तो देर न करो और इस सुहाने अवसर का लाभ उठाये .

पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी प्रांत के सूचना मंत्री मियां इफ्तखार हुसैन के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते के दौरान हुई मूसलधार बारिश से अनेक नदियों के तटबंध टूट गए हैं। प्रांत की राजधानी पेशावर, चारसद्दा और नौशेरा जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
तीस लाख की आबादी वाले पेशावर शहर का संपर्क लगातार तीसरे दिन भी मुल्क के अन्य हिस्सों से कटा रहा। कोहिस्तान जिले में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे 200 चीनी नागरिक भी फंसे हुए हैं। प्रांत में आठ सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।
उधर ,पंजाब प्रांत में 50 लोग मारे गए हैं, जबकि पाक अधिकृत कश्मीर में 30 के मारे जाने की खबर है। स्वात नदी में आए उफान से इसके किनारे स्थित अनेक मकान और होटल ढह गए हैं। बाढ़ से लाखों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। जगह-जगह सड़कें टूटने से राहत कर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्रोड्यूसर:एकता कपूर,शोभा कपूर
डायरेक्टर:मिलन लुथरिया
कलाकार:अजय देवगन,इमरान हाश्मी,कंगना राणावत,प्राची देसाई और रणदीप हुड्डा
रेटिंग:3रिलीज़ से पहले कई विवादों में फंस चुकी फिल्म 'वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई' कहने की जरुरत नहीं 70 के दशक पर आधारित एक फिल्म है|फिल्म की कहानी है घूमती है सुल्तान मिर्ज़ा(अजय देवगन) और शोएब खान(इमरान हाश्मी)के इर्द गिर्द जिनकी कहानी को एसीपी एग्नल विल्सन सुनाता है|एसीपी एग्नल विल्सन की भूमिका अदा की है रणदीप हुड्डा ने|
फिल्म की शुरुआत होती है एसीपी(रणदीप हुड्डा)पर फिल्माए गए एक सीन से जहां वह अस्पताल में भर्ती है क्यों कि उसने आत्महत्या करने की कोशिश की है|एसीपी से मिलने उसके एक उच्च अधिकारी आते हैं और एसीपी से यह जानने की कोशिश करते हैं कि उसने एक काबिल पुलिस अफसर होते हुए भी आत्महत्या करने जैसा कदम क्यों उठाया|तब एसीपी उन्हें सुल्तान(अजय देवगन) की कहानी सुनाता है|वह सुल्तान की मौत का जिम्मेदार खुद को मानता है जिसकी मौत के बाद मुंबई वह मुंबई नहीं रही जो पहले हुआ करती थी|
कहानी कुछ यूं आगे बढ़ती है...सुल्तान मिर्ज़ा नाम का एक छोटा सा बच्चा बाढ़ के पानी में बहता हुआ मुंबई आ जाता है|यह छोटा बच्चा(सुल्तान)मजदूरी कर अपना पेट भरता है|
इसी दौरान उसकी मुलाक़ात ऐसे गलत लोगों से हो जाती है जो उसे ज्यादा पैसा कमाने का लालच देते हैं और फिर वह बड़ा होकर एक स्मगलर बन जाता है|वह पैसा कमाने के लिए गलत रास्ते का इस्तेमाल तो करता है मगर साथ ही दरियादिल भी है|वह गरीबों का मसीहा है|
इस दमदार माफिया को कोई नहीं झुका सकता मगर उसकी केवल एक ही कमजोरी है रिहाना जिसका किरदार निभाया है कंगना राणावत ने|रिहाना एक चर्चित अदाकारा है|किस्मत इन दिनों को आमने सामने लेकर आती है और सुल्तान रिहाना को प्रपोज़ कर देता है|
काफी सोचने के बाद रिहाना भी सुल्तान का प्रेम प्रस्ताव मंजूर कर लेती है और फिर शुरू होता है इन दोनों का रोमांस|जिसे काफी दिलचस्प रेट्रो अंदाज़ में फिल्माया गया है|
