30, 2010

कल नक्सली हमला, आज से बंद का ऐलान

छत्तीसगढ़ में 26 जवानों की जान लेने के बाद नक्सलियों ने बुधवार से पांच राज्यों में बंद का ऐलान किया है। बिहार, झारखंड, पं. बंगाल, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा को पूरी तरह बंद रखने का फैसला लिया गया है। नक्सलियों के इस ऐलान के बाद केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक सतर्क हो गई हैं। रेलवे ने भी खुद को हाई अलर्ट रखा हुआ है। कई ट्रेनों को रद्द करने के साथ स्टेशनों और ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। नक्सल बंद के दौरान कोई भी ट्रेन ६५ किलोमीटर से अधिक गति से नहीं दौड़ेगी।

सीआरपीएफ के 26 जवान शहीद

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में मंगलवार को नक्सलियों ने एक बार फिर घात लगाकर हमला किया, जिसमें सीआरपीएफ के 26 जवान शहीद हो गए। हमले में 12 जवान गंभीर रूप से घायल हुए हैं। नारायणपुर से करीब 32 किमी दूर सीआरपीएफ के धौड़ाई कैंप से मंगलवार सुबह लगभग 70 जवानों की टीम रोड ओपनिंग के लिए निकली थी। टीम के साथ जिला पुलिस और एसपीओ के जवान भी थे।

जवान काम खत्म करने के बाद दोपहर करीब डेढ़ बजे पैदल लौट रहे थे। कैंप से लगभग साढ़े तीन किमी दूर महिमागावाड़ी में 500 से अधिक नक्सली घात लगाकर बैठे थे। जवानों के नजदीक आते ही एके-47 जैसे हथियारों से लैस नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। ज्यादातर मौतें नक्सलियों की तरफ से हुई पहली फायरिंग में ही हुईं। सीआरपीएफ के महानिदेशक विश्वरंजन ने 26 जवानों के शहीद होने की पुष्टि की।

सीआरपीएफ और जिला पुलिस के जवानों ने नक्सलियों का डटकर मुकाबला किया। सीआरपीएफ के आईजी आरके दुआ ने बताया कि मुठभेड़ करीब ढाई घंटे तक चली। इलाके में संचार सुविधाएं ठप होने से प्रशासन को हादसे की सूचना देरी से मिली।

घायल जवानों को लाने के लिए वायुसेना का हेलिकॉप्टर भेजा गया, लेकिन कुछ समस्याओं की वजह से वह घटनास्थल के पास लैंड नहीं कर पाया। घायलों को सड़क के रास्ते जगदलपुर के अस्पताल लाया गया।
हमले के मद्देनजर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपने निवास पर आला अफसरों की आपात बैठक बुलाई। उन्होंने गृहमंत्री पी. चिदंबरम को भी घटना की जानकारी दी।

तीन महीने में तीसरा बड़ा हमला

बीते तीन महीनों में नक्सलियों का यह छत्तीसगढ़ में तीसरा बड़ा हमला है। छह अप्रैल को दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ के जवानों को घेर कर हमला किया था, जिसमें 76 जवान शहीद हो गए थे। वहीं दूसरी घटना में सुकमा के पास एक यात्री बस को बारूदी सुरंग से उड़ा दिया था, जिसमें 31 लोगों की मौत हो गई थी। मृतको में 15 एसपीओ और 16 आम लोग शामिल थे।





Tuesday, June 29, 2010

कश्मीर में हालात बेकाबू, मुख्यमंत्री ने सेना की मदद मांगी

जम्‍मू कश्‍मीर के हालात एकाएक काबू के बाहर हो गए हैं। मुख्‍यमंत्री उमर अब्‍दुल्‍ला ने आज राज्‍य में कानून-व्‍यवस्‍था की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए हालात पर काबू पाने के लिए केंद्र से सेना की मदद मांगी है। हालांकि अभी इसपर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है लेकिन राज्‍य की स्थिति को देखते हुए सेना को अलर्ट रहने को कह दिया गया है। यदि आने वाले समय में स्थिति नियंत्रण के बाहर हुई तो जम्‍मू-कश्‍मीर के उपद्रवगस्‍त क्षेत्रों को सेना के हवाले किया जा सकता है।

इसके साथ ही मुख्‍यमंत्री ने इस मामले में एक उच्‍च स्‍तरीय टीम का भी गठन किया है। यह टीम घाटी के हिंसा प्रभावित राज्‍यों में जाएगी और वहां के हालात का जायजा लेगी। यह टीम हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाली के लिए स्‍थानीय प्रशासन की मदद करेगी। इस टीम में लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी मंत्री ताज मोहिरुद्दीन, कृषि मंत्री गुलाम हसन मीर, मुख्‍यमंत्री के सलाहकार मुबारक गुल तथा सड़क एवं भवन निर्माण राज्‍य मंत्री जाविद अहमद डार शामिल हैं।

अनंतनाग में आज हुई हिंसा की ताजा घटनाओं 2 लोग मारे गए और 3 गंभीर रूप से घायल हो गए। बीते दो हफ्ते के दौरान घाटी मेंहिंसा की घटनाओं में मारे जाने वाले लोगों की संख्‍या 10 तक पहुंच गई है। राज्‍य की उमर अब्‍दुल्‍ला सरकार पूरी तरह दबाव में आ गई है और उसने इस सारी स्थिति के लिए केंद्र पर आरोप मढ़ा है।

उधर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि राज्‍य सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है। उन्‍होंने कहा है‍ कि राज्‍य सरकार स्थिति पर काबू पाने में पूरी तरह विफल रही है और हालात उसके काबू से बाहर हो चुके हैं। घाटी में सेना की तैनाती का विरोध करते हुए महबूबा ने कहा है कि सेना सभी समस्‍याओं का हल नहीं है।


कश्‍मीर में सोमवार को दो तथा रविवार को तीन लोग सुरक्षा बलों की फायरिंग में मारे जा चुके हैं। मंगलवार को भी घाटी के कई स्‍थानों पर प्रदर्शनकारियों एवं सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई है जिसमें कई लोग घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की कई गाडि़यों को आग के हवाले कर दिया।

स्वाइन फ्लू का फिर से आतंक, 7 दिन में 17 मौत

स्वाईन फ्लू के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सोमवार को कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर ने स्वास्थ्य मंत्रालय के उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें अधिकारियों ने उन्हें स्वाईन फ्लू से निपटने के इंतजाम का ब्योरा दिया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले एक हफ्ते में स्वाईन फ्लू से 17 लोगों की मौत हुई है जबकि 345 पॉजीटिव मामले सामने आए हैं।

अधिकारियों का कहना है कि स्वाईन फ्लू से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। इस बार सभी स्वाईन फ्लू सेंटरों में टीकों की पर्याप्त खेप भेजी जा रही है। साथ ही स्वाईन फ्लू के टीके खुले बाजार में भी उपलब्ध हैं। अधिकारियों के अनुसार बारिश के साथ ही स्वाईन फ्लू के मामलों में तेजी आ गई है। आंकड़ों के अनुसार स्वाईन फ्लू से केरल, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश सर्वाधिक प्रभावित हैं। इसके सर्वाधिक २६६ पॉजीटिव मामले केरल से मिले हैं।

Monday, June 28, 2010

एड़मिशन ओपन


फिल्म: एड़मिशन ओपनपात्र: अनुपम खेर, आशीष विद्यार्थी, अंकुर खन्ना, प्रमोद माउथो, रति अग्निहोत्री, सुदेश बेरी, मास्टर अभिषेक शर्मानिर्देशन: के. डी. सत्यमनिर्माता: अमन फिल्म प्रोडक्शनसंगीत: अमित त्रिवेदीरेटिंग :


