Monday, June 28, 2010

एक सेकेण्ड... जो जिंदगी बदल दे

एक सेकेण्ड जो जिंदगी बदल दे
प्रोड्यूसर:रचना सुनील सिंह
डायरेक्टर:पार्थो घोष
स्टार कास्ट:मनीषा कोइराला,जैकी श्रॉफ,निकिता आनंद,सुनील सिंह, रोज़ा केटालानो
स्टार रेटिंग:1

कहते हैं कि अगर हम ठान लें तो अपनी तकदीर खुद बदल सकते हैं|सिर्फ लड़ने का हौंसला और लगन होनी चाहिए|एक सेकेण्ड..जो जिंदगी बदल दे में फिल्म का भी यही कांसेप्ट है|फिल्म का कांसेप्ट तो नया है मगर इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं जो दर्शकों को अपनी और आकर्षित कर सके|एक सेकेण्ड के डायरेक्टर हैं पार्थो घोष जो लम्बे समय से बॉलीवुड में फिल्में बनाते आ रहे मगर अभी भी इस बात को समझ नहीं पाए कि अच्छी फिल्म कैसेबनाई जाती है|
फिल्म की स्टोरी लाइन तो अच्छी है मगर यह दर्शकों के दिल को छू पाने में नाकामयाब नज़र आती है|फिल्म का स्क्रीन प्ले और एडिटिंग पक्ष बेहद कमज़ोर है और फिल्म के कलाकार इसे और कमज़ोर बनाते हैं|सिर्फ मनीषा कोइराला की ऐक्टिंग ही इस फिल्म में थोड़ी जान ला पाती है|इस फिल्म में यह बताने की कोशिश की गई है कि एक सेकंड में आपकी जिंदगी बदल सकती है|फिल्म की कहानी घूमती है राशी(मनीषा कोइराला) के इर्द गिर्द जो की अपनी जिंदगी में प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में बेहद उतर चढाव भरे दौर से गुजर रही हैं|

शांतनु रॉय(मुआमर रना) राशी(मनीषा कोइराला) का बॉय फ्रेंड है|शांतनु पेशे से एक नोवालिस्ट है|राशी उससे बहुत प्यार करती है मगर शांतनु उसे धोखा देता है|उसका तमन्ना(निकिता आनंद)के साथ अफेयर है|यह बात जब राशी को पता चलती है तो उसे बहुत बुरा लगता है|वह अंदर से टूट जाती है|उसकी मुलाक़ात (युवराज)जैकी श्रॉफ से होती है|युवराज एक तलाकशुदा व्यक्ति है जिसका अपनी पत्नी रोज़ा से तलाक हो चुका है|राशी और युवराज एकदूसरे को चाहने लगते हैं और जिंदगी राशी को अपनी जिंदगी दोबारा शुरू करने का मौका देती है|

फिल्म की स्क्रिप्ट बेदम है|कहानी में कोई नयापन नहीं है|स्क्रीन प्ले और एडिटिंग में कोई जान नहीं है|फिल्म की म्यूजिक भी बिल्कुल प्रभावशाली नहीं है|साथ ही शायराना अंदाज़ में लिखे डायलॉग इसे और भी कमज़ोर बना देते हैं|फिल्म मनीषा कोइराला के कंधों पर टिकी हुई है| बाकी कलाकार बिल्कुल भी प्रभावशाली नहीं है|अगर आप मनीषा कोइराला के बहुत बड़े फैन हैं तो ही आप यह फिल्म देखने सिनेमा घर जाएं|

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