इन दोनों की प्रेम कहानी के बाद फिल्म की कहानी घूमती है शोएब खान(इमरान हाश्मी)की तरफ जो कि एसीपी एग्नल के अंडर काम करने वाले एक पुलिस इन्स्पेक्टर का बेटा है|शोएब बहुत ही तेज़ तर्रार,चालक किस्म का इन्सान है जो पैसों के लिए कुछ भी कर सकता है|
शोएब के पिता को अपने बेटे की करतूतों की पूरी जानकारी है|इसलिए उसे सुधारने के लिए वह सुल्तान का दरवाज़ा खटखटाता है|सुल्तान शोएब के पिता की बात सुन उसे एक दुकान खोलकर देता है|
शोएब एक ज्वेलरी शॉप में काम करने वाली एक लड़की मुमताज़(प्राची देसाई) से दीवानों की तरह प्यार करता है|इसी दौरान शोएब से सुल्तान प्रभावित हो जाता है और उसे अपनी गैंग में शामिल कर लेता है|जल्द ही शोएब सुल्तान का खास आदमी बन जाता है|
इसी दौरान सुल्तान की गर्ल फ्रेंड रिहाना की तबियत अचानक बहुत बिगड़ जाती है|अस्पताल में इलाज़ के दौरान पता चलता है की रिहाना के दिल में छेद है और वह इस दुनिय में चंद दिनों की ही मेहमान है|
सुल्तान को यह बात बुरी तरह तोड़ देती है और वह रिहाना की ख़ुशी के लिए सारे बुरे काम छोड़ चुनाव में खड़े होकर गरीबों की मदद करने का फैसला करता है और इसलिए कुछ दिनों के लिए दिल्ली जाता है|दिल्ली जाने से पहले वह अपने सारे कारोबार की जिम्मेदारी शोएब को देकर जाता है|
सुल्तान की गैर मौजूदगी में शोएब आज़ादी का गलत फायदा उठाता है और ऐसे गैर क़ानूनी काम करता है जिससे मुंबई में अशांति फैल जाती है और कई लोगों की मौत हो जाती है| वह इतना गिर जाता है की एक चुनावी रैली के दौरान सुल्तान को मरने का प्लान भी बनाता है और उसे मरकर उसकी सारी सत्ता अपने नाम कर लेता है|
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विमान बहुत कम ऊंचाई पर उड़ रहा था। थोड़ी देर में ही यह धमाके के साथ आग के गोले में तब्दील हो गया। हादसे के वक्त राजधानी में बारिश हो रही थी और घना कोहरा छाया हुआ था। हादसा संभवत: खराब मौसम की वजह से हुआ। विमान का मलबा दो पहाड़ियों के बीच फैल गया और मानव अंग भी इधर-उधर बिखरे दिखाई दिए। इससे बचाव कर्मियों को खासी मशक्कत का सामना करना पड़ा।
स्टार कास्ट:अक्षय कुमार,त्रिशा कृष्णन,मकरंद देशपांडे,राजपाल यादव,नीरज वोरा,मिलिंद गुणाजी,असरानी,अरुणा ईरानी,उर्वशी शर्मा,मनोज जोशी,टीनू आनंद,कुल भूषण खरबंदा,जॉनी लीवर
प्रोड्यूसर:अक्षय कुमार
डायरेक्टर:प्रियदर्शन
स्टार रेटिंग:3
'हेरा फेरी','हंगामा','भूल भुलैया' और 'छुप छुप के'जैसी फिल्मों के बाद डायरेक्टर प्रियदर्शन एक और नई कॉमेडी फिल्म लेकर आए हैं जिसका नाम है खट्टा मीठा। यह फिल्म 1989 में बनी मलयालम फिल्म वेल्लानाकालुड़े नाडू का रिमेक है जिसे प्रियदर्शन ने ही बनाया है।
फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई है अक्षय कुमार और त्रिशा कृष्णन ने। फिल्म की कहानी घूमती है अक्षय कुमार के इर्दगिर्द जिन्होंने इस फिल्म में सचिन टिच्कुले नाम के एक रोड कांट्रेक्टर की भूमिका अदा की है।
सचिन टिचकुले एक बहुत बड़ा आदमी बनना चाहता है मगर परेशानी यह है कि उसके पास घूस देने के पैसे नहीं हैं|वह जहां रहता है वह इलाका बहुत ही पिछड़ा हुआ है|सचिन के सामने मुश्किलें और बढ़ जाती हैं जब उसकी एक्स गर्लफ्रेंड (गहना गणपुले)त्रिशा शहर की म्युनिस्पल कमिश्नर बन कर आ जाती है|
गहना सचिन से नफरत करती है और अपने इलाके में वह भ्रष्टाचार को बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं करती|अक्षय का किरदार इस फिल्म में प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर.के लक्ष्मण के कॉमन मैन(आम आदमी)वाले कार्टून केरेक्टर से मेल खाता है|