शिक्षा के क्षेत्र में सरकार के सुधारों को देखते हुए बॉलीवुड ने फिल्म निर्माण की पहल की है। यह भारत का दुर्भाग्य ही रहा है कि थ्री इडियट से पहले किसी फिल्म ने शिक्षा के मसले को बड़े पर्दे पर चित्रित नहीं किया। इस मामले पर एड़मिशन ओपन नाम की फिल्म ने इस मामले को उठाया है।


यह उन फिल्मों में से एक है जो कि यह बात सोचने पर विवश करती है कि आखिर निर्देशक ने यह फिल्म क्यों बनाई। इस फिल्म में पैसे के पीछे भागती शिक्षा प्रणाली पर एक करारा व्यंग्य है। फिल्म इस बात पर जोर डालती है कि हालिया शिक्षा प्रणाली में धनरहित योग्यता के लिए कोई संवेदना नहीं है।


तारिक सिद्दिकी यानि अनुपम खेर आधुनिक विचारधारा वाला एक कॉलेज खोलना चाहता है। वह चाहता है इस कॉलेज के माध्यम से परंपरागत शिक्षा पद्वति की बुराईयों पर काबू पाना चाहता है। वह मानता है कि ट्रेडिशनल एजुकेशन सिस्टम उसकी बेटे की मौत का कारण है। उसकी पत्नि राधिका (रति अग्निहोत्री) भी बेटे के गम में काल की शिकार बन जाती है। इसी बीच देवांग त्रिपाठी (आशीष विद्यार्थी) तारिक के कंधे से कंधा मिलाता है। देवांग मुम्बई यूनिवर्सिटी में शिक्षक था और उसे एल्कोहल लेने और अमूर्त तरीके से पढ़ाने के कारण यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया था।


इस बीच स्पिरिट नाम का कॉलेज उन सभी विद्यार्थियों को एडमिशन दे देता है जिनका किसी प्रतिष्ठित संस्थान में प्रवेश नहीं हुआ था। स्पिरिट को एनएसी से मान्यता नहीं मिलती है।


अंकुर खन्ना (अर्जुन) उन छात्रों में से एक है जो कि तारिक के सपनों को पूरा करने की लालसा रखता है पर तारिक की अचानक मौत हो जाती है। फिल्म में अब दो सवाल खड़े हो जाते हैं कि क्या कॉलेज को मान्यता मिल पाएगी और क्या विद्यर्थियों का भविष्य उज्जवल होगा।


फिल्म कई बार वास्तविकता से पर लगती है इसलिए इसे आसानी से नहीं समझा जा सकता है। फिल्म की सबसे बड़ी कमी यह है कि इसमें हंसने-हंसाने की लुफ्त नहीं मिल पाता है । साथ ही काफी लम्बे समय तक खिंचने के कारण यह थोड़ी बोझिल भी हो जाती है। फिल्म का कहानी लेखन स्तरीय है। संवाद अदायगी में हास्य का थोड़ा बहुत पुट है लेकिन यह प्रभावहीन हैं। इसका संपादन और छायांकन भी गुणवत्तापूर्ण नहीं है।


अनुपम खेर यहां हमेशा की तरह चमत्कारिक प्रदर्शन करने में सफल रहे हैं। यहां तारिक की मौत से दर्शक असमंजस की स्थिति में रहते हैं। आशीष विद्यार्थी अपनी भूमिका से न्याय करने में सफल रहे हैं। विद्यार्थी के रूप में अंकुर खन्ना और मास्टर अभिषेक शर्मा का अभिनय भी ज्यादा प्रभावी नहीं रहा है। कुल मिलाकर एड़मिशन ओपन को देखने के लिए सिफारिश नहीं की जा सकती


काइट्स (प्रेम की डोर से बंधी काइट्स)


Kites review: प्रेम की डोर से बंधी काइट्स
रेटिंग -
फिल्म समीक्षा : काइट्स
निर्देशक : अनुराग बसु
निर्माता: राकेश रोशन
कलाकार : रितिक रोशन, बारबरा मोरी, कंगना रणावत
संगीत : राजेश रोशन
गीत : नसीर फराज, आसिफ अली बेग
संपादन : अविक अली
वितरण : रिलायंस बिग पिक्चर
प्रेम को किसी भाषा की जरूरत नहीं होती, काइट्स की थीम यही है। निर्देशक अनुराग बसु ने अपनी बाकी फिल्मों की तरह इसमें भी अपने खास अंदाज को बरकरार रखा है। अपराध की गलियों में खिलती खूबसूरत रोमानी प्रेमकथा। फिल्म में हॉलीवुड फिल्मोंे की तरह की गति है। कई सीन निर्देशक की अद्भुत कल्पनाशीलता की बानगी हैं, विशेषकर जहां अशाब्दिक रोमांस का जादू बिखेरा गया है। कार रेसिंग और स्टंट को बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया है।



पटकथा पर अनुराग बसु की मेहतन पूरी तरह से झलकती है। किस्सागोई का उनका अलग अंदाज पूरी फिल्म पर हावी रहता है। घटनाओं को फ्लैशबैक और वर्तमान को जोड़कर कुछ इस तरह से बुना गया है कि हर सीन थोड़ा चौकाता है। अविक अली का संपादन उच्चकोटि का है, बारबरा और रितिक का अभिनय फिल्म की जान है।
फिल्म जे (रितिक रोशन) और नताशा / लिंडा (बारबरा मोरी) की प्रेम की कहानी कहती है। जे (रितिक रोशन) एक डांस टीचर है। वह बहुत जल्दी अमीर होना चाहता है। इसके लिए वह ग्रीनकार्ड चाहने वाली लड़कियों से विवाह कर उन्हें अमेरिका में बसने में मदद करता है। मैक्सिको से आई लिंडा (बारबरा मोरी) भी उसकी मदद लेती है। इसी बीच जे से डांस सीख रही जीना (कंगना)को उससे प्यार हो जाता है। जीना लास वेगास के कैसिनो मालिक (कबीर बेदी) की बेटी है। उसकी दौलत के चक्ककर में जे उससे विवाह करने के लिए तैयार हो जाता है। शादी होने से पहले जे की मुलाकात नताशा उर्फ लिंडा से जीना के घर पर फिर से होती है जो कबीर बेदी के बेटे टोनी(निक ब्राउन) से विवाह करने वाली है।
जे की तरह नताशा भी केवल पैसे के लिए इस शादी को करना चाहती है। लेकिन इसी बीच जे और नताशा को अहसास होता है कि वे दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं। यहां से कहानी में बदलाव आता है, नताशा विवाह से एक दिन पहले जे के साथ भाग जाती है। टोनी और उसके पिता दोनों से बदला लेने के लिए पीछे पड़ जाते हैं। फिल्म में जबर्दस्त थ्रिल, स्टंट और इमोशनल सीन्स हैं। जे और नताशा की भाषा भिन्न होने के बावजूद दोनों की कैमिस्ट्री जोरदार है। हालांकि फिल्म का अंत दुखांत है।
बेहतरीन अभिनय, खूबसूरत गीत और एक अदद डांस नंबर के बावजूद फिल्म भारतीय दर्शकों को प्रभावित कर पाएगी, कहना मुश्किल है। फिल्म के पहले भाग में अमेरिका की खूबसूरत लोकेशंस दिखाई गई हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक और सिनेमेटोग्राफी शानदार है। गीत-संगीत मधुर है। नसीर और आसिफ के लिखे गीतों को राजेश रोशन ने अपने बेहतरीन संगीत से नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। कुल मिलाकर प्रस्तुतिकरण के मामले में अनुराग की यह फिल्म इस साल की सभी फिल्मों पर भारी पड़ती दिख रही है। क्यों देखें: रितिक के अभिनय के लिए, नए तरह के स्टोरी टेलिंग के लिए, कर्णप्रिय संगीत के लिए और बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी के लिए।