हंसी मजाक के जरिए फिल्ममें भ्रस्टाचार जैसे गंभीर मुद्दे पर चोट करने की कोशिश की गई है|किस तरह भ्रष्टाचार और घूसखोरी की वजह से आज किसी भी सरकारी या गैर सरकारी विभाग में कोई काम संभव नहीं होता|इस फिल्म में यही दिखाने की कोशिश की गई है|
फिल्म में जबरदस्त कॉमेडी और बरसात में बदहाल होती सडकों के जरिए सरकारी महकमे पर व्यंग्य आपको हंसा हंसा कर लोट पोट कर देंगे|यह फिल्म अन्य कॉमेडी फिल्मों की तरह सेंसलेस नहीं है बल्कि इसमें एक सन्देश देने की कोशिश की गई है|मगर फिल्म के डायलॉग उतने प्रभावशाली नहीं हैं जितने इस फिल्म की कहानी के हिसाब से होने चाहिए|
रिमेक होने के बावजूद निर्देशक प्रियदर्शन इस फिल्म को प्रभावी ढंग से पेश करने में सफल रहे हैं|फिल्म के शुरूआती दो घंटे कैसे बीत जाते हैं पता ही नहीं चलता मगर आखिरी के चालीस मिनट उतने प्रभावी नहीं है|फिल्म के क्लाइमेक्स को और रोचक बनाया जा सकता था|
अभिनय की बात की जाये तो खट्टा मीठा में अक्षय कुमार की बेहतरीन अदाकरी देखने को मिली है|उनकी कॉमिक ट्यूनिंग कमाल की है|कॉमेडी सीन्स में अक्षय की टाइमिंग कमाल की नज़र आई है|फिल्म के शुरूआती कुछ द्रश्यों में अक्षय को कॉलेज बॉय की तरह दिखाया गया है जिसमें वह बहुत ही कूल नज़र आए हैं|
त्रिशा ने छोटे से रोल में अच्छा काम किया है|राजपाल यादव का अभिनय जानदार है और बच्चों को उनका रोल काफी पसंद आएगा|नीरज वोरा,मिलिंद गुणाजी,असरानी,अरुणा ईरानी,उर्वशी शर्मा,मनोज जोशी,टीनू आनंद,कुल भूषण खरबंदा,जॉनी लीवर जैसे कलाकारों ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है|वी .मनिकंदन की सिनेमेटोग्राफी अव्वल दर्जे की है|फिल्म के गाने अच्छी लोकेशंस पर फिल्माए गए हैं और मधुर भी हैं|कोरियोग्राफी भी गाने के हिसाब से ठीक है|फिल्म के पहले हिस्से की एडिटिंग काफी अच्छी है मगर आखिरी के द्रश्यों में एडिटिंग को और प्रभावशाली बनाया जा सकता था|
फिल्म खट्टा मीठा एक अच्छी मनोरंजक फिल्म है जिसमें कॉमेडी,एक्शन,रोमांस जैसे सारे मसालों के साथ एक सन्देश भी दिया गया है|
फिल्म:रेड अलर्ट- द वार विथ इन
निर्माता:टी.पी अग्रवाल
निर्देशक:अनंत महादेवन
स्टार कास्ट:सुनील शेट्टी,नसीरुद्दीन शाह,विनोद खन्ना,समीरा रेड्डी,भाग्यश्री,आएशा धरकर,सीमा बिस्वास,गुलशन ग्रोवर और आशीष विद्यार्थी
स्टार रेटिंग:3
रेड अलर्ट -द वार विथ इन जैसा कि फिल्म के टाइटल से ही पता चलता है|यह एक युद्ध पर केंद्रित फिल्म है जिसे डायरेक्टर अनंत महादेवन और लेखक अरुणा राजे ने बहुत ही बेहतरीन ढंग से पेश किया है|फिल्म में यह दिखाया गया है कि कैसे एक सीधा-साधा आदमी परिस्थितियों के चलते नक्सली बन जाता है|
नक्सलवाद इस समय देश में बहुत बड़ी समस्या है और रेड अलर्ट नक्सलवाद जैसे मुद्दे पर बनी एक गंभीर फिल्म है|लेखक ने बहुत ही बढ़िया तरीके से नक्सलियोंकी ज़िन्दगी को करीब से बताने की कोशिश की है| नक्सली दूसरों की नज़रों में भले ही आतंकवादी हों मगर वह खुद को क्रांतिकारी बताते हैं|