प्रिंस ऑफ पर्सिया


डायरेक्टर: माइक निवेल


कास्ट: जेक गेलेनहाल, बेन किंग्सले, जेमा आर्टेटन, अल्फ्रेड मोलीना


बैनर : वॉल्ट डिजनी


अवधि : एक घंटा 34 मिनट


‘प्रिंस ऑफ पर्सिया : द सैंड्स टाइम’ एक्शन और एडवेंचर से भरपूर फिल्म है। फिल्म निर्देशक माइक निवेल ने इसे बनाते समय वीडियो गेम की चर्चित संसार को आधार बनाकर इसका फिल्मांकन किया है।


फिल्म आप को एक ऐसे संसार में ले जाती है जहां दो देशों का आपसी संघर्ष और समय को काबू में करने की होड़ दिखाई देती है। फिल्म के पात्रों में आपको एक तरफ बहादुर प्रिंस दास्तान (जेक गेलेनहाल) देखने को मिलता है जो जन्म से प्रिंस तो नहीं है लेकिन पर्सिया के राजा द्वारा गोद लिए जाने के कारण उसका बचपन राजकुमारों की तरह बीता है। पर्सिया के महाराजा की हत्या का आरोप भी दास्तान के ऊपर लगता है और राजा के दोनों बेटे उसके विरोधी हो जाते हैं।
दरअसल पर्सिया के राजा का असली हत्यारा राजा का खास माना जाने वाला व्यक्ति (बेन किंग्सले ) ही रहता है। उसकी इस साजिश का पर्दाफाश प्रिंस दास्तान करता है और वह उसे तानाशाह बनने से भी रोकता है ।
फिल्म एक ऐसी सैंड वॉच है जो समय को पीछे छोड़ने में सक्षम है लेकिन अगर इसके टूटने पर सारी रेत दैत्य और दानव में तब्दील हो जाती है और ये शैतान पूरे राज्य में फैलकर तबाही लाते हैं। लेकिन दूसरे देश की राजकुमारी तामीना (जेमा आर्टेटन) यहां दास्तान की मदद करती है और वे संसार को बचाने में कामयाब होते हैं। यह फिल्म बच्चों को तो बेहद पसंद आएगी, वहीं युवा वर्ग भी इसे टाइम पास फिल्म के रूप में देख सकता है।


राजनीति


निर्देशक : प्रकाश झा
सह निर्माता : रॉनी स्क्रूवाला
कलाकार : नाना पाटेकर,अजय देवगन, मनोज वाजपेयी, रणवीर कपूर ,नसीरुद्दीन शाह, कैटरीना कैफ,
अर्जुन रामपाल, सारह थॉमसन केन
पटकथा : अंजुम रजबअली,प्रकाश झा
संगीत : प्रीतम, शांतनु मोइत्रा, वेन शार्प
गीतकार : गुलजार, स्वानंद किरकिरे,
अवधि : 185 मिनट
बैनर : प्रकाश झा प्रोडक्शन , वॉक वॉटर मीडिया, यूटीवी मोशन पिक्चर
रेटिंग - 3.5/5
फिल्मकार प्रकाश झा के निर्देशन में बनी फिल्म राजनीति, सत्ता के संघर्ष में उलझे एक परिवार की कहानी है। फिल्म में छल, धोखा, संघर्ष और रक्तपात के साथ सत्ता का महाभारत दिखाने का प्रयास किया गया है। फिल्म की शुरुआत बेहद शानदार है लेकिन अंत उतना प्रभावी नहीं है। कई बार तो ऐसा लगता है कि प्रकाश झा की मौलिक सोच पर बॉक्स ऑफिस का गणित हावी हो गया है और एक बेहतरीन फिल्म बीच रास्ते में अपने वास्तविक पथ से डगमगा गई है। हालांकि संवाद बेहद प्रभावी हैं, पटकथा में एक खास किस्म का धाराप्रवाह देखने को मिलता है और कलाकारों का शानदार अभिनय फिल्म की जान है।
फिल्म की शुरुआत वामपंथी नेता भास्कर सान्याल (नसीरुद्दीन शाह) के प्रभावी अंदाज से होती है। उसके इस अंदाज पर विपक्षी दल की नेता की बेटी भारती (निखिला त्रिखा) भी वामपंथ की धारा में शामिल हो जाती है। भास्कर और भारती में एक दिन संबंध बन जाते हैं, भास्कर इसे अपनी बड़ी भूल मानता है और वनवास पर निकल जाता है। भारती एक बेटे को जन्म देती है लेकिन उसका भाई ब्रज गोपाल (नाना पाटेकर) उसे मंदिर में छोड़ आता है। इस बीच भारती का विवाह जबरन एक राजनैतिक परिवार में कर दी जाती है। लेकिन इस परिवार में सत्ता का संघर्ष उस समय शुरु हो जाता है जब परिवार के मुखिया को लकवा मार जाता है और राष्ट्रवादी पार्टी की बागडोर भारती के पति को मिल जाती है लेकिन इस बात को उसका देवर वीरेंद्र प्रताप (मनोज वाजपेयी) पसंद नहीं करता है।
यहीं से राजनीति छल कपट का एक दौर शुरु होता है जिसमें एक तरफ वीरेंद्र और उसका दोस्त सूरज (अजय देवगन) होते है तो दूसरी तरफ भारती के पति और उसके दो बेटे पृथ्वी (अर्जुन रामपाल) और समर प्रताप (रणबीर कपूर) के बीच राजनीतिक शह और मात का खेल शुरु होता है। फिल्म में समर प्रताप (रणबीर कपूर) से (इंदू) कैटरीना एक तरफा प्यार करती है लेकिन उसका विवाह बाद में उसके भाई पृथ्वी(अर्जुन रामपाल)के साथ होता है। चुनावी मौसम में शह और मात के बीच वोटों की शतरंजी बिसात पर रक्तपात के साथ फिल्म को रोंमाचक बनाने का प्रयास किया गया है। फिल्म में कैटरीना ने छोटे लेकिन प्रभावी रोल में शानदार अभिनय किया है।
ऐसा लगता है हर पात्र एक दूसरे को अपने लिए उपयोग करना चाहता है, लेकिन सूरज के माध्यम से एक ऐसा पात्र भी फिल्म में है जो राजनीति के इस मकड़जाल में भी दोस्ती को निभाता है।
फिल्म में गीतों की संख्या कम है, लेकिन गीतों में मधुरता है। राजनेताओं पर बनीं इस फिल्म में भीड़ का जो आकार निर्देशक ने दिखाया है वह कमाल का है। बेहतरीन संवादों के बीच भीड़ की नारेबाजी के बीच लोकतंत्र को भीड़तत्र में बदलते हुए दिखाने का प्रयास शानदार है। लेकिन एक नेता का खुद हथियार उठा लेना और कत्ल की वारदात करते हुए दिखाना कुछ अतिरंजना सी बात दिखती है।
फिल्म का अंतिम एक घंटा उतना प्रभावी नहीं बन सका है और यहीं से निर्देशक के हाथ से फिल्म छूटती दिखती है। फिल्म में जिस तरह से बोल्ड सीन का फिल्मांकन किया गया है वह भी चौकानें वाला पहलू है। फिल्म की शूटिंग झीलों के खूबसूरत शहर भोपाल में हुई है और फिल्म का छायाकंन शानदार रहा है।
भले ही यह फिल्म प्रकाश झा की पूर्व फिल्मों की तुलना में उतनी प्रभावी नहीं हो लेकिन अजय देवगन, रणबीर कपूर , मनोज वाजपेयी और अर्जुन रामपाल के बेहतरीन अभिनय और राजनीतिक शह - मात के रोचक अंदाज को देखने के लिए इस फिल्म को देखा जा सकता है।

एक सेकेण्ड... जो जिंदगी बदल दे

एक सेकेण्ड जो जिंदगी बदल दे
प्रोड्यूसर:रचना सुनील सिंह
डायरेक्टर:पार्थो घोष
स्टार कास्ट:मनीषा कोइराला,जैकी श्रॉफ,निकिता आनंद,सुनील सिंह, रोज़ा केटालानो
स्टार रेटिंग:1

कहते हैं कि अगर हम ठान लें तो अपनी तकदीर खुद बदल सकते हैं|सिर्फ लड़ने का हौंसला और लगन होनी चाहिए|एक सेकेण्ड..जो जिंदगी बदल दे में फिल्म का भी यही कांसेप्ट है|फिल्म का कांसेप्ट तो नया है मगर इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं जो दर्शकों को अपनी और आकर्षित कर सके|एक सेकेण्ड के डायरेक्टर हैं पार्थो घोष जो लम्बे समय से बॉलीवुड में फिल्में बनाते आ रहे मगर अभी भी इस बात को समझ नहीं पाए कि अच्छी फिल्म कैसेबनाई जाती है|
फिल्म की स्टोरी लाइन तो अच्छी है मगर यह दर्शकों के दिल को छू पाने में नाकामयाब नज़र आती है|फिल्म का स्क्रीन प्ले और एडिटिंग पक्ष बेहद कमज़ोर है और फिल्म के कलाकार इसे और कमज़ोर बनाते हैं|सिर्फ मनीषा कोइराला की ऐक्टिंग ही इस फिल्म में थोड़ी जान ला पाती है|इस फिल्म में यह बताने की कोशिश की गई है कि एक सेकंड में आपकी जिंदगी बदल सकती है|फिल्म की कहानी घूमती है राशी(मनीषा कोइराला) के इर्द गिर्द जो की अपनी जिंदगी में प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में बेहद उतर चढाव भरे दौर से गुजर रही हैं|

शांतनु रॉय(मुआमर रना) राशी(मनीषा कोइराला) का बॉय फ्रेंड है|शांतनु पेशे से एक नोवालिस्ट है|राशी उससे बहुत प्यार करती है मगर शांतनु उसे धोखा देता है|उसका तमन्ना(निकिता आनंद)के साथ अफेयर है|यह बात जब राशी को पता चलती है तो उसे बहुत बुरा लगता है|वह अंदर से टूट जाती है|उसकी मुलाक़ात (युवराज)जैकी श्रॉफ से होती है|युवराज एक तलाकशुदा व्यक्ति है जिसका अपनी पत्नी रोज़ा से तलाक हो चुका है|राशी और युवराज एकदूसरे को चाहने लगते हैं और जिंदगी राशी को अपनी जिंदगी दोबारा शुरू करने का मौका देती है|

फिल्म की स्क्रिप्ट बेदम है|कहानी में कोई नयापन नहीं है|स्क्रीन प्ले और एडिटिंग में कोई जान नहीं है|फिल्म की म्यूजिक भी बिल्कुल प्रभावशाली नहीं है|साथ ही शायराना अंदाज़ में लिखे डायलॉग इसे और भी कमज़ोर बना देते हैं|फिल्म मनीषा कोइराला के कंधों पर टिकी हुई है| बाकी कलाकार बिल्कुल भी प्रभावशाली नहीं है|अगर आप मनीषा कोइराला के बहुत बड़े फैन हैं तो ही आप यह फिल्म देखने सिनेमा घर जाएं|

रावण


स्टार कास्ट:अभिषेक बच्चन,ऐश्वर्या राय बच्चन,विक्रम,गोविंदा,रवि किशन,प्रियामणि,निखिल द्विवेदी
निर्देशक: मणिरत्नम
अवधि: दो घंटे 6 मिनट
स्टार रेटिंग: 2.5
लंबे समय बाद फिल्म निर्देशक मणिरत्नम फिल्म रावण के साथ दर्शकों से रूबरू हुए हैं। फिल्म रावण की कहानी रामायण से प्रेरित जरूर है लेकिन उसे आज के संदर्भ में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। फिल्म में ऐश्वर्या रॉय का अभिनय, संतोष सिवान की बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी और खूबसूरत लोकेशंस प्रभावित करने वाले हैं। फिल्म अच्छाई और बुराई के जिस कथानक को ध्यान में रखकर बनाई गई है उसमें वह उतनी सफल नजर नहीं आती है। अभिषेक बच्चन ने इससे पहले मणिरत्नम की ‘युवा’ और गुरु’ में जिस तरह का जादू जगाया था वैसा कुछ रावण में देखने को नहीं मिलता है।
फिल्म का कथानक लाल माटी के जंगलों में रहने वाले बीरा (अभिषेक बच्चन) पुलिस अधिकारी देव प्रताप (विक्रम)और रागिनी (ऐश्वर्या रॉय) की जिंदगी के आस -पास घूमता है। लाल माटी के जंगलों में रहने वाले लोगों के लिए वीरा कुछ कुछ रॉबिन हुड की तरह है, वह कुछ लोगों के लिए काल है तो कुछ लोगों के लिए वह बहुत प्यारा है। लेकिन देवप्रताप उसे हर हाल में पकड़ना चाहता है क्योंकि बीरा के कब्जे में उसकी पत्नी रागिनी है। बीरा-रागिनी का अपहरण पुलिस अधिकारी देवप्रताप से बदला लेने के लिए करता है। देवप्रताप -बीरा को पकड़ने के लिए वह सब कुछ करता है जो उसके बस में होता है और बीरा अपने अंदाज में हर बात का जवाब देता है ।
फिल्म की शुरुआत के 4 मिनट बेहद प्रभावशली है। ऐश्वर्या का अभिनय और उनकी खूबसूरती पूरी फिल्म में लाजवाब अंदाज में उभर कर आती है। इन सब बातों के बावजूद मध्यांतर से पहले फिल्म प्रभावित नहीं करती है। फिल्म की पटकथा में असली रोमांच दूसरे भाग में आता है और कहानी में बदलाव दर्शक को बांधे रखता है। लेकिन फिल्म में जिस तरह से रावण का अंत दिखाया गया है वह एक सवाल छोड़ जाता है , क्या बीरा सचमुच बुरा था? आप इसे यूं भी कह सकतें है क्या रावण सचमुच बुरा था? ऐसा लगता है यहीं वह प्रश्न है जिसके चलते मणिरत्नम ने इस फिल्म को कुछ बदलावों के साथ दर्शक को बताने का प्रयास किया है।
फिल्म का संगीत ठीक-ठाक है, गीतों के बोल में गुलजार का ºास अंदाज झलकता है। इन सब बातों के बावजूद ऐसा लगता है कि फिल्म वह जादू नहीं जगा पाई जिसकी उम्मीद मणिरत्नम की फिल्मों से की जाती है।
फिल्म के अन्य कलाकारों में रवि किशन ने अपने रोल के साथ न्याय किया है, प्रियामणि अपने छोटे से रोल में प्रभावी और बेहद खूबसूरत नजर आई हैं। गोविंदा ने आखिर यह फिल्म क्यों की कुछ समझ नहीं आता, उनके लिए फिल्म में करने के लिए कुछ था ही नहीं।इस फिल्म को ऐश्वर्या रॉय के खूबसूरत और दिलकश अभिनय, और संतोष सिवन की बेहतरीन सिनेमैटोग्राफी के लिए देखा जा सकता है।