फिल्म में सुनील शेट्टी नरसिम्हा नाम के एक सीधे-साधे व्यक्ति के किरदार में हैं जो बहुत ही गरीब है और अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए जंगल में आकर ठहरने वाले लोगों के लिए खाना बनाता है|एक दिन जंगल में ही नक्सलियों और पुलिस के बीच जंग होती है जिसमें सुनील को जबरदस्ती एक गैंग में शामिल कर लिया जाता है|
इस गैंग में विनोद खन्ना,आशीष विद्यार्थी,सीमा बिश्वास जैसे लोग रहते हैं जो आम आदमी के हक की लड़ाई लड़ते हैं|मगर सुनील उनके हिंसा वाले रस्ते को मन से अपना नहीं पता|उसे निर्दोष लोगों को मारना भी बर्दाश्त नहीं हो पाता|सुनील की तरह समीरा रेड्डी भी हालातों से मजबूर होकर नक्सलियों का साथ देने को मजबूर है|
इसी मार काट से तंग आकर सुनील एक दिन गैंग के एक व्यक्ति आशीष विद्यार्थी का खून कर वहां से भाग निकलता है और बाद पुलिस का साथ देकर नक्सलवाद को मिटाने के लिए पुलिस का साथ देने लग जाता है|
फिल्म की एडीटिंग और डायरेक्शन बेहतरीन है|साथ ही बढ़िया स्टोरी की वजह से स्क्रीनप्ले भी शानदार है| डायलॉग्स कम है मगर प्रभावशाली हैं और सिनेमेटोग्राफी भी अव्वल दर्जे की है|
अभिनय की बात की जाये तो सुनील शेट्टी का अभिनय जानदार है और अगर यह कहा जाए कि सुनील ने इस फिल्म में अपने करियर की अब तक की बेस्ट परफोर्मेंस दी है तो यह कहना गलत नहीं होगा|
आशीष विद्यार्थी और सीमा बिश्वास ने भी अपने किरदारों में जान फूंक दी है|समीरा रेड्डी ने इस फिल्म में अपने उम्दा अभिनय से सबको चौंका दिया है|साफ़ तौर पर कहा जाए तो फिल्म रेड अलर्ट एक गंभीर मगर बेहतरीन फिल्म है|
अंतर केवल दोनों परिवारों की हैसियत में ही नहीं है। पढ़ाई-लिखाई के लिहाज से भी देखें तो साक्षी होटल मैनेजमेंट में ग्रेजुएट हैं, जबकि धोनी अभी ग्रेजुएशन नहीं कर पाए हैं। साक्षी ने दो महीने पहले ही डिग्री ली है और अब कोलकाता के होटल ताज बंगाल में काम कर रही हैं। धोनी राष्ट्रीय स्तर की क्रिकेट टीम में छह साल पहले ही शामिल किए जा चुके हैं और वह करियर में कई बुलंदियों को छू चुके हैं।
कोट
खबर है कि धोनी ने साक्षी सिंह रावत से देहरादून के एक होटल कॉम्पीटेंट में सगाई की। सगाई स्थल के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। फिलहाल साक्षी माता -पिता के साथ आसाम में रहती है। देहरादून में साक्षी की नानी का निवास बताया जा रहा है। साक्षी के करीबी रिश्तेदारों ने इस खबर की पुष्टि की है। इस सगाई को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था। धोनी सगाई को पूरी तरह से मीडिया की चकाचौंध से दूर रखना चाहते थे और इसी बात को ध्यान रखते हुए उन्होंने अपनी सगाई के बारे में किसी को कानो-कान खबर नहीं होने दी।
गौरतलब है कि पिछले दो सालों से धोनी और साक्षी के बीच प्रेम संबंध को लेकर अटकलें लगाई जाती रही हैं जिस पर आज मुहर लग गया है। धोनी और साक्षी बचपन के मित्र हैं। दोनों ने अपने स्कूल की पढ़ाई डीएवी श्यामली में की। साक्षी रावत फिलहाल होटल मैंनेजमेंट की छात्रा हैं।
कास्ट:इमरान खान,सोनम कपूर,समीर दत्तानी,समीर सोनी,ब्रूना अब्दुल्ला
निर्देशक:पुनीत मल्होत्रा
निर्माता:करण जौहर, हीरू जौहर,रॉनी स्क्रूवाला
म्यूज़िक डायरेक्टर:विशाल शेखर
रेटिंग:2.5
फिल्म आई हेट लव स्टोरीज़ की कहानी जय(इमरान खान)और सिमरन(सोनम कपूर)के इर्द गिर्द घूमती है|जय एक नौजवान युवक है जो बॉलीवुड के सबसे बड़े रोमांटिक फिल्ममेकर वीर( समीर सोनी) का असिस्टेंट डायरेक्टर है|जय स्वभाव से बहुत ही फ्लर्टी किस्म का युवक है|जो हर लड़की के साथ फ्लर्ट करने में यकीन करता है|
वहीं दूसरी तरफ सिमरन(सोनम कपूर)बहुत ही रोमांटिक लड़की है|वह सोते जागते सिर्फ सच्चे प्यार के सपने देखती रहती है|सिमरन की लाइफ में सब कुछ बहुत ही परफेक्ट है|अच्छी जॉब,परफेक्ट बॉयफ्रेंड राज मगर यह तब परफेक्ट रहती है जब तक इसमें जय की एंट्री नहीं होती है|
सिमरन को भी उसी डायरेक्टर के साथ काम करने का मौका मिलता है जहां जय काम कर रहा होता है|एक लव स्टोरी पर काम करते करते इन दोनों की ज़िन्दगी में क्या उतार चढ़ाव आते हैं|फिल्म की कहानी इसी के इर्द गिर्द है|
फिल्म में सबसे ज्यादा आपको आकर्षित करता है इस फिल्म का टाइटल'आई हेट लव स्टोरीज़'|नए डायरेक्टर पुनीत मल्होत्रा ने इसे टिपिकल मसाला रोमांटिक फिल्म की तरह पेश किया है|जिसमें कुछ नया नहीं है|
फिल्म सिंपल है मगर आकर्षित करती है|मगर फिल्म की खास बात है इमरान सोनम की फ्रेश जोड़ी जो दर्शकों को अपनी और खीचने में कामयाब नज़र आती है|फिल्म में इन दोनों की केमिस्ट्री कमाल की है जो युवा दर्शकों को काफी पसंद आएगी|
इमरान-सोनम की तकरार धीरे-धीरे प्यार में बदलने लगती है|जय(इमरान)को लड़कियां तो पसंद हैं मगर उसे लड़कियों वाली आदत से सख्त नफरत है मगर वह धीरे धीरे बदलने लगता और सोनम को खुश करने के लिए फ़िल्मी स्टाइल अपनाता है|और प्यार में विश्वास न करने वाला जय सिमरन के लिए सेकंड हाफ में आंसू तक बहाते हुए देखा जाता है|
फिल्म का क्लाइमेक्स हमें इमरान की पहली फिल्म जाने तू या जाने न की याद दिलाता है जहां इमरान जेनेलिया को अमेरिका जाने से रोकने के लिए घोड़े पर स्वर होकर एअरपोर्ट जाते हैं|
फिल्म के डायरेक्टर पर लगता है अन्य बॉलीवुड फिल्मों और मिल्स एंड बूंस नोवेल का ज्यादा ही प्रभाव है|इमरान-सोनम के बीच के सीक्युन्सेस काफी अच्छी तरह से लिखे गए हैं|मगर सोनम के उनके पेरेंट्स और बॉयफ्रेंड समीर दत्तानी के साथ फिल्माए गए द्रश्य काफी कमज़ोर नज़र आते हैं|
नए डायरेक्टर पुनीत ने बहुत ही बढ़िया तरीके से दोनों एक्टर्स के किरदार को पिरोया है|कहीं कहीं तो आप जय और सिमरन की दुनिया में खो जाते हैं|विशाल-शेखर का संगीत काफी कैची है और युवाओं को काफी लुभा भी रहा है|बिन तेरे और बहारा गाने कमाल के हैं|
फिल्म: एड़मिशन ओपनपात्र: अनुपम खेर, आशीष विद्यार्थी, अंकुर खन्ना, प्रमोद माउथो, रति अग्निहोत्री, सुदेश बेरी, मास्टर अभिषेक शर्मानिर्देशन: के. डी. सत्यमनिर्माता: अमन फिल्म प्रोडक्शनसंगीत: अमित त्रिवेदीरेटिंग :
शिक्षा के क्षेत्र में सरकार के सुधारों को देखते हुए बॉलीवुड ने फिल्म निर्माण की पहल की है। यह भारत का दुर्भाग्य ही रहा है कि थ्री इडियट से पहले किसी फिल्म ने शिक्षा के मसले को बड़े पर्दे पर चित्रित नहीं किया। इस मामले पर एड़मिशन ओपन नाम की फिल्म ने इस मामले को उठाया है।
यह उन फिल्मों में से एक है जो कि यह बात सोचने पर विवश करती है कि आखिर निर्देशक ने यह फिल्म क्यों बनाई। इस फिल्म में पैसे के पीछे भागती शिक्षा प्रणाली पर एक करारा व्यंग्य है। फिल्म इस बात पर जोर डालती है कि हालिया शिक्षा प्रणाली में धनरहित योग्यता के लिए कोई संवेदना नहीं है।