मिसेज़ सिंह और मिस्टर मेहता


फिल्म:मिसेज सिंह और मिस्टर मेहताकास्ट:प्रशांत नारायणन,अरुणा शील्ड्स,नावेद असलम और लूसी हसन


डायरेक्शन:प्रवेश भारद्वाज


संगीत: उस्ताद शुजात हुसैन


समय अवधि:2 घंटे


स्टार रेटिंग:1
मिसेज़ सिंह और मिस्टर मेहता फिल्म के डायरेक्टर प्रवेश भारद्वाज से यह पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने यह फिल्म क्यों बनाई। विवाहेत्तर संबंधों(एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर)पर पहले भी सिलसिला,कभी अलविदा न कहना और मर्डर जैसी फिल्मों में कई बार दिखाया जाचुका है इसलिए फिल्म में ऐसा कुछ भी दर्शकों को आकर्षित कर सके।



फिल्म की कहानी विवाहेत्तर संबंधों(एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर)पर आधारित है। कहानी है दो शादीशुदा जोड़ों की (नीरा)अरुणा शील्ड्स की शादी (करन)नावेद असलम से हुई है और (अश्विन)प्रशांत नारायणन की शादी (सखी)लूसी हसन से हुई है। दोनों ही जोड़े अपने पार्टनर्स को धोखा देते हैं। करन (नीरा के पति) के (सखी)प्रशांत की पत्नी के साथ संबंध हैं।



यह बात नीरा को पता चल जाती है कि उसका पति उसके पीछे क्या गुल खिला रहा है। नीरा इस बात से काफी दुखी हो जाती है और सारी बात अश्विन को बता देती है|अश्विन नीरा को सहारा देता है और धीरे दोनों एक दूसरे के करीब आने लगते हैं। फिल्म के अंत तक पहुंचने पर भी यह समझ नहीं आता कि आखिर डायरेक्टर फिल्म के माध्यम से कहना क्या चाहता था।



फिल्म की बेजान पठकथा इसे बेहद बोरिंग बना देती है। साथ ही अश्विन और नीरा ऊपर फिल्माए गए न्यूड और सेक्स सींस बार बार बेवजह रिपीट किए गए हैं। बेजान स्टोरी,बेदम स्क्रीनप्ले और नीरस डायलॉग्स फिल्म को और भी ज्यादा कमज़ोर बना देते हैं। ग़ज़लों की वजह से फिल्म का संगीत मधुर लगता है|



कलाकारों की अदाकारी की बात की जाए तो सिर्फ प्रशांत नारायणन ही फिल्म में छाप छोड़ने में कामयाब नज़र आते हैं|प्रशांत की डायलॉग डिलेवरी और एक्सप्रेशंस कमाल के हैं। अरुणा शील्ड्स ने ओवर एक्टिंग की है|नावेद असलम और लूसी हसन ने अपने छोटे से रोल में ठीक ठाक अभिनय किया है।



साफ़ तौर पर कहा जाए तो फिल्म बिलकुल बेदम है और अगर कोई देखना चाहे तो अरुणा के न्यूड सींस और प्रशांत नारायणन की बढ़िया परफोर्मेंस की वजह से फिल्म देख सकता है।


क्रान्तिवीर ( हिंदी फिल्म )

स्टार कास्ट- समीर अफताब, आदित्य सिंह राजपूत, हर्ष राजपूत, जहाँ ब्लोच, रंजीत, फरीदा जलाल, गोविंद नामदेव, मुकेश तिवारी, अमन वर्मा हितेन पेंटल ।

निर्देशक-मेहुल कुमार

म्यूजिक-सचिन-जिगर

निर्माता- व्हाइट सिटी इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड

रेटिंग--

1994 में आई नाना पाटेकर और डिम्पल कपाड़िया की सुपरहिट फिल्म क्रांतिवीर का सीक्वल दर्शकों के सामने आ रहा है। जिसका नाम क्रांतिवीर-द रिवोल्यूशन है। फिल्म की कहानी रोशनी (जहां ब्लोच) के इर्द-गिर्द घूमती है। जहाना प्रताप नारायण तिलक (नाना पाटेकर) और कलमवाली बाई (डिम्पल कपाड़िया) की बेटी है।

रोशनी बिल्कुल अपने पिता की तरह मजबूत इरादों वाली लड़की है जो एक अच्छी नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रही है। वह अपनी मां की पदचिन्हों पर चल कर मीडिया के क्षेत्र में कदम रखती है। जहां उसकी दोस्ती विशाल(समीरअफताब), गोल्डी(आदित्य सिंह राजपूत) और उदय (हर्ष राजपूत) से हुई और अपने इन्ही दोस्तों के साथ वह पूरी फिल्म में भ्रष्ट सिस्टम को लेकर लड़ती रहती है।

इंटरवल से पहले फिल्म में रोशनी बिल्कुल वैसे ही घरेलू हिंसा से पीड़िता लोगों को प्रेरित करती हुई नजर आती जैसे पहले आई क्रांतीवीर फिल्म में नाना पाटेकर ने किया था। इस फिल्म रोशनी द्वारा बोले गए कुछ ऐसे डायलॉग भी सुनने में आए हैं जो पहली वाली क्रांतिवीर में नाना पाटेकर द्वारा बोले गए थे। फिल्म के यही कुछ हिस्से इन दोनों फिल्मों को आपस में जोड़ते हैं।

वहीं इंटरवल के बाद रोशनी जिस तरह निडर होकर मंत्री के घर में प्रवेश करती हैं और जासूसी करती हैं उससे उनके चरित्र में और दृढ़ता आ जाती है। बात अगर फिल्म जहां की परफॉर्मेस का की जाए तो उनकी अदाकारी उनके को-स्टार्स पर काफी भारी पड़ी है।

फिल्म में प्रेम त्रिकोण भी दिखाया गया है और फिल्म के गानों की शूटिंग विदेशों में की गई है। जो फिल्म में रोचकता के साथ रस भी भरते हैं। फिर भी फिल्म कमजोर स्क्रिप्ट होने के कारण दृश्यों को उभार पाने में असमर्थ है। देखा जाए तो फिल्म में नएपन का अभाव है। ब्लॉकबस्टर फिल्म क्रांतिवीर से फिल्म की तुलना करने पर यह कहना गलत न होगी की उस फिल्म की तुलना में यह काफी फीकी है।

Sunday, May 2, 2010

सानिया से शादी शोएब की ख़ुशनसीबी..

sania33_288आपने ईद के चांद के बारे में पाकिस्तान से आने वाली ख़बरें सुनी और पढ़ी होंगी, जिनमें झगड़ा इस बात पर होता है कि चांद नज़र आ गया है या नहीं। जब कुछ लोग कहते हैं कि चांद नहीं, इस झगड़े का नतीजा यह निकलता है कि एक ही मुल्क और एक ही शहर में दो और कभी-कभी तीन ईदें भी हो जाती है और त्योहार का मजा किरकिरा हो जाता है। ऐसा ही एक झगड़ा पाकिस्तान की सिक्ख बिरादरी में उठ खड़ा हुआ है।

30 मार्च को गुरुद्वारा पंजा साहब में पाकिस्तान, अमेरिका, हिंदुस्तान और कुछ दूसरे मुल्कों से आए हुए सिक्खों की एक मीटिंग हुई, जिसमें यह कहा गया कि सिक्खों के पुराने मज़हबी कैलेंडर ‘नानक शाही’ में किसी भी क़िस्म की तब्दीली करने से पहले दुनिया भर के सिक्खों के प्रतिनिधि बुलाए जाएं, जब वे किसी बदलाव पर राजी हो जाएं, तब ही इसका एलान किया जाए।