तारिक सिद्दिकी यानि अनुपम खेर आधुनिक विचारधारा वाला एक कॉलेज खोलना चाहता है। वह चाहता है इस कॉलेज के माध्यम से परंपरागत शिक्षा पद्वति की बुराईयों पर काबू पाना चाहता है। वह मानता है कि ट्रेडिशनल एजुकेशन सिस्टम उसकी बेटे की मौत का कारण है। उसकी पत्नि राधिका (रति अग्निहोत्री) भी बेटे के गम में काल की शिकार बन जाती है। इसी बीच देवांग त्रिपाठी (आशीष विद्यार्थी) तारिक के कंधे से कंधा मिलाता है। देवांग मुम्बई यूनिवर्सिटी में शिक्षक था और उसे एल्कोहल लेने और अमूर्त तरीके से पढ़ाने के कारण यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया था।
इस बीच स्पिरिट नाम का कॉलेज उन सभी विद्यार्थियों को एडमिशन दे देता है जिनका किसी प्रतिष्ठित संस्थान में प्रवेश नहीं हुआ था। स्पिरिट को एनएसी से मान्यता नहीं मिलती है।
अंकुर खन्ना (अर्जुन) उन छात्रों में से एक है जो कि तारिक के सपनों को पूरा करने की लालसा रखता है पर तारिक की अचानक मौत हो जाती है। फिल्म में अब दो सवाल खड़े हो जाते हैं कि क्या कॉलेज को मान्यता मिल पाएगी और क्या विद्यर्थियों का भविष्य उज्जवल होगा।
फिल्म कई बार वास्तविकता से पर लगती है इसलिए इसे आसानी से नहीं समझा जा सकता है। फिल्म की सबसे बड़ी कमी यह है कि इसमें हंसने-हंसाने की लुफ्त नहीं मिल पाता है । साथ ही काफी लम्बे समय तक खिंचने के कारण यह थोड़ी बोझिल भी हो जाती है। फिल्म का कहानी लेखन स्तरीय है। संवाद अदायगी में हास्य का थोड़ा बहुत पुट है लेकिन यह प्रभावहीन हैं। इसका संपादन और छायांकन भी गुणवत्तापूर्ण नहीं है।
अनुपम खेर यहां हमेशा की तरह चमत्कारिक प्रदर्शन करने में सफल रहे हैं। यहां तारिक की मौत से दर्शक असमंजस की स्थिति में रहते हैं। आशीष विद्यार्थी अपनी भूमिका से न्याय करने में सफल रहे हैं। विद्यार्थी के रूप में अंकुर खन्ना और मास्टर अभिषेक शर्मा का अभिनय भी ज्यादा प्रभावी नहीं रहा है। कुल मिलाकर एड़मिशन ओपन को देखने के लिए सिफारिश नहीं की जा सकती
Kites review: प्रेम की डोर से बंधी काइट्स
रेटिंग -
फिल्म समीक्षा : काइट्स
निर्देशक : अनुराग बसु
निर्माता: राकेश रोशन
कलाकार : रितिक रोशन, बारबरा मोरी, कंगना रणावत
संगीत : राजेश रोशन
गीत : नसीर फराज, आसिफ अली बेग
संपादन : अविक अली
वितरण : रिलायंस बिग पिक्चर
प्रेम को किसी भाषा की जरूरत नहीं होती, काइट्स की थीम यही है। निर्देशक अनुराग बसु ने अपनी बाकी फिल्मों की तरह इसमें भी अपने खास अंदाज को बरकरार रखा है। अपराध की गलियों में खिलती खूबसूरत रोमानी प्रेमकथा। फिल्म में हॉलीवुड फिल्मोंे की तरह की गति है। कई सीन निर्देशक की अद्भुत कल्पनाशीलता की बानगी हैं, विशेषकर जहां अशाब्दिक रोमांस का जादू बिखेरा गया है। कार रेसिंग और स्टंट को बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया है।
डायरेक्टर: माइक निवेल
कास्ट: जेक गेलेनहाल, बेन किंग्सले, जेमा आर्टेटन, अल्फ्रेड मोलीना
बैनर : वॉल्ट डिजनी
अवधि : एक घंटा 34 मिनट
‘प्रिंस ऑफ पर्सिया : द सैंड्स टाइम’ एक्शन और एडवेंचर से भरपूर फिल्म है। फिल्म निर्देशक माइक निवेल ने इसे बनाते समय वीडियो गेम की चर्चित संसार को आधार बनाकर इसका फिल्मांकन किया है।
फिल्म आप को एक ऐसे संसार में ले जाती है जहां दो देशों का आपसी संघर्ष और समय को काबू में करने की होड़ दिखाई देती है। फिल्म के पात्रों में आपको एक तरफ बहादुर प्रिंस दास्तान (जेक गेलेनहाल) देखने को मिलता है जो जन्म से प्रिंस तो नहीं है लेकिन पर्सिया के राजा द्वारा गोद लिए जाने के कारण उसका बचपन राजकुमारों की तरह बीता है। पर्सिया के महाराजा की हत्या का आरोप भी दास्तान के ऊपर लगता है और राजा के दोनों बेटे उसके विरोधी हो जाते हैं।
दरअसल पर्सिया के राजा का असली हत्यारा राजा का खास माना जाने वाला व्यक्ति (बेन किंग्सले ) ही रहता है। उसकी इस साजिश का पर्दाफाश प्रिंस दास्तान करता है और वह उसे तानाशाह बनने से भी रोकता है ।
फिल्म एक ऐसी सैंड वॉच है जो समय को पीछे छोड़ने में सक्षम है लेकिन अगर इसके टूटने पर सारी रेत दैत्य और दानव में तब्दील हो जाती है और ये शैतान पूरे राज्य में फैलकर तबाही लाते हैं। लेकिन दूसरे देश की राजकुमारी तामीना (जेमा आर्टेटन) यहां दास्तान की मदद करती है और वे संसार को बचाने में कामयाब होते हैं। यह फिल्म बच्चों को तो बेहद पसंद आएगी, वहीं युवा वर्ग भी इसे टाइम पास फिल्म के रूप में देख सकता है।
फिल्म:मिसेज सिंह और मिस्टर मेहताकास्ट:प्रशांत नारायणन,अरुणा शील्ड्स,नावेद असलम और लूसी हसन
डायरेक्शन:प्रवेश भारद्वाज
संगीत: उस्ताद शुजात हुसैन
समय अवधि:2 घंटे
स्टार रेटिंग:1
मिसेज़ सिंह और मिस्टर मेहता फिल्म के डायरेक्टर प्रवेश भारद्वाज से यह पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने यह फिल्म क्यों बनाई। विवाहेत्तर संबंधों(एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर)पर पहले भी सिलसिला,कभी अलविदा न कहना और मर्डर जैसी फिल्मों में कई बार दिखाया जाचुका है इसलिए फिल्म में ऐसा कुछ भी दर्शकों को आकर्षित कर सके।
फिल्म की कहानी विवाहेत्तर संबंधों(एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर)पर आधारित है। कहानी है दो शादीशुदा जोड़ों की (नीरा)अरुणा शील्ड्स की शादी (करन)नावेद असलम से हुई है और (अश्विन)प्रशांत नारायणन की शादी (सखी)लूसी हसन से हुई है। दोनों ही जोड़े अपने पार्टनर्स को धोखा देते हैं। करन (नीरा के पति) के (सखी)प्रशांत की पत्नी के साथ संबंध हैं।
यह बात नीरा को पता चल जाती है कि उसका पति उसके पीछे क्या गुल खिला रहा है। नीरा इस बात से काफी दुखी हो जाती है और सारी बात अश्विन को बता देती है|अश्विन नीरा को सहारा देता है और धीरे दोनों एक दूसरे के करीब आने लगते हैं। फिल्म के अंत तक पहुंचने पर भी यह समझ नहीं आता कि आखिर डायरेक्टर फिल्म के माध्यम से कहना क्या चाहता था।
फिल्म की बेजान पठकथा इसे बेहद बोरिंग बना देती है। साथ ही अश्विन और नीरा ऊपर फिल्माए गए न्यूड और सेक्स सींस बार बार बेवजह रिपीट किए गए हैं। बेजान स्टोरी,बेदम स्क्रीनप्ले और नीरस डायलॉग्स फिल्म को और भी ज्यादा कमज़ोर बना देते हैं। ग़ज़लों की वजह से फिल्म का संगीत मधुर लगता है|
कलाकारों की अदाकारी की बात की जाए तो सिर्फ प्रशांत नारायणन ही फिल्म में छाप छोड़ने में कामयाब नज़र आते हैं|प्रशांत की डायलॉग डिलेवरी और एक्सप्रेशंस कमाल के हैं। अरुणा शील्ड्स ने ओवर एक्टिंग की है|नावेद असलम और लूसी हसन ने अपने छोटे से रोल में ठीक ठाक अभिनय किया है।
शनिवार को पूरी दुनिया में मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। मशीनों के इस युग में आज भी मजूदरों को काफी खतरनाक हालातों में काम करना पड़ता है। काम के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं में हताहत हुए मजदूरों के परीजनों को पूरा मुआवजा नहीं मिलता। यही कारण है कि पूरी दुनिया में मालिकों और मजदूरों के बीच हमेशा विवाद होता रहता है। मजदूर दिवस पर विभिन्न संगठनों ने पूरी दुनिया में प्रदर्शन किया है।