पाकिस्तान में 25 हजार से ज्यादा सिक्ख रहते हैं, जिनकी बहुतायत लाहौर हसन अब्दाल, इस्लामाबाद, स्वात, पेशावर और ननकाना साहब में रहती है। इनके मामलात की देखभाल के लिए 11 लोगों की एक कमेटी बनी हुई है, जो ‘पाकिस्तानी सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी कहलाती है।

इस कमेटी के सरदार शाम सिंह हैं, उनका और कमेटी के दूसरे मेंबर रमेश सिंह और डॉक्टर सुरन सिंह के साथ ही अमेरिकन सिक्ख काउंसिल के डॉक्टर प्रीतलाल सिंह का भी यही कहना है कि हम पुराने नानक शाही कैलेंडर में किसी भी तरह का बदलाव बर्दाश्त नहीं करेंगे और अपने सारे त्योहार पुराने कैलेंडर के हिसाब से ही मनाएंगे। यह झगड़ा कम होने की बजाय और बढ़ता ही नज़र आ रहा है।

अगर यह झगड़ा इसी तरह बढ़ता रहा, तो फिर सिक्ख भी अपने त्योहार एक दिन की बजाय अलग-अलग मनाएंगे और ईद का चांद नज़र आने या न आने पर हमारे यहां जिस तरह अलग-अलग ईदें होती हैं, वैसा ही मामला हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी सिक्खों के बीच भी खड़ा हो जाएगा।

झगड़े की बातें एक तरफ़ रखते हुए आइए, एक ऐसे कॉलेज को याद करें, जो इस महीने 128 बरस का हो गया और जिससे इस इलाक़े में रहने वाले पुराने लोगों की बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं। यह बहावलपुर का क़िस्सा है, जहां 1882 में अपर ईजार्टन स्कूल क़ायम हुआ, जो सिर्फ़चार बरस के बाद कॉलेज बना दिया गया और उसका बहावलपुर के नवाब सर सादिक़ मोहम्मद ख़ान अब्बासी और पंजाब के उस व़क्त के गर्वनर सर रॉबर्ट ईज़र्टन के नाम को मिलाकर ‘सादिक़ ईजार्टन कॉलेज’ रख दिया गया। इस कॉलेज के पहले प्रिंसीपल बाबू प्रसन्न कुमार बोस बनाए गए, जो इससे पहले ढाका के जगन्नाथ कॉलेज में प्रिंसीपल थे।

इस कॉलेज के शुरू में टीचरों में मौलवी दीन मोहम्मद, राम रतन जी और मौलाना ज़मीयत अली शामिल थे उस व़क्त सिर्फ़ सात लड़कों को कॉलेज में दाख़िला मिला था और अब 128 बरस बाद इसमें चार हज़ार छात्र पढ़ते हैं और उन्हें पढ़ाने वालों की तादाद 150 है। सादिक ईजार्टन कॉलेज के कुछ पुराने विद्यार्थी इस व़क्त हिंदुस्तान में भी बिखरे हुए होंगे, क्योंकि बंटवारे के व़क्त यह कॉलेज 61 बरस का हो चुका था और यक़ीनन यहां के बहुत से विद्यार्थी हिंदुस्तान गए होंगे।

मुझे नहीं मालूम कि कॉलेज के इन पुराने विद्यार्थियों में से कोई तीन दिन के इस जश्न में शिरकत के लिए आ रहा है या नहीं, लेकिन इसके पुराने विद्यार्थी जहां भी होंगे, उन्हें अपने कॉलेज की सवासदी का जश्न मुबारक हो। मुबारकवादियों और फूलों से सानिया मिर्ज़ा और शोएब मलिक का हर जगह स्वागत हुआ। जब वो हिंदुस्तान से आकर पाकिस्तान के कुछ शहरों में गए। कुछ लोगों का कहना है कि यह शोएब मलिक की ख़ुशनसीबी है कि उसकी शादी सानिया मिर्ज़ा से हुई।

अगर वो किसी पाकिस्तानी लड़की से शादी करते, तो अख़बारों में एक कॉलम की ख़बर लग जाती और उसके बाद कोई पूछता भी नहीं कि शादी किससे हुई। यहां पाकिस्तान में इस शादी पर करोड़ों का सट्टा हुआ और अब शायद इस बात पर सट्टा लग जाए कि इनकी शादी कब तक चलती है, लेकिन इस तरह की बात करना नए-नवेले जोड़े को यक़ीनन पसंद नहीं आएगा। सानिया अगर इस बात पर नाराज़ है, तो हमें इनसे कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए, एक ज्योतिष ने भविष्यवाणी की है कि इन दोनों के यहां चार बच्चे होंगे।

सुना है कि शोएब मलिक सानिया मिर्ज़ा को मिरी ले जाने का इरादा रखते हैं। मिरी हमारे यहां का ठंडा और पहाड़ी शहर है, जहां गर्मियों के दिनों में लोग सैर-तफ़रीह को जाते हैं। यूं समझें कि हमारे यहां का शिमला है। शहर के हंगामों से दूर मिरी में उपमहाद्वीप पर अंग्रेजी राज की यादगार के रूप में तीन चर्च मौजूद हैं। अंग्रेजों ने सिक्खों को शिकस्त देने के बाद पंजाब और आसपास के इलाकों, यानी हज़ारा और कश्मीर पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद इस इलाक़े के सबसे ऊंचे पहाड़ पर मिरी हिल स्टेशन की बुनियाद रखी।

उन्होंने शहर के बीच में होली ट्रिनिटी चर्च बनवाया था कि शहर को किसी यूरोपी शहर की शक्लोसूरत दी जा सके। अंग्रेजों की आमद से पहले यह इलाक़ा स्थानीय ईसाई क़बीले की मिल्कियत(स्वामित्व) में था और उसका नाम मसयारी था। इसके अलावा भी मिरी से जुड़ी हुई बहुत सी दास्तानें हैं। बहुत से इतिहासकारों का दावा है कि हज़रत मरियम (मदर मैरी) का कज़ार पिंडी पाइंट पर मौजूद है और इसी वज़ह से अंग्रेजों ने इस जगह को अपना केंद्र बनाया।

जबकि इन दावों की सच्चई को परखा नहीं जा सकता, क्योंकि इनसे जुड़े हुए ऐतिहासिक अधिकार उपलब्ध नहीं हैं, तो भी यह बात तो ज़रूर साफ़ हो जाती है कि मिरी ईसाइयों या अंग्रेजों ने आबाद किया था। मिरी के माल रोड पर ट्रिनिटी चर्च की तामीर 1850 में शुरू हुई थी और 1857 में यह मुकम्मिल हो गई थी और वहां पहली बार मज़हबी रस्में अदा की गई थीं। 150 बरस गुज़र जाने के बावजूद होली ट्रिनिटी चर्च आज भी बहुत अच्छी हालत में है।

हिंदुस्तान में भी होंगे छात्र पाकिस्तान के बहावलपुर में क़रीब 128 साल पहले 3 शिक्षकों और 7 छात्रों के साथ क़ायम हुए अपर ईजार्टन स्कूल में इस व़क्त 4000 छात्र पढ़ते हैं, और उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या है 150।