पेश हैं कुछ खास फोटो-
जानकारों के अनुसार खुफिया सूचना यह है कि आतंकियों की नजर प्रदेश के जिन बड़े महानगरों पर है उनमें जबलपुर भी शामिल है, इस खुफिया जानकारी ने पुलिस प्रशासन की नींद उड़ा दी है। लेकिन अधिकारी इस तरह की किसी सूचना से इंकार कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों मुख्यालय से मिली जानकारी के बाद से पुलिस प्रशासन हरकत में है और पूरे शहर में सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
इसके तहत शाम होते ही भीड़-भाड़ वाले इलाकों पर कड़ी नजर रखने के साथ संदिग्ध दिखने वालों की जांच की जा रही है। सर्तकता बतौर आज रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, टॉकीज, होटलों व मॉल के आसपास बम निरोधक दस्ते की मदद से तलाशी अभियान चलाया गया। रात्रि में सिविक संेटर क्षेत्र में बम डिस्पोजल स्क्वॉड के साथ छानबीन में जुटे ओमती सीएसपी संजय साहू व टीआई डीएल तिवारी ने इस अभियान को नियमित कार्रवाई बताया।
नियमित कार्रवाई
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में तलाशी अभियान, किरायेदारांे, होटल ढाबों की चैकिंग नियमित कार्रवाई के तहत की जा रही है। सुरक्षा के मद्देनजर इस तरह का अभियान चलाया जा रहा है।
प्रदेश का बड़ा शहर
समय-समय पर मिलने वाली सूचनाओं और प्रदेश का बड़ा शहर होने के कारण सर्तकता बतौर चैकिंग अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत भीड़-भाड़ वाले इलाकों में सुरक्षा गतिविधियों का जायजा लिया जा रहा है।
नागपुर से आने वालों पर नजर
सूत्रों के अनुसार खुफिया सूचना के बाद जिले में प्रवेश करने वाले सभी प्रमुख मार्गो पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है और नागपुर से आने आने वाले वाहनों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
72 वर्षीय पिअर्ल कार्टर और उनका 26 वर्षीय पोता फिल बैली एक दूसरे के प्यार में पड़ गए हैं। यही नहीं इस दादी ने अपने पोते के लिए अपनी पेंशन से सरोगेट मदर भी ढूंढ ली है। कारण कि पिअर्ल इस उम्र में बच्चे को जन्म नहीं दे सकती है।
यहां पांच मिनट बाद रिक्टर पैमाने पर 6.0 तीव्रता का भूकंप बाद झटका भी महसूस किया गया। अलास्का में एनकोरेज के अधिकारियों का कहना है कि भूकंप के कारण पश्चिमी तट पर सुनामी की कोई आशंका नहीं है।
अलास्का सुनामी चेतावनी केन्द्र ने भी कहा है कि देश में अभी सुनामी की कोई आशंका नहीं है और यहां सुनामी संबंधी कोई चेतावनी या परामर्श फिलहाल जारी नहीं किया गया है।
बेंगलुरू की निकोल फारिया को पेंटालून फेमिना मिस इंडिया अर्थ चुना गया है। उन्हें यह ताज पूर्व मिस इंडिया अर्थ श्रिया किशोर ने पहनाया। मध्यप्रदेश के देवास की रहने वाली नेहा हिंगे ने पेंटालून फेमिना मिस इंडिया इंटरनेशनल का खिताब जीता है। उन्हें यह ताज पूर्व मिस इंडिया यूनिवर्स एकता चौधरी ने पहनाया।
इस प्रतियोगिता में विजेताओं का चयन सानिया मिर्जा, चेतन भगत, रितु बेरी और शिल्पा शेट्टी, कुणाल कपूर, विजयेंद्र सिंह और अनुराग बसु की जूरी ने किया।
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