Saturday, May 1, 2010

मजदूर दिवस पर कुछ खास तस्वीरें

शनिवार को पूरी दुनिया में मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। मशीनों के इस युग में आज भी मजूदरों को काफी खतरनाक हालातों में काम करना पड़ता है। काम के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं में हताहत हुए मजदूरों के परीजनों को पूरा मुआवजा नहीं मिलता। यही कारण है कि पूरी दुनिया में मालिकों और मजदूरों के बीच हमेशा विवाद होता रहता है। मजदूर दिवस पर विभिन्न संगठनों ने पूरी दुनिया में प्रदर्शन किया है।



पेश हैं कुछ खास फोटो-



lebour



lebour



lebour



lebour



lebour



lebour



lebour



lebour


स्वात में शक्तिशाली विस्फोट,3 मरे

Swat
पाकिस्तान में स्वात के मिंगोरा इलाके में शनिवार को हुए एक शक्तिशाली बम विस्फोट में कम से कम तीन

लोग मारे गए तथा 12 घायल हो गए।

स्थानीय मीडिया के अनुसार यह विस्फोट मिंगोरा के सोहराब खान चौक के समीप हुआ जिसमें दो लोगों की मौत हो गई तथा 12 घायल हुए। घायलों को सैदु शरीफ अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक लाल नूर ने बताया कि तीन घायलों की हालत गंभीर है।

सूत्नों ने बताया कि विस्फोट के बाद घटनास्थल पर धुएं का गुबार छा गया। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि आसपास की कई दुकानें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। सुरक्षा बलों ने घटनास्थल को घेर लिया है।

आतंकी निशाने पर शहर


प्रदेश के महत्वपूर्ण महानगरों में 26 अप्रैल तक कोई बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम दिए जाने की खुफिया सूचना के बाद शहर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। आतंकी हमले के मद्देनजर होटल, सराय, स्टेशन व बस स्टैंडों के आसपास बारीकी से नजर रखी जा रही है। सार्वजनिक स्थलों व भीड़-भाड़ वाले इलाकों मंे बम निराधक दस्ते की मदद से तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।

जानकारों के अनुसार खुफिया सूचना यह है कि आतंकियों की नजर प्रदेश के जिन बड़े महानगरों पर है उनमें जबलपुर भी शामिल है, इस खुफिया जानकारी ने पुलिस प्रशासन की नींद उड़ा दी है। लेकिन अधिकारी इस तरह की किसी सूचना से इंकार कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों मुख्यालय से मिली जानकारी के बाद से पुलिस प्रशासन हरकत में है और पूरे शहर में सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।



इसके तहत शाम होते ही भीड़-भाड़ वाले इलाकों पर कड़ी नजर रखने के साथ संदिग्ध दिखने वालों की जांच की जा रही है। सर्तकता बतौर आज रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, टॉकीज, होटलों व मॉल के आसपास बम निरोधक दस्ते की मदद से तलाशी अभियान चलाया गया। रात्रि में सिविक संेटर क्षेत्र में बम डिस्पोजल स्क्वॉड के साथ छानबीन में जुटे ओमती सीएसपी संजय साहू व टीआई डीएल तिवारी ने इस अभियान को नियमित कार्रवाई बताया।



नियमित कार्रवाई



शहर के विभिन्न क्षेत्रों में तलाशी अभियान, किरायेदारांे, होटल ढाबों की चैकिंग नियमित कार्रवाई के तहत की जा रही है। सुरक्षा के मद्देनजर इस तरह का अभियान चलाया जा रहा है।


प्रदेश का बड़ा शहर



समय-समय पर मिलने वाली सूचनाओं और प्रदेश का बड़ा शहर होने के कारण सर्तकता बतौर चैकिंग अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत भीड़-भाड़ वाले इलाकों में सुरक्षा गतिविधियों का जायजा लिया जा रहा है।


नागपुर से आने वालों पर नजर



सूत्रों के अनुसार खुफिया सूचना के बाद जिले में प्रवेश करने वाले सभी प्रमुख मार्गो पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है और नागपुर से आने आने वाले वाहनों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।


कोलकाता पर आतंकी हमले का खतरा

केन्द्रीय गृह मंत्नालय ने खुफिया सूचनाओं के आधार पर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में आतंकवादी हमले की आशंका के बारे में चेतावनी जारी की है ।

एयरपोर्ट और काली मंदिर पर हो सकता है आतंकी हमला

मंत्नालय के सूत्नों ने आज यहां बताया कि खुफिया सूचनाओं के अनुसार इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी कोलकाता के कुछ हिस्सों में आतंकवादी कार्रवाइयों को अंजाम दे सकते हैं। इस सूचना के आधार पर पश्चिम बंगाल पुलिस को सचेत कर दिया गया है।

पश्चिम बंगाल में विस्फोटक बरामद

पश्चिम बंगाल के आसन सोल में सीआईडी और स्थानीय पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए विस्फोटक बरामद किए हैं। दिल्ली में आतंकी हमले की चेतावनी के बाद विस्फोटकों का एक बड़ा जखीरा हाथ लगा है। इस मामले में पुलिस ने कमरुद्दीन खान नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया है।

इलाहाबाद में भी मिला जखीरा : तीन गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के घूरपुर इलाके में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार घूरपुर इलाके में स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) और स्थानीय पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में तीन लोगों को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से 16 बोरी अमोनियम नाइट्रेट और 2500 डेटोनटर बरामद किए गए। गिरफ्तार लोगों से विस्फोटक के बारे में पूछताछ की जा रही है।

कल रात दिल्ली में घुसे आतंकी

newdelhi_288
खुफिया विभाग के सूत्रों के अनुसार दिल्ली में शुक्रवार की रात आतंकी घुस गए हैं। आतंकी नेपाल-बांग्लादेश के रास्ते भारत में दाखिल हुए हैं। इन आतंकियों का संबंध पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन से है। जानकारी मिली है कि ये आतंकी दिल्ली को दहलाने की फिराक में हैं। गृहमंत्रालय को शुक्रवार रात ही खुफिया सूचना मिली थी। दिल्ली में आतंकी हमले की सूचना के चलते हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और पश्चिम बंगाल के आसनसोल में भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किए गए हैं। अमेरिका ने दिल्ली में आतंकी हमला होने की चेतावनी दी है। जानकारी के अनुसार अमेरिका ने कहा है कि दिल्ली के करोलबाग, चांदनी चौक, सरोजनी नगर, महरौली, कनॉट प्लेस, जीके आदि क्षेत्र आतंकियों के निशाने पर हैं। अमेरिका की खुफिया एजेंसियों की ओर से यह एडवाइजरी जारी की गई है। इसमें दिल्ली के उन स्थानों को आतंकियों द्वारा निशाना बनाए जाने की बात कही गई है जो काफी भीड़भाड़ वाले होते हैं।

अमेरिका ने कहा है कि आतंकी किसी बड़े आतंकी हमले को अंजाम दे सकते हैं। भारत की राजधानी पर आतंकी हमले की आशंका के चलते केंद्रीय गृहमंत्रालय ने अलर्ट जारी कर रखा है। अमेरिका ने अपने नागरिकों से दिल्ली में सतर्क रहने को कहा है।

पिछले 15 दिनों में यह दूसरी बार है जब किसी आतंकी हमले की आशंका जताई गई है। हमले की आशंका के चलते हैदराबाद में भी अलर्ट घोषित कर दिया गया है। साथ ही पुलिस ने जनता से अपील की है कि कोई भी संदिग्ध वस्तु या व्यक्ति दिखाई देने पर तुरंत सूचना दें।

लश्कर-ए-तैयबा कर सकता है हमला

अमेरिका की ओर से जारी की गई चेतावनी में कहा गया है कि लश्कर-ए-तैयबा संगठन के आतंकी हमला कर सकते हैं। अमेरिका ने कहा है कि कोई बड़ा आतंकी हमला हो सकता है।

भीड़भाड़ वाले इलाके में न जाएं : गृहमंत्रालय

केंद्रीय गृहमंत्रालय ने आतंकी हमले की चेतावनी के बाद जनता को एहतियात बरतने को कहा है। मंत्रालय ने लोगों से भीड़भाड़ वाले इलाकों में न जाने के लिए कहा है।

सरकारी इमारतें और पर्यटक स्थल निशाने पर

बताया जा रहा है कि आतंकी सरकारी इमारतों और पर्यटक स्थलों को निशाना बना सकते हैं। दिल्ली पुलिस का कहना है कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। बस सतर्क रहने की जरुरत है।

पुलिस को सूचना दें

दिल्ली पुलिस ने आतंकी हमले के चलते जनता से अपील की है कि यदि इस संबंध में कोई भी जानकारी मिलती है तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। सूचना देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी।

मदद मांगेगी दिल्ली

दिल्ली की सरकार केंद्रीय गृहमंत्रालय से सुरक्षा के लिए मदद की गुहार लगाएगी। बता दें कि आने वाले दिनों में दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स होने वाले हैं। ऐसे में सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी रहे तो किसी भी अप्रिय घटना से दिल्ली दहल सकती है। फिलहाल अलर्ट के चलते दिल्ली के मुख्य स्थानों पर सादी वर्दी में पुलिसकर्मी जांच कर रहे हैं। सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं। पुलिस के आला अधिकारियों ने फिलहाल इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार किया है।

ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया ने भी जारी की एडवाइजरी

दिल्ली में आतंकी हमले की अमेरिका की चेतावनी के बाद ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने भी एडवाइजरी जारी की है।

सुरक्षा के जमीनी हालत कुछ और ही हैं

दिल्ली पुलिस के सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। क्योंकि आतंकी हमले की चेतावनी के बाद भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं। यहां तक कि मेटल डिटेक्टर भी जगह घेरने वाले उपकरण के अलावा और कुछ साबित नहीं हो पा रहे हैं।

विस्फोटक बरामद

पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के इलाबाद में पुलिस ने विस्फोटक बरामद किए हैं।

पोते के प्यार में पड़ी दादी

love
लंदन. एक दादी अपने ही पोते के प्यार में गिरफ्तार हो गई है। दादी-पोते की प्रेम कहानी आजकल इंटरनेट पर काफी छाई हुई है। दादी अपने पोते को उसे मिलने वाली पेंशन भी दे रही है ताकि उनका बच्चा इस दुनिया में कदम रख सके। अरे जनाब कुछ गलत मत समझिए उनका बच्चा एक सरोगेट मदर की कोख में पल रहा है।

72 वर्षीय पिअर्ल कार्टर और उनका 26 वर्षीय पोता फिल बैली एक दूसरे के प्यार में पड़ गए हैं। यही नहीं इस दादी ने अपने पोते के लिए अपनी पेंशन से सरोगेट मदर भी ढूंढ ली है। कारण कि पिअर्ल इस उम्र में बच्चे को जन्म नहीं दे सकती है।


बेरिंग सागर में भूकंप के तगड़े झटके

Bering Sea
अमरीकी भूगर्भ सर्वेक्षण ने कहा है कि बेरिंग सागर में रिक्टर पैमाने पर 6.3 तीव्रता का भूकंप मापा गया है। आरंभिक इसकी तीव्रता 6.7 आंकी गयी थी। यह भूकंप अलास्का के गैमबेन से लगभग 473 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित स्थान पर महसूस किया गया और इसकी गहराई लगभग 15 किलोमीटर थी। भूकंप का झटका भारतीय समयानुसार सुबह चार बजकर 41 मिनट पर रूस के पूर्व में स्थित इस सागर में महसूस किया गया।

यहां पांच मिनट बाद रिक्टर पैमाने पर 6.0 तीव्रता का भूकंप बाद झटका भी महसूस किया गया। अलास्का में एनकोरेज के अधिकारियों का कहना है कि भूकंप के कारण पश्चिमी तट पर सुनामी की कोई आशंका नहीं है।



अलास्का सुनामी चेतावनी केन्द्र ने भी कहा है कि देश में अभी सुनामी की कोई आशंका नहीं है और यहां सुनामी संबंधी कोई चेतावनी या परामर्श फिलहाल जारी नहीं किया गया है।


मनस्वी ममगाई बनी मिस इंडिया वर्ल्ड

bhaskar
पेंटालून फेमिना मिस इंडिया वर्ल्ड 2010 का खिताब मनस्वी ममगाई ने जीत लिया है। शुक्रवार की रात आयोजित रंगारंग समारोह में पूर्व मिस इंडिया वर्ल्ड पूजा चोपड़ा ने मनस्वी को यह ताज पहनाया।

बेंगलुरू की निकोल फारिया को पेंटालून फेमिना मिस इंडिया अर्थ चुना गया है। उन्हें यह ताज पूर्व मिस इंडिया अर्थ श्रिया किशोर ने पहनाया। मध्यप्रदेश के देवास की रहने वाली नेहा हिंगे ने पेंटालून फेमिना मिस इंडिया इंटरनेशनल का खिताब जीता है। उन्हें यह ताज पूर्व मिस इंडिया यूनिवर्स एकता चौधरी ने पहनाया।



इस प्रतियोगिता में विजेताओं का चयन सानिया मिर्जा, चेतन भगत, रितु बेरी और शिल्पा शेट्टी, कुणाल कपूर, विजयेंद्र सिंह और अनुराग बसु की जूरी ने किया।


Friday, April 30, 2010

18 सुंदरियों में आखिर कौन बनेगी मिस इंडिया?

मिस इंडिया का ताज आखिर किसके सिर बंधेगा इसका फैसला 30 अप्रैल को हो जाएगा। विजेता कौन होगा इसके लिए वोटिंग की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और 30 अप्रैल को होने वाले फाइनल राउंड के बाद मिस इंडिया 2010 का फैसला हो जाएगा।

मिस इंडिया क्राउन पाने वाली पहली तीन सुंदरियों के लिए फिएट लिनिया कार ईनाम के रूप में मिलेगी और इसके साथ ही इस बार इन सुंदरियों के पास बॉलीवुड में रोल पाने का अवसर भी मिलने जा रहा है। मिस इंडिया 2010 की विजेता इन 18 सुंदरियों में से चुनी जाएंगी।

Aeshra Patel

1 ऐश्रा पटेल

Alisha-Pekha

2 अलिसा पेखा

Anjali Raut

3. अंजली राउत

Anshu Malik

4. अंशु मलिक

Ashima Jain

5.अशिमा जैन

Dimple Patel

6. डिंपल पटेल

Gurpreet Bedi

7.गुरप्रीत बेदी

Jinal Pandya

8.जीनल पंडया

Krithika Babu

9. कृतिका बाबू

Malvika Raaj

10.मालविका राज

Manasvi Mamga

11.मानसवी ममगई

Neha Hinge

12.नेहा हिंगे

Nicole Alvares

13. निकोल अल्वारेज



nicolefaria_288

14. निकोल फारिया



Pearl Verma

15. पर्ल वर्मा



Rohini Mukherji

16. रोहिणी मुखर्जी



Tahira-Kochhar

17.ताहिरा कोचर

Unnatii-Davara

18.उन्नति दावेरा

missindia 2010



आपके हिसाब से इन 18 खूबसूरत लड़कियों में से इस मिस इंडिया 2010 का खिताब कौन जीत सकता है? अपने जवाब हमें लिख भेजें